
Rajasthan News: राजस्थान की राजधानी जयपुर की टूटी-फूटी सड़कों और हर बारिश में जलभराव की समस्या अब सिर्फ जनता ही नहीं, बल्कि हाईकोर्ट की नजर में भी आ गई है. मीडिया रिपोर्ट्स में आए हालात को देखते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने खुद इस पर स्वतः संज्ञान लिया है और साफ कहा है कि जयपुर की सड़कों की बदहाली और पानी की निकासी की लचर व्यवस्था से शहर की अंतरराष्ट्रीय पहचान को नुकसान पहुंच रहा है.
हाईकोर्ट ने प्रशासन से मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य के मुख्य सचिव, यूडीएच (शहरी विकास) के प्रमुख सचिव, जेडीए कमिश्नर और जयपुर हेरिटेज व ग्रेटर नगर निगम आयुक्तों को नोटिस भेजकर चार हफ्ते में जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा- 'अगर हालात यूं ही चलते रहे तो जयपुर अपनी सुंदरता खोकर एक डूबता हुआ शहर बन जाएगा.'
खराब सड़कों के पीछे घटिया निर्माण जिम्मेदार
कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि शहर में पर्याप्त बजट होने के बावजूद घटिया सामग्री और तकनीक से सड़कें बनती हैं, जो एक-दो बारिश में ही उखड़ जाती हैं. यह जनता के टैक्स के पैसों की सीधी बर्बादी है.
दोषी अधिकारियों के नाम बताने के निर्देश
हाईकोर्ट ने कहा कि जिन अधिकारियों ने घटिया काम के बावजूद ठेकेदारों के बिल पास किए या निरीक्षण के बिना भुगतान किया, उनके नाम बताए जाएं. साथ ही चार हफ्तों में शहर की सड़कों की मरम्मत, जलभराव रोकने और सीवरेज सुधार के लिए एक स्थायी कार्ययोजना पेश करने को कहा है.
सीएम भजनलाल के निरीक्षण के बाद फैसला
हाईकार्ट ने यह संज्ञान बुधवार देर शाम राजस्थान सीएम के खुद मौके पर पहुंचकर निरीक्षण के बाद लिया है. मुख्यमंत्री का दौरा जवाहर सर्किल से शुरू हुआ था. वहां से वे बी-2 बाइपास रोड होते हुए फन किंगडम, महारानी फार्म, विजय पथ, मध्यम मार्ग और एसएफएस चौराहा पहुंचे. इसके बाद मुख्यमंत्री ने सांगानेर स्थित सीएम कैंप कार्यालय का निरीक्षण किया. मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रहकर जलभराव और यातायात अवरोध जैसी समस्याओं के त्वरित समाधान के निर्देश दिए.
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