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This Article is From Dec 15, 2024

Cheetah Corridor: पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट चीता कॉरिडोर में कैलादेवी टाइगर रिजर्व सेंचुरी शामिल, विकास की तेज गति से पर्यटन बनेगा आकर्षक

Karauli News: पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट चीता कॉरिडोर में करौली को जगह मिलने के बाद से लोगों में खुशी का माहौल है.इससे आस लगाई जा रही है कि जिले में अब पर्यटन के क्षेत्र में भारी विकास देखने को मिलेगा.और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.

Cheetah Corridor: पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट चीता कॉरिडोर में कैलादेवी टाइगर रिजर्व सेंचुरी शामिल, विकास की तेज गति से पर्यटन बनेगा आकर्षक
कैलादेवी टाइगर रिजर्व सेंचुरी

Kailadevi Wild Life Sanctuary: राजस्थान के करौली कैलादेवी टाइगर रिजर्व अभ्यारण्य को 22 जिलों से जोड़ दिया गया है. इस अभ्यारण्य को चीता कॉरिडोर से जोड़ने के बाद इसकी एक अलग पहचान बनेगी. इसके चलते इस कॉरिडोर के बनने से विकास की उम्मीद बढ़ेगी. इस कॉरिडोर का दायरा डेढ़ हजार से दो हजार किलोमीटर तक फैला होगा. देश के सबसे बड़े केला देवी अभ्यारण्य को चीता कॉरिडोर में शामिल किया गया है.

कैलादेवी अभ्यारण्य को मिलेगी नई पहचान

कैलादेवी टाइगर रिजर्व पहले से ही रणथंभौर टाइगर रिजर्व का हिस्सा है. यहां बाघों की मौजूदगी इसे खास बनाती है, लेकिन अब तेंदुए भी इस अभ्यारण्य का हिस्सा बनने जा रहे हैं. इससे न सिर्फ अभ्यारण्य की जैव विविधता बढ़ेगी, बल्कि यह पर्यटकों के लिए और भी आकर्षक बन सकेगा.

पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट में हुआ शामिल

करौली के उपवन संरक्षक (DFO) पीयूष शर्मा ने इस उपलब्धि को जिले के लिए गर्व का विषय बताया. उन्होंने कहा, "कैलादेवी अभयारण्य में बाघ पहले से ही मौजूद हैं, लेकिन अब चीता जैसी विशेष प्रजाति का यहां आना करौली जिले के लिए ऐतिहासिक होगा. यह प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो भारत में चीता पुनर्वास की दिशा में एक बड़ा कदम है."

पर्यटन और रोजगार में होगा इजाफा

चीता कॉरिडोर से जुड़े करौली जिले में पर्यटन को नए आयाम मिलेंगे. यह पहल खासकर करौली जैसे पिछड़े जिले के लिए आर्थिक और सामाजिक विकास का जरिया बनेगी. स्थानीय समुदाय के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, जैसे टूरिस्ट गाइड, होटल, स्थानीय हस्तशिल्प और इको-टूरिज्म से जुड़े नए व्यवसाय विकसित होंगे.

करौली को मिलेगा विकास का नया अवसर

करौली जिले में खनन जैसे पारंपरिक रोजगार के विकल्पों के अलावा पर्यटन को बढ़ावा देने की यह योजना एक मील का पत्थर साबित हो सकती है. चीते की मौजूदगी से न केवल वन्यजीव प्रेमियों को एक अनोखा अनुभव मिलेगा, बल्कि जिले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान भी मिलेगी. करौली का चीता कॉरिडोर से जुड़ना न केवल जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आर्थिक और सामाजिक विकास के नए रास्ते भी खोलेगा. यह पहल करौली को विकास की मुख्यधारा में लाने में अहम भूमिका निभाएगी.

क्या है चीता कॉरिडोर

चीता कॉरिडोर देश में चीता फैमिली को बढ़ाने के लिए चलाया जा रहा है. इसमें  मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे देश के तीन बड़े राज्यों को मिलाकर सबसे बड़ा चीता कॉरिडोर बनाया जाएगा. जानकारी के अनुसार दिसंबर महीने में ही  राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच इसके लिए MOU होने वाला है. यह चीता कॉरिडोर 1500 से 2000 किलोमीटर के क्षेत्र में बनाया जाएगा. इसमें इन तीनों राज्यों के 22 जिलों को शामिल किया गया है. इनमें से एक कोरोली भी है.

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