Congress New Year Resolution: साल 2023 कांग्रेस के लिए 2024 के लिहाज से किसी झटके से कम नहीं कहा जा सकता है. साल 2023 के अंत में हुए पांच विधानसभा चुनावों में कांग्रेस हिंदी बेल्ट के राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सत्ता खो दी. कांग्रेस अब पूरा फोकस 18वीं लोकसभा चुनाव पर है, जिसके लिए पार्टी ‘आर या पार' के लिए तैयार है. साल 2022-23 कांग्रेस के लिए तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में सफलता भी लेकर आई, जहां उसने सीधे तौर पर भाजपा को कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में हराया और दक्षिणी राज्य तेलंगाना में सरकार बनाने में कामयाब रही.
साल 2024 में एक ओर जहां नरेन्द्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी हासिल करके पंडित जवाहर लाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी करने की उम्मीद कर रहे हैं, तो वर्ष 2024 को लोग कांग्रेस के लिए उसकी 138 साल की यात्रा में सबसे कठिन अवधि में से एक के रूप में भी देख रहे हैं.
वर्ष 1984 में रिकॉर्ड 414 लोकसभा सीट जीतकर कांग्रेस के अपने चुनावी शिखर को छूने के चार दशक भी पूरे हो जाएंगे. संसद के निचले सदन में कांग्रेस के केवल 48 सदस्य ही हैं और इस प्रकार पार्टी को पिछले 10 वर्षों में लगातार गिरावट देखने को मिली है.
माना जा रहा है कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे हिंदी-भाषी राज्यों में भाजपा के हाथों सत्ता गंवाने और मध्य प्रदेश में सत्ता में वापसी में विफल रहने वाली कांग्रेस जब सीट बंटवारे को लेकर बातचीत करेगी तो उसकी स्थिति कमजोर नजर आएगी. हार के कारण कांग्रेस का आकलन पूरी तरह से बिगड़ चुका है, क्योंकि वह 2022 में हिमाचल प्रदेश और 2023 में कर्नाटक विधानसभा चुनावों में जीत से प्राप्त गति बनाए रखने की उम्मीद कर रही थी. तेलंगाना में जीत बोनस कहा जा सकता है.
वर्ष 2024 के आम चुनावों से ठीक पहले इस हार के पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए भी निराशाजनक साबित होने की संभावना है, क्योंकि हिंदी भाषी राज्य चुनाव परिणाम निर्धारित करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं. वर्ष 2019 में भाजपा ने हिंदी पट्टी में 141 सीट पर जीत हासिल की थी, जो इस क्षेत्र की कुल सीट का 71 फीसदी था.
हिमाचल को छोड़ दें तो हिंदी पट्टी से कांग्रेस का लगभग सफाया हो गया है. अब कांग्रेस को मतदाताओं को अपने पक्ष में लुभाने के लिए नई योजनाएं तैयार करने की जरूरत होगी. भाजपा ने कांग्रेस की मुफ्त योजनाओं और जातिगत गणना के मुद्दे की काट के तौर पर क्रमशः ‘मोदी की गारंटी' और प्रधानमंत्री की ‘चार जातियों- महिलाओं, युवाओं, गरीबों और किसानों' को खड़ा किया है.
यात्रा 14 जनवरी को मणिपुर से महाराष्ट्र तक हाइब्रिड (बस और पैदल) शुरू होगी और 14 राज्यों से होकर गुजरेगी. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे यात्रा को इंफाल से हरी झंडी दिखाएंगे. यह यात्रा नगालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात व महाराष्ट्र से गुजरकर 6,200 किमी की दूरी तय करेगी.
भारत न्याय यात्रा को अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. लोकसभा चुनावों की घोषणा यात्रा के अंतिम चरण के वक्त हो सकती है. कांग्रेस ने चुनाव की अपनी तैयारी दर्शाते हुए स्थापना दिवस के अवसर पर नागपुर में ‘हैं तैयार हम' रैली आयोजित की थी.
कांग्रेस को उम्मीद है कि वह 2024 के चुनावों के लिए वैकल्पिक सकारात्मक एजेंडे पर काम करेगी और भाजपा के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एकजुट करेगी. नए साल में प्रवेश करते ही पार्टी का मार्गदर्शक सिद्धांत उसके ‘रायपुर प्रस्ताव' में निहित है, जिसमें लिखा है, ‘‘धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी ताकतों की एकता कांग्रेस पार्टी के भविष्य की पहचान होगी.
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