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एकल पट्टा घोटाले में भजनलाल सरकार को बड़ी राहत, हाईकोर्ट ने कहा- राज्य को जांच का पूरा अधिकार

मामला जयपुर के एक प्रीमियम क्षेत्र की लगभग 40,000 वर्ग गज भूमि के विवादास्पद आवंटन से जुड़ा है. आरोप है कि वर्ष 2011 में नगरीय विकास विभाग ने नियमों का उल्लंघन करते हुए यह भूमि एक निजी बिल्डर को बहुत कम दर पर दी थी.

एकल पट्टा घोटाले में भजनलाल सरकार को बड़ी राहत, हाईकोर्ट ने कहा- राज्य को जांच का पूरा अधिकार

Rajasthan High Court: राजस्थान के बहुचर्चित एकल पट्टा भूमि घोटाले मामले में शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बड़ी राहत दी. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने पूर्व नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल की उस याचिका को समयपूर्व बताते हुए खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज कार्यवाही रद्द करने की मांग की थी. हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की क्लोजर रिपोर्टों के विरुद्ध दायर प्रोटेस्ट याचिकाएं अभी ट्रायल कोर्ट में लंबित हैं, इसलिए इन पर निर्णय लेने का अधिकार केवल निचली अदालत का है.

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार को जांच जारी रखने का विधिक अधिकार प्राप्त है, और इस प्रक्रिया में किसी भी न्यायिक हस्तक्षेप का कोई औचित्य नहीं है जब तक ट्रायल कोर्ट अंतिम निर्णय न दे दे. यह सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय के 5 नवंबर 2024 के आदेश के अनुपालन में की गई, जिसमें मामले को शीघ्र निस्तारण हेतु राजस्थान हाईकोर्ट को भेजा गया था.

300 करोड़ से अधिक की भूमि अनियमितता का मामला

मामला जयपुर के एक प्रीमियम क्षेत्र की लगभग 40,000 वर्ग गज भूमि के विवादास्पद आवंटन से जुड़ा है. आरोप है कि वर्ष 2011 में नगरीय विकास विभाग ने नियमों का उल्लंघन करते हुए यह भूमि एक निजी बिल्डर को बहुत कम दर पर दी थी. वर्ष 2014 में इस प्रकरण में FIR संख्या 422/2014, थाना ACB जयपुर में दर्ज की गई थी, जिसमें ₹300 करोड़ से अधिक के कथित भ्रष्टाचार की जांच शुरू हुई.

हाईकोर्ट ने कहा बिना चार्जशीट के क्वैशिंग याचिका अस्वीकार्य

सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि शांति धारीवाल का नाम न तो एफआईआर में आरोपी के रूप में दर्ज है, न ही उनके खिलाफ कोई चार्जशीट दायर हुई है. ऐसे में उनके द्वारा कार्यवाही रद्द करने की मांग कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है. पीठ ने कहा कि जब तक ट्रायल कोर्ट में लंबित प्रोटेस्ट याचिकाओं पर विचार नहीं होता, तब तक किसी भी उच्च न्यायिक हस्तक्षेप का प्रश्न नहीं उठता.

राज्य की ओर से एएसजी एस.वी. राजू और एएजी शिव मंगल शर्मा ने दी दलीलें

राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू, अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा और अधिवक्ता सोनाली गौर ने तर्क दिया कि धारीवाल की याचिका अस्वीकार्य है क्योंकि एसीबी की 2019 की क्लोजर रिपोर्ट के विरुद्ध शिकायतकर्ता द्वारा प्रोटेस्ट याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं, जो अभी लंबित हैं. सरकार ने कहा कि जांच की प्रक्रिया आपराधिक न्याय प्रणाली का अभिन्न हिस्सा है और इसे रोकना न्यायसंगत नहीं होगा.

वहीं, धारीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सहजवीर बाजवा ने कहा कि जांच अधिकारी ने निष्पक्ष जांच के बाद क्लीन चिट दी थी, इसलिए उनके मुवक्किल ‘अग्रहित पक्ष' हैं और उन्हें हाईकोर्ट में राहत मांगने का अधिकार है.

अदालत का आदेश- प्रोटेस्ट याचिकाओं पर ट्रायल कोर्ट निर्णय ले

दोनों पक्षों की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखते हुए यह निर्देश दिया कि ट्रायल कोर्ट अब लंबित प्रोटेस्ट याचिकाओं पर विधिक रूप से निर्णय करेगा. अदालत ने यह भी दोहराया कि राज्य सरकार को आगे की जांच करने की पूर्ण स्वतंत्रता है. इस आदेश के साथ ही हाईकोर्ट का 15 नवंबर 2022 का वह पुराना आदेश, जिसमें श्री धारीवाल के खिलाफ कार्यवाही रद्द की गई थी, व्यवहारिक रूप से निरस्त हो गया है. इसके साथ ही, एकल पट्टा घोटाला प्रकरण पुनः न्यायिक पुनर्विचार के लिए सक्रिय हो गया है.

मामले की पृष्ठभूमि

वर्ष 2005 से 2011 के बीच जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) और नगरीय विकास विभाग ने एम/एस गणपति कंस्ट्रक्शन को एकल पट्टा जारी करने की प्रक्रिया शुरू की थी. आरोप है कि विभागीय स्तर पर कई प्रशासनिक मंजूरियों में हेराफेरी कर 29 जून 2011 को, जब शांति धारीवाल मंत्री थे, यह पट्टा जारी किया गया. बाद में भ्रष्टाचार और जालसाजी की शिकायतों पर एसीबी ने मामला दर्ज किया.

2019 और 2021 में दो क्लोजर रिपोर्ट्स दाखिल कर पूर्व मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों को क्लीन चिट दी गई, जिसे ट्रायल कोर्ट ने अप्रैल 2022 में अस्वीकार करते हुए आगे जांच के आदेश दिए. इस आदेश को धारीवाल ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद अब हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार जांच जारी रख सकती है और ट्रायल कोर्ट एसीबी की क्लोजर रिपोर्टों पर निर्णय देगा.

अगली सुनवाई 5 दिसंबर को

मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी, जिसमें अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ अभियोजन वापसी के मुद्दे पर भी विचार किया जाएगा. अदालत उस दिन अपना विस्तृत अंतिम आदेश भी उच्चारित करेगी.

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