Rajasthan News: विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के साथ ही राजस्थान में सियासी बिसात बिछनी शुरू हो गई है. सोमवार को कांग्रेस के पूर्व विधायक रिछपाल सिंह मिर्धा (Richpal Singh Mirdha) के भी एक बयान सामने आया है जिसने राजस्थान की सियासी गलियों में अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है. मिर्धा ने कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ज्वाइन करने वालीं ज्योति मिर्धा (Jyoti Mirdha) के प्रचार में जाने की बात कहकर नागौर के सियासी हलकों में तूफान ला दिया है. इससे उन अटकलों को बल मिला है, जिसमें कहा जा रहा था कि मिर्धा परिवार के भाजपा के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रख रहा है.
कार्यकर्ताओं ने मांगी इजाजत
दरअसल, वीर तेजाजी बोर्ड के अध्यक्ष बनने के बाद रिछपाल मिर्धा पहली बार डेगाना (Degana) पहुंचे थे. यहां उन्होंने सभा को संबोधित किया. सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने ऐसी बात कह दी, जिसके अलग-अलग सियासी मायने निकाले जाने लगे. रिछपाल मिर्धा ने कहा कि अगर मेरी बेटी ज्योति मिर्धा चुनाव लड़ती है तो मुझे 2-4 दिन के लिए वहां जाना पड़ेगा. यह कहते हुए उन्होंने कार्यकर्ताओं से इजाजत भी ली, और पूछा, 'मुझे आपकी इजाजत चाहिए. इजाजत तो है न? वैसे मेरे लिए पार्टी-वार्टी की कोई बंदिश नहीं है. मैं तो बिल्कुल खुल्ला हूं आपकी तरफ से. आप मेहरबानी रखिएगा.'
जाट वोट बैंक पर अच्छी पकड़
रिछपाल मिर्धा के इस बयान के बाद से सियासत तेज हो गई है. नागौर के इलाके में मिर्धा परिवार का मजबूत दबदबा है. खासकर जाट वोट बैंक पर परिवार की अच्छी पकड़ है. ज्योति मिर्धा के भाजपा में जाने के बाद इस वोट बैंक पर असर पड़ने का खतरा था. इसे देखते हुए आचार संहिता से ठीक पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रिछपाल मिर्धा को वीर तेजाजी बोर्ड का अध्यक्ष बनाया था. बीते कई दिनों से विजयपाल मिर्धा के भाजपा में जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं. हालांकि विजयपाल ने इसका खंडन किया था, लेकिन रिछपाल मिर्धा के इस बयान के बाद एक बार फिर कयासों का बाजार गर्म हो गया है.