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Rajasthan: डीडवाना के खारिया तालाब की आधी जमीन 'गायब', उसी में गिर रहा शौचालय का पानी, कमिश्नर की रिपोर्ट में खुलासा

रिपोर्ट में कहा गया है कि तालाब के चारों ओर अवैध निर्माण हुए हैं, जिनके शौचालयों और नालियों का गंदा पानी सीधे तालाब में गिरता है. हैरानी की बात यह है कि एक सार्वजनिक शौचालय का पानी भी तालाब में बह रहा है, जिससे जल की गुणवत्ता और भी खराब हो रही है.

Rajasthan: डीडवाना के खारिया तालाब की आधी जमीन 'गायब', उसी में गिर रहा शौचालय का पानी, कमिश्नर की रिपोर्ट में खुलासा
डीडवाना का खारिया तालाब गंदगी का ढेर

Didwana News: डीडवाना के खारिया तालाब क्षेत्र में अतिक्रमण और गंदगी को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर नियुक्त मौका कमिश्नरों की रिपोर्ट ने कई गंभीर खुलासे किए हैं. रिपोर्ट ने न केवल नगर परिषद प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि पर्यावरणीय उपेक्षा और शहरी अव्यवस्था की भयावह तस्वीर भी पेश की है. यह मामला अदालत में उत्थान विधिक सहायता एवं सेवा संस्थान के अध्यक्ष एडवोकेट सरवर खान द्वारा तालाब के संरक्षण व सौंदर्यीकरण की मांग को लेकर उठाया गया था.

मौके पर केवल 20-25 बीघा ही बची है- रिपोर्ट 

राजस्थान हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए तीन मौका कमिश्नरों की नियुक्ति की और उन्हें तालाब का निरीक्षण कर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया. कमिश्नरों की टीम ने निरीक्षण कर बताया कि तालाब की कुल भूमि 62 बीघा होनी चाहिए थी, लेकिन मौके पर केवल 20-25 बीघा ही बची है; शेष पर अतिक्रमण हो चुका है. 16 बीघा गोचर भूमि के समावेशन पर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है, और मौके पर मौजूद पटवारी इस विषय पर कोई जानकारी नहीं दे सका.

तालाब में गिरता है गंदा पानी 

रिपोर्ट में कहा गया है कि तालाब के चारों ओर अवैध निर्माण हुए हैं, जिनके शौचालयों और नालियों का गंदा पानी सीधे तालाब में गिरता है. हैरानी की बात यह है कि एक सार्वजनिक शौचालय का पानी भी तालाब में बह रहा है, जिससे जल की गुणवत्ता और भी खराब हो रही है. तालाब के पानी में प्लास्टिक, कचरा, मलबा और शैवाल तैरते मिले. साफ जाहिर है कि यहां लंबे समय से कोई सफाई नहीं हुई.

नगर परिषद पर भी उठे सवाल 

जांच में यह भी सामने आया कि तालाब की सफाई, जलगुणवत्ता सुधार या संरक्षण को लेकर न तो नगर परिषद और न ही सिंचाई विभाग ने कोई ठोस प्रयास किए हैं. हाईकोर्ट द्वारा पहले दिए गए आदेश के बाद नगर परिषद ने सिर्फ प्रतीकात्मक तौर पर एक क्षेत्र में बाड़बंदी कर कुछ पौधे लगाकर औपचारिकता पूरी की. यह प्रयास भी मौके पर उपेक्षा और गंदगी से घिरा हुआ मिला, जिससे आमजन के उपयोग के लिए यह अनुपयुक्त है.

रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि तालाब की दुर्दशा का मुख्य कारण अतिक्रमण, प्रशासनिक लापरवाही और पर्यावरणीय अनदेखी है. अगर जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो यह ऐतिहासिक तालाब पूरी तरह समाप्त हो सकता है. रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि स्थिति को सुधारने के लिए तत्काल प्रभाव से प्रभावी कदम उठाना अनिवार्य है.

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