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This Article is From Oct 29, 2024

Choti Diwali 2024: छोटी दीपावली को नरक चतुर्दशी क्यों कहा जाता है? जानिए यम का दीया जलाने का महत्व

Choti Diwali 2024: छोटी दीपावली को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. इस दिन रात में यम का दीया जलाने की भी परंपरा है.

Choti Diwali 2024: छोटी दीपावली को नरक चतुर्दशी क्यों कहा जाता है? जानिए यम का दीया जलाने का महत्व
छोटी दीपावली को यम का दीया जलाने की क्या है कहानी.

Choti Diwali 2024: इस समय पूरे देश में दीपावली का उत्साह है. मंगलवार को धनतेरस की धूम देखी जा रही है. धनतेरस को लेकर बाजारों में खूब रौनक है. धनतेरस के बाद कल दीपावली से ठीक एक दिन पहले नरक चतुर्दशी (Naraka Chaturdashi) मनाई जाएगी. इसे छोटी दीपावली, रूप चौदस और काली चतुर्दशी भी कहा जाता है. मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन विधि-विधान से पूजा की जाती है. इसी दिन शाम को घर के बाहर मृत्यु के देवता यमराज को दक्षिण दिशा में दीपदान किया जाता है. 

इस पर्व का जो महत्व है उस दृष्टि से भी यह काफी महत्वपूर्ण त्योहार है. यह पांच पर्वों की श्रृंखला के मध्य में रहने वाला एक अनोखा त्योहार है. इसे छोटी दीपावली इसलिए कहा जाता है क्योंकि दीपावली से एक दिन पहले रात के वक्त उसी प्रकार की रोशनी से रात को प्रकाश से अंधकार को दूर भगा दिया जाता है, जैसे दीपावली की रात को.

छोटी दीपावली कथा

इस रात दीए जलाने की प्रथा के संदर्भ में कई पौराणिक कथा है. एक कथा के अनुसार आज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी दुर्दांत असुर नरकासुर का वध किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कराकर उन्हें सम्मान प्रदान किया था. इस उपलक्ष में दीयों की रोशनी कर सजाया जाता है.

छोटी दीपावली की प्राचीन कथा

नरक चतुर्दशी के व्रत और पूजा के संदर्भ में एक अन्य कथा यह भी है कि रंति देव एक पुण्यात्मा और धर्मपरायण राजा थे. उन्होंने जाने-अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था लेकिन जब मृत्यु का समय आया तो उनके समक्ष यमदूत आये. यमदूत को सामने खड़ा देख राजा अचंभित हुए और बोले मैंने तो कभी कोई पाप किया ही नहीं  फिर आप लोग मुझे लेने क्यों आए हैं, आपके यहां आने का मतलब है कि मुझे नर्क जाना होगा. आप मुझ पर कृपा करें और बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है.

यह सुनकर यमदूत ने कहा कि हे राजन एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था, यह उसी पाप का फल है. इसके बाद राजा ने यमदूत से एक वर्ष समय मांगा. तब यमदूतों ने राजा को एक वर्ष की मोहलत दी. राजा अपनी परेशानी लेकर गुरू व ऋषियों के पास पहुंचे और उन्हें अपनी सारी कहानी सुनाकर उनसे इस पाप से मुक्ति का क्या उपाय पूछा.


तब गुरु ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्राह्मणों को भोजन करवा कर उनके प्रति हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें. राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने उन्हें बताया. इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ. उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है.

छोटी दिवाली का है विशेष महत्व

इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर  स्नान करने के पश्चात विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन करना करना चाहिए. इससे पाप कटता है और रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है. बुजुर्ग सदस्य एक दिया जला कर पूरे घर में घुमाता है और फिर उसे ले कर घर से बाहर कहीं दूर रख कर आता है. 

यम का दीया जलाने का क्या है महत्व?

घर के अन्य सदस्य अंदर रहते हैं और इस दिए को नहीं देखते. यह दीया यम का दीया कहलाता है. माना जाता है कि पूरे घर में इसे घुमा कर बाहर ले जाने से सभी बुराइयां और बुरी शक्तियां घर से बाहर चली जाती हैं. इसे रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है इस दिन महिलाएं अपने घर के साथ-साथ अपने सौन्दर्य को निखारती है. 

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