Bundi Tourism News: देशी-विदेशी सैलानियों और शहरवासियों के लिए जैतसागर झील में बोटिंग शुरू की गई है. जिला कलक्टर अक्षय गोदारा ने नौका विहार कर इस सुविधा का शुभारंभ किया. इस दौरान फ्रांस, इजरायल और जर्मनी से बूंदी घूमने आए विदेशी सैलानियों ने भी पहली बार शुरू हुई बोटिंग का लुत्फ उठाया. कुछ दिनों पहले NDTV ने झील की बदहाली को लेकर ग्राउंड रिपोर्ट दिखाई थी. उसके बाद प्रशासन हरकत में आ गया और घाटों सहित झील में मौजूद कमल झड़ की मजदूरों को लगाकर साफ सफाई शुरू करवा दी है. ड्रोन से लिए गए वीडियो में देखा जा सकता है कि झील में सफाई और चलती बोटिंग अपने आप में खूबसूरत लग रही है.
20 साल बाद फिरसे शुरू हो रही बोटिंग
जिला कलेक्टर अक्षय गोदारा ने कहा कि शहर में आने वाले पर्यटक झील को देखने के साथ-साथ नौकायन का भी लुप्त उठाएंगे. वहीं जंगल सफारी में आने वाले पर्यटक झील का आनंद ले सकेंगे. उन्होने बताया कि पर्यटन क्षेत्र में बूंदी को आगे बढ़ाने की दृष्टि से इस क्षेत्र में जिप लाइन स्थापित करने सहित अन्य गतिविधियों के प्रस्ताव भी लिए गए हैं. जिनके शामिल होने से पर्यटन तेजी से बढ़ेगा.
जिला कलेक्टर ने कहा कि जैतसागर चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा होने से झील का प्राकृतिक सौंदर्य सबको आकर्षित करता है. बूंदी महोत्सव के दौरान देशी-विदेशी पर्यटकों और आमजन के लिए वोटिंग सुविधा शुरू की गई है.
उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में झील के पूरे क्षेत्र को साफ कर बोटिंग का एरिया बढ़ाया जाएगा. मशीन के माध्यम से झील से कमल जड़ों को साफ करवाने का काम करवाया जाएगा. 20 साल पहले इस झील में बोटिंग शुरू हुई थी जो कुछ दिन बाद बंद हो गई. अब फिर से बोटिंग शुरू होने से पर्यटन को पंख लगेंगे.
15 KM की जंगल सफारी का नया रूट
महोत्सव के तहत आयोजित गतिविधियों के तहत रामगढ़ वन्य जीव अभयारण्य में नए रूट की शुरूआत की गई है. जिला कलक्टर ने 15 किलोमीटर के रूट का भ्रमण किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि आने वाले बूंदी उत्सव में देशी-विदेशी सैलानियों का पूरा एक दिन जंगल सफारी के नाम रहेगा. उन्होंने कहा कि वन विभाग की ओर से इस कार्य पर काफी मेहनत की गई , जो सराहनीय है.
जंगल सफारी के नए रूट पर सैलानी सूरज छतरी, शिकार बुर्ज, प्राकृतिक ऐतिहासिक विरासत और वन्य जीव का अवलोकन कर सकेंगे. उन्होंने बताया कि जंगल सफारी को ठीकरदा तालाब तक बढ़ाने की कार्य योजना तैयारी की जा रही है. इस मौके पर उपवन संरक्षक RVTR संजीव शर्मा ने बताया कि नौका विहार के लिए 225 रुपये प्रति व्यक्ति का शुल्क निर्धारित किया गया.
जैतसागर झील का इतिहास
बूंदी पर्यटन अधिकारी प्रेम शंकर सैनी ने बताया कि जैता मीणा के नाम से इस झील का नाम जैतसागर रखा गया. फिर जेत सागर झील को खूबसूरत बनाने में महाराव सूरजमल की माताजी जयवती का योगदान रहा. उन्होंने झील के किनारे 1568 ईस्वी में पक्की दीवार बना कर खूबसूरत बनाया. महाराव उम्मेद सिंह जब पूरे भारत में भ्रमण पर निकले तो उन्होंने कई कलाओं को देखने के बाद इन झीलों के अंदर भी विकास कार्य करवाए. इन झीलों में स्थापत्य, मूर्ति शिल्प, बनावट, ढलान लिए सीढ़ियों की संरचना देखते ही बनती है.
सीढ़ियों के बीच भाग में बना आकर्षक तोरण द्वार खास आकर्षण है. तोरण द्वार पर हाथियों का शिल्पांकन कमाल है. तोरण द्वार से नीचे आगे चलने पर दीवारों में दशावतार, नवगृह, सरस्वती और सिद्धि विनायक गणेश की प्रतिमाएं उत्कीर्ण हैं. दीवारों पर बनी 4 छतरियां भी शिल्पकला का सूंदर नमूना है.
ऐतिहासिक झीलों का स्वरूप खत्म होता जा रहा है. जिस प्रकार से उदयपुर, माउंट आबू, कोटा, अजमेर में जो शहर के बीचों बीच झील हैं, वैसे ही झील बूंदी में भी है. लेकिन लोकल प्रशासन की देखरेख के चलते यह बदहाल हो चुकी है. इसे अगर विकसित किया जाए तो बूंदी के पर्यटन में चार चांद लगेंगे.
कमल जड़े बन रही थी बाधक
पिछले दिनों बारिश के चलते जैतसागर झील पानी से लबालब है. झील के पानी की सतह कमल के पत्तों से ढकी हुई है. ऐसे में झील और आसपास के पर्यटन क्षेत्र में घूमने आने वाले सैलानी प्राकृतिक सौंदर्य का दीदार नहीं कर पाते हैं. रामगढ़ अभ्यारण का शहर से प्रवेशद्वार और प्रमुख पर्यटनस्थल है. झील में कमल जड़ों का साम्राज्य है, 90% से अधिक हिस्से कमल जड़ें फैल गई है.
3 किलोमीटर में फैली झील की गहराई 17 फीट है, 1989 में पहली बार कमल दिखाई दिया धीरे-धीरे इसका विस्तार होता गया. टाइगर हिल की गोद में बनी यह झील और उसके आसपास का नजारा इतना मोहक है कि माउंट आबू की नक्की झील की तरह आभा दिखाता है. चौतरफा पहाड़ों से घिरी जैतसागर झील सैलानियों को रोमांचित करती है.
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