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Constitution Day 2023: कौन हैं दिनेश गहलोत, घर का नाम है संविधान, लिपिका व समीक्षा रखा है बेटियों का नाम

संविधान के दीवाने डॉ. दिनेश गहलोत जोधपुर के सबसे प्रतिष्ठित जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में बतौर सहायक आचार्य के रूप में कार्यरत है. इन्होंने अपने घर का नाम भी 'संविधान' रखा है. यही नहीं, उन्होंनेअपनी दी बेटियों का नाम भी लिपिका ओर समीक्षा रखा है.

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Constitution Day 2023: कौन हैं दिनेश गहलोत, घर का नाम है संविधान, लिपिका व समीक्षा रखा है बेटियों का नाम
बेटियों के साथ डॉ. दिनेश गहलोत

Constitution Day 2023: संविधान दिवस हर वर्ष 26 नवंबर को मनाया जाता है. स्वतंत्र भारत के इतिहास में 26 नवंबर 1949 का यह दिन इतिहास में आज भी यादगार और ऐतिहासिक है. यह वही दिन है जब भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ था, और जब भारत में अपने संविधान को अपनाया था. 

गौरतलब है संवैधानिक मूल्यों के प्रति नागरिकों में सम्मान की भावना को बढ़ावा देने लिए प्रति वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता हैं. वहीं इस ऐतिहासिक दिन के लिए मिसाल है जोधपुर के डॉ. दिनेश गहलोत, जो न सिर्फ संविधान को पढ़ाते हैं,बल्कि संविधान को अपने दिल मे भी बसा रखा है.

संविधान के दीवाने डॉ. दिनेश गहलोत जोधपुर के सबसे प्रतिष्ठित जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में बतौर सहायक आचार्य के रूप में कार्यरत है. इन्होंने अपने घर का नाम भी 'संविधान' रखा है. यही नहीं, उन्होंनेअपनी दी बेटियों का नाम भी लिपिका ओर समीक्षा रखा है.

डॉ.दिनेश गहलोत की बड़ी लडक़ी का नाम लिपिका रखा है, जो कि एक सॉफ्टवेयर का नाम है. यह सॉफ्टवेयर इंग्लिश से हिंदी में अनुवाद करता है. वहीं छोटी बेटी का नाम समीक्षा रखा है, जो संविधान की व्याख्या के संदर्भ में उपयुक्त की जाती है. डॉ. गहलोत की संविधान के प्रति दीवानगी भी ऐसी है अपने घर आने वाले हर मेहमान को वह संविधान की प्रस्तावना प्रति भी भेंट करते हैं, डॉ दिनेश गहलोत ने अपने घर में ही एक संविधान लाइब्रेरी भी बना रखी है, जहां संविधान से जुड़ी कई प्रतियां और संविधान से जुड़े रोचक तथ्यों की संजोया है.

एनडीटीवी राजस्थान से खास बातचीत करते हुए डॉ. दिनेश गहलोत ने बताया कि 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान अधिनियमित हुआ था, तो इसी वजह से इस तिथि का अपने आप में बड़ा महत्व है. इस दिन भारतीय संविधान के 16 अनुच्छेद लागू हुए थे, इस वजह से पहले 26 नवंबर को विधि दिवस के रूप में मानते थे. वहीं, 2015 के बाद 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसके पीछे की मंशा यही है की संविधान के प्रति लोगों की आस्था व निष्ठा बढ़े मेरा व्यक्तिगत रूप से भी यह मानना है कि संविधान है तो हम हैं, संविधान है तो हमारा देश है.

डॉ. गहलोत की संविधान के प्रति दीवानगी भी ऐसी है अपने घर आने वाले हर मेहमान को वह संविधान की प्रस्तावना प्रति भी भेंट करते हैं. डॉ गहलोत ने घर में एक लाइब्रेरी भी बना रखी है, जहां संविधान से जुड़ी कई प्रतियां और संविधान से जुड़े रोचक तथ्यों की संजोया है.

डा. दिनेश ने कहा, मैंने मेरे घर का नाम भी संविधान इसीलिए रखा, ताकि आते-जाते लोगों को वह दिखे और लोग यह सोचें कि संविधान क्या है? क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि लोगों को संविधान की जानकारी नहीं होने से और संवैधानिक साक्षरता का अभाव होने से कई बार अनजाने में गलतियां हो जाती है. अगर संविधान के प्रति निष्ठा बढ़ेगी तो अपराधों में कमी आएगी यही सोचकर मैंने मेरे घर का नाम संविधान रखा, साथ ही,मेरी दो बेटियों का नाम भी लिपिका व समीक्षा रखा है.

डॉ. दिनेश ने कहा, मुझे विश्वविद्यालय में भी राजनीतिक विज्ञान विभाग में जब पढ़ने का मौका मिला, तब मैं भारतीय संविधान को भी पढ़ने का निश्चय किया और इस विषय में अध्यापन का कार्य कर रहा हूं.

डॉ गहलोत ने बताया कि वो उनके घर आने वाली हर एक मेहमान को भी संविधान की प्रस्तावना की प्रति भेंट करते हैं. इसके पीछे उनकी मंशा है कि लोग भारतीय संविधान की प्रस्तावना से परिचित हो सकें. उन्होंने कहा, भारत का संविधान इतना लंबा और इतना विस्तृत है, लेकिन प्रस्तावना की अगर 6 लाइन भी देख लें तो उससे भारतीय संविधान के उद्देश्य स्पष्ट हो जाते हैं. इस वजह से वो लोगों को प्रस्तावना की प्रति में उपहार के स्वरूप देते हैं.

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