Bishnoi Samaj News: अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेन्द्र बुड़िया के साथ दिल्ली में हुई घटना के बाद बुधवार को मुकाम पर बैठक हुई है. बैठक में कुलदीप बिश्नोई को बिश्नोई महासभा के संरक्षक पद से हटा दिया. इसके साथ ही उनको दी गई बिश्नोई रत्न की उपाधि भी वापस ले ली गई. सभा में अध्यक्ष का चुनाव अब प्रत्यक्ष करवाने का प्रस्ताव भी खुद मौजूदा अध्यक्ष देवेंद्र बुड़िया ने रखा, जिस पर सभी ने सहमति दी. इस मौके पर राजस्थान के दो पूर्व मंत्रियों सहित कुछ अन्य लोगों को भी बिश्नोई रत्न दिए जाने की घोषणा की गई.
सभा में संत भी हुए शामिल
दरअसल, बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष देवेंद्र बुड़िया ने आरोप लगाया कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए समाज से 10 करोड़ रुपए चंदा नहीं जुटा पाने और संरक्षक के दिए कुछ कमिटमेंट पूरे नहीं कर पाने पर उनसे बदसलूकी की गई. देवेंद्र का कहना है कि बीजेपी विधायक रणधीर पनिहार ने दिल्ली में बंद कमरे में जबरन इस्तीफा लेने की कोशिश की. इसके लिए उनके तौर तरीकों के लिहाज से तैयार नहीं हुए तो उनके साथ बदसलूकी की गई. इस घटना को लेकर वे मंगलवार को जोधपुर में अपने समाज के प्रमुख लोगों के बीच पहुंचे और अपनी आपबीती सुनाई. इसके बाद मुकाम पर महासभा की बैठक की घोषणा की गई.
अभी इस्तीफा देकर बन जाता हूं पूर्व
बिश्नोई महासभा की मुकाम बैठक में बुड़िया ने कहा कि वे अध्यक्ष समाज की भलाई के लिए बने थे. समाज का भला किया है और संस्था को भी खड़ा किया है. मौजूदा हालात में अगर आप लोगों को लगता है कि मैं गलत हूं तो अभी इस्तीफा देकर यहां पूर्व अध्यक्ष की हैसियत से खड़ा हो जाता हूं. इस पर लोगों ने उनको ही अध्यक्ष के रूप में काम करने के लिए समर्थन देते हुए इस्तीफे की बात को खारिज कर दिया.
प्रत्यक्ष होंगे अध्यक्ष के चुनाव
देवेंद्र बुड़िया ने कहा कि मेरा दो साल का कार्यकाल है. डेढ़ साल होते ही चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर देंगे. प्रत्यक्ष और स्वतंत्र रूप से चुनाव होंगे. इस बार आप खुद अपना अध्यक्ष चुनना. उन्होंने कहा कि दिल्ली की घटना के बाद भी मुझे समझौता करने और किसी महिला से मेरे खिलाफ एफआईआर करवाने जैसे दबाव डाले जा रहे हैं. वे ब्लैकमेल होने वालों में से नहीं है.
रामसिंह और पूनमचंद को दिया बिश्नोई रत्न
सभा में बुड़िया ने कुलदीप बिश्नोई को चार साल पहले बिश्नोई रत्न की उपाधि से नवाजा था. हरियाणा के पूर्व सीएम चौधरी भजनलाल के बाद कुलदीप ऐसे दूसरे शख्स थे, जिन्हें यह सम्मान मिला था. बुड़िया ने भरी सभा में घोषणा की कि कुलदीप से यह रत्न वापस लिया जाता है. उन्होंने राजस्थान के पूर्व मंत्री रामसिंह बिश्नोई और पूनमचंद बिश्नोई सहित कुछ अन्य लोगों को यह रत्न देने की घोषणा की.
कुलदीप ने बुड़िया को बुड़िया ने कुलदीप को हटाया
मंगलवार को चले घटनाक्रम में बुड़िया ने पत्र जारी कर कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक के पद से मुक्त करने की बात कही. उन्होंने पत्र में लिखा कि यह पद समाज का सम्मानित पद है, लेकिन कुलदीप पर अपने पुत्र का अन्तरजातीय विवाह करने का सत्य आरोप है. इससे बिश्नोई समाज में रोष है. ऐसे में उनको संरक्षक पद से पदमुक्त किया जाता है. इधर, कुलदीप बिश्नोई ने भी संरक्षक की हैसियत से पत्र जारी कर बुड़िया को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाने का एलान कर दिया. उन्होंने रामसिंह बिश्नोई के पुत्र परसराम बिश्नोई को अध्यक्ष घोषित किया. हालांकि सभा में परसराम बुड़िया के साथ खड़े रहे. बुड़िया ने परसराम के अध्यक्ष पद को ठुकराने पर धन्यवाद भी दिया.