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Rajasthan News: आंखों पर पट्टी बांधकर 11 साल की बच्ची पढ़ती है किताब, बता देती है दीवार के पीछे रखे सामान का नाम

Rajasthan News: भरतपुर में 11 साल  की बच्ची आंखों पर पट्टी बांधकर सब कुछ पढ़ लेती है. दीवार के आर-पार क्या वस्तु रखी है, उसे बता देती है. कलर और नोट को हाथ से टच कर उसके बारे में पूरी जानकारी देती है.  

Rajasthan News: आंखों पर पट्टी बांधकर 11 साल की बच्ची पढ़ती है किताब, बता देती है दीवार के पीछे रखे सामान का नाम
मेघा सिंह आंखों पर पट्टी बांधकर किताबें पढ़ लेती हैं.

Rajasthan News: भरतपुर जिले के बयाना क्षेत्र के गांव ब्रह्मवाद की जाटव बस्ती निवासी 11 वर्षीय मेघा सिंह हैं. सुबह 4 बजे से 5 बजे तक 1 घंटे रोजाना 4 महीने से मेडिटेशन करती हैं. पिछले 1 महीने से मेघा सिंह अपने भाई जिज्ञासु वर्मा के साथ आंखों पर पट्टी बांधकर किसी भी किताब को पढ़ देती हैं. किताब में उकेरे गए रंग को भी बता देती हैं, यही नहीं दीवार के पीछे रखे सामान को सुबह 4 बजे से 5 बजे के बीच मेडिटेशन करती हैं, तब दीवार के पीछे रखी किसी भी वस्तु को नाम सहित बता देती हैं कि फल सामान कहां रखा हुआ है. 

बच्ची ने नोट को छूकर बता दिया सबकुछ  

यही जानने के लिए एनडीटीवी राजस्थान की टीम बच्ची मेघा सिंह के घर पहुंची. बच्ची की आंखों पर कॉटन लगाकर पट्टी बांध दी गई. फिर सभी के सामने मेघा सिंह को किताब दी गई. उसने किताब को पढ़ा, जिसे देखकर सभी लोग हैरान रह गए. बच्ची को 10 रुपए का नोट दिया गया. बच्ची ने नोट छूकर सही बताने के साथ उसका नंबर भी बताया. इसके बाद बच्ची को एक कार्ड दिया गया, जिस पर लिखा नंबर और दूसरे कार्ड पर बने चित्र के बारे में जानकारी दी.

भरतपुर की मेघा सिंह बिना देखे पढ़े सबकुछ पढ़ लेती हैं.

भरतपुर की मेघा सिंह बिना देखे सबकुछ पढ़ लेती हैं.

मेघा सिंह 4 महीने से करती हैं मेडिटेशन   

बच्ची मेघा सिंह ने बताया कि वह क्लास 7वीं की छात्रा हैं. उसके पिता राजेंद्र प्रसाद सरकारी अध्यापक हैं. उसकी माता मीना कुमारी आंगनबाड़ी कार्यकत्री हैं. सुबह 4 से 5 बजे तक 1 घंटे रोजाना 4 महीने से मेडिटेशन कर रही हैं. परिजन को डेढ़ माह पहले बताया था. लेकिन, यह बात बताने पर परिजनों को विश्वास नहीं हुआ. जब मैं यह चीज करके बताई तो यह परिजन दंग रह गए. उसके बाद पिता ने अपने साथी टीचर के पास मुझे एक माह के लिए भेजा. मैं अपनी इस कला में निपुण हो गई.

मेघा सिंह के पिता को पता चला तो कराई ट्रेनिंग  

मेघा सिंह के पिता राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि बच्ची इस कार्य को देखकर वह दंग है.  एक महीने पहले उन्हें इस बारे में पता चला. उनके साथी शिक्षिका इस बारे में जानकारी रखती हैं. मैं अपनी बच्ची को उनके पास एक महीने के लिए भेजा. अब बच्ची सभी के सामने आंखों पर पट्टी बांधकर किताबों को पढ़ना और कलर को पहचाना आदि काम आसानी से कर लेती हैं. पहले बच्ची 2 घंटे ही पढ़ाई करती थी. लेकिन,  जब से यह कार्य करने लगी हैं, तब से वह अधिक पढ़ाई करने में ध्यान दे रही हैं.

मिड ब्रेन एक्टिवेशन' या 'थर्ड आई एक्टिवेशन' के लिए लिया प्रशिक्षण 

विशेषज्ञ बॉबी ताराचंद ने बताया कि इस कला को मिड ब्रेन एक्टिवेशन' या 'थर्ड आई एक्टिवेशन' कहा जाता है, इसके लिए एक अलग तरह की ट्रेनिंग होती है. इस प्रक्रिया से बच्चों का कॉन्फ़िडेंस लेवल बढ़ने के साथ उनमें एनर्जी क्रिएट होती है. इस प्रशिक्षण से बच्चों की सभी पांचों इंद्रियां जागृत होती है. वे गंध और स्पर्श की मदद से बंद आंखों से भी सब कुछ देख सकते हैं. इससे उनकी याददाश्त बढ़ती है. मानसिक एकाग्रता, आत्मविश्वास, और आईक्यू में भी सुधार होता है.

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