SI Paper Leak Case: राजस्थान के सबसे चर्चित SI पेपर लीक मामले में परीक्षा को रद्द करने की बात चल रही है. लेकिन इस बीच जयपुर हाई कोर्ट ने पेपर लीक मामले में बड़ा फैसला लिया है. कोर्ट ने शुक्रवार (22 नवंबर) को पेपर लीक मामले से जुड़े 10 आरोपियों को जमानत दे दी है. वहीं हाई कोर्ट ने 10 आरोपियों को जमानत देते हुए टिप्पणी भी की है जिसमें कहा है कि पेश किये गए सबूत प्रथम दृष्या से संदेहास्पद नजर आ रहे हैं. अब कोर्ट ने 10 आरोपियों को निजी मुचलके पर जमानत दे दी है.
जयपुर हाई कोर्ट में इस मामले में 7 और 8 नवंबर को सुनवाई हुई थी. इसके बाद कोर्ट ने आरोपियों और SOG को लिखित में फाइनल सबमिशन देने को कहा था. वहीं 22 नवंबर को कोर्ट ने करणपाल, एकता, मनोहर, सुरेंद्र, रोहिताश्व, प्रेमसुखी, अभिषेक, राजेश्वरी, प्रवीण और नीरज कुमार यादव इन 10 आरोपियों को जमानत दे दी है.
कोर्ट ने सबूत को संदेहास्पद बताते हुए क्या कहा
कोर्ट ने कहा कि 9 आरोपियों पर परीक्षा से पहले पेपर पढ़ने का आरोप है. जांच के दौरान SOG को रुपयों के लेनदेन से संबंधित दस्तावेज मिले हैं. इनमें सॉल्व किए हुए प्रश्न पत्र के बदले रुपए देने की बात लिखी गई है. एसओजी ने इन दस्तावेजों को आधार बनाया था. चार्जशीट में भी इसका जिक्र किया था. सुनवाई के दौरान भी इस पर काफी बहस हुई थी. अब कोर्ट ने कहा है कि प्रथम दृष्टया यह सबूत संदेहास्पद लग रहे हैं. कोर्ट ने लिखा है, "The said documents in the manner they are written prima facie seem to be suspicious." कोर्ट ने यह टिप्पणी करणपाल, एकता, मनोहर, सुरेंद्र, रोहिताश्व, प्रेमसुखी, अभिषेक, राजेश्वरी, नीरज के आरोपों पर बहस के दौरान की.
वहीं एक अन्य आरोपी प्रवीण को भी कोर्ट ने जमानत दी. प्रवीण पर प्रश्न सॉल्व करने का आरोप था. कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी ने कोई ऐसे सबूत पेश नहीं किए हैं जिससे पता चले कि प्रवीण ने पेपर सॉल्व कर के सर्कुलेट किया था. यहां तक कि प्रवीण ने अपनी पत्नी को भी सॉल्व किए हुए सवाल नहीं भेजे थे.
राजस्थान लोक सेवा आयोग पर की गंभीर टिप्पणी
कोर्ट ने माना है कि इस मामले में पूरी भर्ती प्रक्रिया संदेह के घेरे में है. परीक्षा कराने वाली एजेंसी राजस्थान लोक सेवा आयोग भी सवालों के घेरे में है. जांच में जिस तरह की बातें सामने आई हैं, वह पूरे समाज पर प्रभाव डालती हैं. क्योंकि अभी इस मामले की जांच चल रही है इसलिए हम इस मामले में ज्यादा टिप्पणी नहीं करना चाहते.
बेल नियम है और जेल अपवाद
कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों में जिक्र किया है कि बेल नियम है और जेल अपवाद. इस बहस के दौरान भी वकीलों ने इसका जिक्र किया है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को 1 लाख रुपए के निजी मुचलके के अलावा 50 - 50 हजार के दो जमानतदारों की उपलब्धता पर जमानत दी. कोर्ट में सुनवाई के दौरान इन सभी को उपस्थित होना अनिवार्य होगा.
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