
Rajasthan News: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में इंसान और जानवर के बीच प्रेम का एक अनोखा मामला सामने आया है. यहां भदेसर क्षेत्र के धीरजी का खेड़ा गांव में एक बंदर की मौत के बाद पूरा गांव शोक में डूब गया. ग्रामीणों ने सिर्फ उसकी मौत का मातम ही नहीं मनाया, बल्कि इंसान की तरह उसका अंतिम संस्कार भी किया, जिसमें अंतिम यात्रा, मुंडन, पिंडदान और अस्थि विसर्जन जैसी सभी रस्में पूरी की गईं.
दो साल से था गांव वालों का साथी
जानकारी के अनुसार, पिछले दो साल से यह बंदर गांव के खाखल देव मंदिर में रह रहा था. इन दो सालों में उसने कभी किसी पर हमला नहीं किया और धीरे-धीरे पूरे गांव का चहेता बन गया. गांव वालों से उसका इतना गहरा लगाव हो गया था कि वह खुद उनके पास आकर बैठ जाता था. छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी उसे परिवार के सदस्य की तरह मानते थे.
आरती में शामिल होता था बंदर
बंदर भी गांव के लोगों से घुल-मिल गया था. वह अक्सर मंदिर में होने वाली आरती में ग्रामीणों के साथ शामिल होता था. जब भी उसे भूख लगती, वह किसी भी घर में चला जाता और लोग उसे प्यार से खाना खिलाते थे. खाना खाने के बाद वह चुपचाप वापस मंदिर लौट आता था.
अंतिम संस्कार में निभाई गईं इंसान वाली रस्में
पिछले कुछ दिनों से बंदर बीमार था और बुधवार को उसकी मौत हो गई. जैसे ही यह खबर गांव में फैली, शोक की लहर दौड़ गई. ग्रामीणों ने मिलकर फैसला लिया कि वे बंदर का अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ करेंगे. अंतिम संस्कार की सभी रस्में वैदिक रीति-रिवाजों से निभाई गईं, ठीक वैसे ही, जैसे किसी इंसान के निधन पर की जाती हैं.
11 लोगों ने किया मुंडन और पिंडदान
अंतिम संस्कार के बाद गांव के 11 लोगों ने मुंडन संस्कार भी करवाया, जो कि किसी करीबी के निधन पर किया जाता है. इसके अलावा, उसका पिंडदान भी किया गया. यह यहीं नहीं रुका, ग्रामीणों ने उसकी अस्थियों को मातृकुंडिया ले जाकर विधि-विधान से विसर्जित भी किया. इस घटना की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है.
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