
Rajasthan: ब्याज माफिया से परेशान व्यापारी राजेश शर्मा (55) ने सोमवार को जयपुर ट्रांसपोर्ट थाने में घुसकर खुद पर तेल छिड़ककर आग लगा लिया, जिसमें वह 55% झुलस गया था. व्यापारी के परिवार का आरोप है कि राजेश ने अपने बिजनेस पार्टनर कैलाश माहेश्वरी से 1.50 करोड़ रुपए कर्ज लिया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कैलाश ने राजेश को 22.60 प्रति सैकड़ा के हिसाब से ब्याज ले रहा था. इसके अनुसार हर महीने 3.90 लाख रुपए हर महीने वसूल रहा था.
1.17 करोड़ रुपए ब्याज दे चुका था
राजेश 30 महीने में 1.17 करोड़ रुपए ब्याज दे चुका था. इसके बाद भी मूल अब भी 1.50 करोड़ रुपए बाकी था. राजेश मई और जून का ब्याज नहीं चुका पाया तो कैलाश शनिवार 28 जून को उसके घर पहुंच गया, और बीवी-बच्चों के सामने राजेश को गाली-गलौज की. आरोप है कि व्यापारी आहत होकर थाने में खुद को आग लगा लिया. परिवार वालों का आरोप है कि पुलिस कार्रवाई करती तो राजेश ऐसा नहीं करता.
कर्ज की वजह से बेच दिया था घर
राजेश के छोटे भाई अशोक शर्मा ने बताया कि उसके भाई ने कर्ज की वजह से अपना एक घर बेच दिया था. सेठी कॉलोनी में रह रहा था. वह तीन साल पहले कैलाश माहेश्वरी के साथ मिलकर प्रॉपर्टी का काम करते थे. राजेश ने करीब ढाई साल पहले कैलाश से ब्याज पर रुपया लेकर आगरा रोड पर जटवाड़ा के पास 75 बीघा जमी में निवेश किया था. उसने अपने जानने वाले के नाम एग्रीमेंट करवाया था.
कैलाश ने उधार रुपए देने के बाद राजेश की खरीदी जमीन में साझेदारी कर ली. साथ ही झांसा लेकर जमीन की पॉवर ऑफ अटॉर्नी खुद के नाम करवा ली. राजेश ने उधार लिए गए रुपए को जमीन के डवलपमेंट में खर्च किए थे.
पंजीकृत कंपनियां ही कर्ज दे सकती हैं
सीए तरुण अग्रवाल ने बताया, "भारतीय कानून के अनुसार, जो कोई भी लाभ के लिए ऋण देता है, उसे या तो भारतीय रिजर्व बैंक से NBFC के रूप में पंजीकृत होना चाहिए या राज्य सरकार के अंतर्गत मनी लेंडर एक्ट के तहत लाइसेंस प्राप्त होना चाहिए. बिना लाइसेंस के ब्याज पर रुपए देना गैर कानूनी है. एनबीएफसी के लिए अधिकतम व्याज दर पर कोई निर्देश नहीं हैं. हालांकि, एनबीएफसी को पारदर्शिता रखने और लोन एग्रीमेंट में ग्राहकों को जानकारी स्पष्ट देने के निर्देश हैं. उल्लंघन पर कंपनी का लाइसेंस रद्द हो सकता है. कोई बगैर लाइसेंस लोने देने का काम रहा है तो उस पर केस हो सकता है. यह अपराध है."
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