जिले के तलवाड़ा स्थित 11 वीं शताब्दी का श्री सिद्धी विनायक मंदिर में गणेश चतुर्थी के मौके पर भक्तों को पूजा-अर्चना के लिए साल भर पहले बुकिंग करवानी पड़ती है. भगवान गणेश का यह एक मात्र ऐसा मंदिर हैं, जहां पर 282 स्वर्ण शिखर हैं. यहां कृष्ण जन्मोत्सव की तरह गणेश जन्मोत्सव को मनाने की भी परंपरा है. इस मौके पर मंदिर में भगवान गणेश को पालने में झुलाया जाता है.
इसे गणेश मंदिर की लोकप्रियता ही कहेंगे कि भक्त गणेश चतुर्थी पर विशेष पूजा-अर्चना के लिए साल भर पहले से बुकिंग करवा लेते हैं. इस मंदिर को आमलिया गणेश मंदिर भी कहा जाता है, क्योंकि यहां विराजे गणेशजी की प्रतिमा पहले एक इमली के पेड़ के नीचे थी.
10 दिवसीय गणेशोत्सव की शुरुआत में मंगलवार को गणेश चतुर्थी पर सुबह 5.30 बजे से विधि विधान के साथ महापंचामृत मस्तकाभिषेक किया गया. इसके बाद 7 बजे से श्रृंगार एवं मंगला आरती, दोपहर 12 बजे गणेश जन्मोत्सव मनाया गया. दोपहर 1 बजे महा पूजा एवं सहस्त्रावर्तन के बाद शाम 4 बजे से भजन-किर्तन, महाआरती व प्रसाद वितरण कि बांसवाड़ा जिले में दस दिवसीय गणेशोत्सव की धूम आज से शुरू हो गई है.
तलवाड़ा स्थित प्रसिद्ध सिद्धि विनायक मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लग जाता है, जहां हजारों भक्त शहर से सुबह पैदल यात्रा कर दर्शन करने पहुंचते हैं. इसी तरह शहर के मध्य नई आबादी स्थित सिद्धि विनायक मंदिर में भी भक्तों का सैलाब उमड़ता है और हजारों भक्त सुबह से ही भगवान लंबोदर के दर्शन के लिए लालायित नजर आए. दिन भर यहां भक्तों का तांता लगा रहेगा और रात को महा आरती की जाएगी जिसके साक्षी हजारों श्रद्धालु रहेंगे.
घर घर विराजेंगे विघ्नहर्ता
महाराष्ट्र राज्य की तरह बांसवाड़ा जिले में भी अमूमन हर चौक और हर घर में विघ्नहर्ता को 10 दिन तक स्थापित किया गया है और 10 दिन पूजा-अर्चना के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन हजारों गणेश प्रतिमाओं का भव्य जुलूस निकाला जाएगा, जिसमें छोटी-बड़ी 10 हजार से अधिक गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन गाजे बाजे के साथ विभिन्न जलाशयों में किया जाएगा.