
Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा में मीडिया से बातचीत करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने प्रदेश की भजनलाल सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'सत्ता पक्ष के व्यवहार की आलोचना लायक है. मुख्यमंत्री और मंत्री नए थे, इसलिए कांग्रेस विधायक दल ने तय किया कि इन्हें काम करने का मौका देना चाहिए. लेकिन अब सरकार विपक्ष को दबाने की कोशिश कर रही है.'
'1 साल में कोई बड़ा प्रदर्शन नहीं किया'
गहलोत ने कहा, 'बीते 1 साल में कांग्रेस ने कोई बड़ा प्रदर्शन नहीं किया. हमें जो भी बात सरकार तक पहुंची होती थी, वो मीडिया के माध्यम से पहुंचाई. लेकिन सरकार में बैठे लोग ये नहीं समझ पाए कि हम उनका हित ही चाह रहे थे. हम चाहते हैं सत्ता पक्ष और विपक्ष ऐसे काम करे, जिससे पब्लिक को सीधा लाभ मिल सके. कहीं कोई कमी न रहे.ये हमारी सोच है. अब बीजेपी के ऊपर है कि वो कितना साथ निभाते हैं.'
'बिना विपक्ष के लोकतंत्र में पक्ष कुछ नहीं'
पूर्व सीएम ने राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के मामले का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, 'सदन से कांग्रेस के 6 सदस्यों को निष्कासित किया गया. उनसे व्यवहार किया गया. विपक्षी दल को उनके समर्थन में धरना तक देना पड़ा. लेकिन सत्ता पक्ष ने बिना विपक्ष के सदन की कार्यवाही शुरू कर दी. ये रवैया लोकतंत्र के लिए सही नहीं था. ये अनुभव की कमी है. निष्कासन को लेकर हमारी भी चर्चा हुई है, क्योंकि बिना विपक्ष के लोकतंत्र में पक्ष का कोई अस्तित्व नहीं होता.'
'AAP-BJP को लोकतंत्र में यकीन नहीं है'
गहलोत ने पंजाब में जारी किसान आंदोलन को लेकर आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि इन दलों को लोकतंत्र में यकीन नहीं है. उन्होंने कहा, 'यह दुनिया का सबसे बड़ा किसान आंदोलन है. पहले भी केंद्र सरकार ने किसानों से वादे किए, लेकिन उन्हें निभाया नहीं गया. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा दिया जाएगा, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ. सरकार को किसानों की मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए.'
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