Opium Policy News: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के 20 हजार से अधिक अफीम काश्तकारों को केंद्र सरकार की ओर से जारी की जाने अफीम फसल नीति 2024-25 का इंतजार हैं. अफीम फसल नीति की घोषणा अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में शुरु हो जाने के बावजूद घोषित नहीं हो पाई है. साथ ही अफीम फसल नीति देरी से जारी होने पर अफीम उत्पादन में भी इसका असर दिखाई दे सकता हैं. केंद्र सरकार सितंबर माह में अफीम फसल नीति जारी कर देती हैं, लेकिन इस बार देरी हो रही हैं.
अफीम नीति में देर से किसानों में आक्रोश
वहीं अफीम नीति घोषित होने में देरी के कारण किसानों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. इस संबंध में किसानों का कहना है कि अफीम नीति में देरी करना कहीं साजिश का हिस्सा तो नहीं है, क्योंकि देरी से पट्टा मिलने पर किसान औसत नहीं दे पायेगा और उसका लाइसेंस निरस्त हो जायेगा. इधर किसानों ने अफीम नीति को जल्द घोषित करने की मांग उठाई है और इसे लेकर वित्त मंत्री, प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष को पत्र भी लिखे गये हैं.
विधायक ने वित्त मंत्री को लिखा पत्र
अफीम फसल नीति 2024-25 को लेकर निम्बाहेड़ा विधायक श्रीचंद कृपलानी ने केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिखकर अविलम्ब अफीम फसल नीति जारी करने की मांग की हैं. इधर पूर्व सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना ने भी वित्त मंत्री को पत्र लिखकर अफीम नीति जारी करने की मांग की हैं.
पॉलिसी के बाद मिलती हैं बुवाई की परमिशन
अफीम किसानों ने बताया कि अफीम फसल नीति जारी होने के बाद किसान अफीम फसल कि बुआई कर सकेगा. पॉलिसी जारी होने के बाद अफीम किसानों को कागजी कार्यवाही पूरी करने के बाद विभाग द्वारा अफीम बुआई की परमिशन दी जाती हैं. चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ जिले समेत एमपी के नीमच, मंदसौर जिले में भी बड़े पैमाने पर अफीम फसल की खेती की जाती हैं. अफीम किसानों ने बताया कि इन इलाकों में 70 से 80 हजार अफीम किसान अफीम की खेती करते हैं.
अफीम का बीमा करने की उठी मांग
अफीम किसानों ने अपनी मांगो को बताते हुए कहा कि महंगी अफीम की फसल का भी बीमा किया जाना चाहिए ताकि किसानों को क्षतिपूर्ति मिल सके. उन्होंने प्राकृतिक आपदा, काली मस्सी, कोहरा, पाला गिरने, ओलावृष्टि, धोली मस्सी, बेमौसम बरसात जैसी आपदा पर नुकसान होने पर किसानों को प्रत्येक 10 आरी पर 25 हजार रूपये के मुआवजे का प्रावधान किया जाना चाहिए.
डोडाचुरा को निकाले एनडीपीएस एक्ट से बाहर
किसानों ने सीपीएस जैसी खेती को बंद करने के साथ-साथ डोडाचूरा को भी एनडीपीएस एक्ट से बाहर निकालने की बात की है. उनका कहना है कि डोडाचूरा में महज 0.2 प्रतिशत ही मॉर्फिन की मात्रा होती है, जबकि वैद्य नशे की गोलियों में 5 से 10 एमजी तक का नशा रहता है.
किसानों का कहा कि वह कड़ी धूप और मौसम की मार को झेलकर डोडाचूरा वेस्ट मटेरियल के रूप में बेचता है, तो उस पर एनडीपीएस का मुकदमा बना दिया जाता है. इस लिए किसानों का कहना है कि या तो सरकार इसे खरीदना शुरु करे या एनडीपीएस एक्ट से डोडाचूरा को बाहर किया जाये.