
Rajasthan News: राजस्थान के सीकर ज़िले में रींगस के एक लोक देवता शमशानिया भैरव बाबा के नाम पर बिना अनुमति ऑनलाइन पूजा करवाने के आरोप लगे हैं. मंदिर कमेटी ने आरोप लगाया है कि 'श्री मंदिर ऐप' नाम की एक कंपनी ने पूजा करवाने के नाम पर हजारों भक्तों से लाखों रुपये चढ़ावे के रूप में वसूले लेकिन मंदिर कमेटी को इसकी कोई जानकारी नहीं है. हालाँकि, इस ऐप को बनानेवाली कंपनी ने इस आरोप का खंडन किया है और कहा है कि उन्होंने मंदिर से संपर्क करने के बाद ही श्रद्धालुओं के लिए यह सुविधा शुरू की. कंपनी के संस्थापक तथा सीईओ प्रशांत सचान ने एनडीटीवी को बताया कि श्री मंदिर ऐप ने नवंबर 2022 से अप्रैल 2025 तक इस मंदिर में सेवा दी है और इस अवधि में उन्होंने 25,000 से ज़्यादा श्रद्धालुओं की सेवा की. इस दौरान इस ऐप के माध्यम से श्रद्धालुओं की 35,000 से ज़्यादा सामग्रियों के चढ़ावे के अनुरोधों को पूरा किया गया.
मंदिर कमेटी ने जताई हैरानी
हालांकि भैरव बाबा के नाम से ऑनलाइन पूजा करवाने के कंपनी के दावे के बारे में पूछे जाने पर मंदिर कमेटी ने हैरानी जताई. मंदिर कमेटी के वरिष्ठ सदस्य और पूर्व अध्यक्ष मामराज गुर्जर ने साफ तौर पर कहा कि किसी भी कंपनी को ऑनलाइन पूजा की इजाज़त नहीं दी गई है.
वहीं पुजारी फूल सिंह गुर्जर ने भी कहा- 'हमारे यहां ऑनलाइन पूजा की कोई व्यवस्था नहीं है. यहां भक्त खुद आकर बाबा के धोक लगाते हैं और पूजा करते हैं.'
बताया जा रहा है कि ऐप अधिकारी ने ऑनलाइन पूजा के लिए मंदिर कमेटी से MOU साइन कराने गए थे. लेकिन इसके लिए उन्हें मना कर दिया गया. हालाँकि, मंदिर कमेटी ने इस सिलसिले में पुलिस में कोई शिकायत नहीं की है.
ऐप निर्माता कंपनी का स्पष्टीकरण
मंदिर कमेटी के आरोपों पर इस ऐप की निर्माता कंपनी ऐप्स फॉर भारत (AppsForBharat) ने स्पष्टीकरण दिया है. कंपनी के संस्थापक तथा सीईओ प्रशांत सचान ने एनडीटीवी को बताया कि श्री मंदिर ऐप ने नवंबर 2022 से अप्रैल 2025 तक इस मंदिर में सेवा दी है और इस अवधि में उन्होंने 25,000 से ज़्यादा श्रद्धालुओं की सेवा की. इस दौरान इस ऐप के माध्यम से श्रद्धालुओं की 35,000 से ज़्यादा सामग्रियों के चढ़ावे के अनुरोधों को पूरा किया गया.
प्रशांत सचान ने कहा,"हर श्रद्धालु को उनके चढ़ावे का प्रमाण दिया गया, जिसमें उन्हें इसका वीडियो भी प्रदान किया जाता है. इस वीडियो में उनका नाम लिया जाता है और मंदिर में मुख्य देवता को अर्पित की जा रही वस्तुएँ दिखाई जाती हैं. इन वीडियो में मंदिर के सदस्य भी देखे जा सकते हैं. चढ़ावा अर्पित होने के बाद, संबंधित सामग्री (जैसे तेल, कपूर आदि) मंदिर के सदस्यों को सौंप दी गई."
प्रशांत सचान ने मंदिर प्रबंधन से पूजा की अनुमति के विषय पर भी स्थिति को स्पष्ट किया और बताया कि उन्होंने मंदिर का दौरा कर मंदिर कमेटी के वरिष्ठ सदस्य और पूर्व अध्यक्ष मामराज गुर्जर से कई बार व्यक्तिगत रूप से मुलाक़ात की. उन्होंने कहा,"हमने एक औपचारिक समझौता करने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने हमें बताया कि मंदिर की कोई हस्ताक्षरकर्ता संस्था नहीं है, इसलिए वे कोई लिखित दस्तावेज़ प्रदान नहीं कर सकते. लेकिन उन्होंने हमें चढ़ावे की सेवा जारी रखने और श्रद्धालुओं द्वारा अर्पित तेल, पेड़ा व कपूर मंदिर को सौंपने की अनुमति दी."
सचान ने बताया कि कंपनी ने मंदिर की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए तेल की बोतलों का आकार 100 मि.ली. से बढ़ाकर 1 लीटर कर दिया, ताकि उसका उपयोग मंदिर में आसानी से किया जा सके. वो कहते हैं,"हमने मंदिर को 2000 लीटर तेल, 150 किलो पेड़ा और 400 पैकेट कपूर प्रदान किए हैं. हमारे पास इन सभी सामग्रियों की जीएसटी बिल रसीदें और प्रमाण उपलब्ध हैं."
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