राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में अंधविश्वास के चक्कर में एक मासूम बच्चे की जान चली गई. बच्चा कई दिनों से बीमार था, जिस पर बच्चे को भोपा (झाड़ फूंक करने वाले) के कहने पर लोहे के गरम तार से दाग दिया गया. बाद में और ज्यादा तबीयत बिगड़ने पर मासूम को अस्पताल ले जाया गया, जहां पर उसकी मौत हो गई. लोहे के गरम तार से दागे जाने के बाद बच्चे की मौत पर पुलिस प्रशासन भी हरकत में आया. बच्चे की माता-पिता के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है.
गरम चिमटे से दागा
सदर थाना प्रभारी कैलाशचंद्र बिश्नोई ने बताया कि इंरास गांव के रहने वाले देवा बागरिया के 9 माह के बेटे गोविंद की तबीयत खराब थी. जिसे परिजनों किसी भोपा के कहने पर गरम चिमटे से दाग दिया या डांम लगा दिया. मृतक बच्चे के मामा की रिपोर्ट पर उसके माता-पिता के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
पुलिस की जांच में पता चला कि भोपा के कहने पर किसी और ने नहीं, बल्कि उसकी मां ने बच्चे को गरम चिमटे से दागा. मां ने बिना कुछ सोचें समझे अपने हाथ से ही अपने मासूम बच्चे को लोहे के धधकते चिमटे से दाग दिया. हालांकि, बच्चे की तबीयत सुधरने के बजाया और बिगड़ गई तो परिजन आनन-फानन में तुरंत भीलवाड़ा जिला अस्पताल लेकर पहुंचे.
डांम लगाने से बच्चे की बिगड़ी तबीयत
जहां पर डॉक्टरों की काफी कोशिश के बाद मासूम बच्चे ने दम तोड़ दिया. डॉक्टर इंदिरा सिंह का कहना है कि डांम लगाने की बाद से मासूम की तबीयत और ज्यादा बिगड़ती जा रही थी. उसमें ब्रेन हेमरेज जैसी लक्षण दिख रहे थे. निमोनिया जैसे लक्षण दिखने पर बच्चों को सीधे निकटवर्ती स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाना चाहिए. उसे किसी अंधविश्वास के सारे नहीं रहना चाहिए.
मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर रामकेश गुजर ने कहा कि हम मामले की जांच करवा रहे हैं. ब्लॉक सीएमएचओ सुवाना से फैक्चुअल रिपोर्ट आज शाम तक मंगवाई है. ऐसी घटना दोबारा भविष्य में नहीं हो. इसके लिए हम स्टाफ को पाबंद कर रहे हैं कि वह गांव में दागने की कुप्रथा पर रोक लगाने के लिए जागरूक करें.
महात्मा गांधी अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर अरुण गौड़ का कहना है कि डांम की कुप्रथा को लेकर भ्रांति है कि इससे बीमार बच्चे ठीक हो जाते हैं. इससे कोई बच्चा ठीक नहीं होता है, उसमें और कॉम्प्लिकेशंस बढ़ जाती है और बच्चे की जान भी चली जाती है.
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