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चंबल नदी में बढ़ा घड़ियालों का कुनबा, अंडों से बाहर निकले 181 नन्हें घड़ियाल

देवरी घड़ियाल प्रजनन केंद्र में चंबल नदी से एकत्रित किए गए 200 घड़ियाल अंडों में से 181 शावक सुरक्षित बाहर आ गए हैं. जिसमें से एक अंडा खराब हो गया है.

चंबल नदी में बढ़ा घड़ियालों का कुनबा, अंडों से बाहर निकले 181 नन्हें घड़ियाल

Dholpur News: राजस्थान के धौलपुर और मध्य प्रदेश के मुरैना जिले की सीमा में बहने वाली चंबल नदी से जलीय जीव प्रेमियों के लिए खुशखबरी सामने आई है. देवरी घड़ियाल प्रजनन केंद्र में चंबल नदी से एकत्रित किए गए 200 घड़ियाल अंडों में से 181 शावक सुरक्षित बाहर आ गए हैं. जिसमें से एक अंडा खराब हो गया है.  इसके बाद अब पशु विशेषज्ञ को इन 18 अंडों के रिकॉल का इंतजार हैं. उसके बाद इनकी हैकिंग की जाएगी. घड़ियाल के बच्चों के बढ़ा होने पर उन्हें चंबल नदी में घूमने के लिए छोड़ा जाएगा.  फिलहाल देवरी घड़ियाल प्रजनन केंद्र के कर्मचारी ही इन बच्चों के पालन-पोषण के लिए अनुकूल वातावरण, तापमान और भोजन-पानी उपलब्ध करा रहे हैं. चंबल नदी में इस वक्त घड़ियाल, मगरमच्छ और डॉल्फिन का कुनबा लगातार बढ़ रहा है.

200 मगरमच्छ के अंडों से निकले 181 बच्चे

200 मगरमच्छ के अंडों से निकले 181 बच्चे

मदर री कॉल पर निगरानी रखने जंतु विशेषज्ञ

देवरी घड़ियाल पालन केंद्र की प्रभारी ज्योति दंडोतिया ने बताया कि चंबल नदी से एकत्रित किए गए 200 अंडों में से 181 शिशु घड़ियाल सुरक्षित बाहर निकाल लिए गए हैं. एक अंडा खराब हो गया है. 18 अंडे अभी बचे हैं. इन्हें अपनी मदर-री कॉल का इंतजार है. देवरी में हर साल चंबल से 200 अंडे एकत्रित कर कैप्टिविटी हैचरी में रखे जाते हैं। जहां एक चैंबर बनाया जाता है. अंडों को सुरक्षित रखने के लिए तापमान 30 डिग्री से 35 डिग्री के बीच मेंटेन किया जाता है. उसके बाद हैचिंग की जाती है. अंडों से मदर-री कॉल की आवाज आने के बाद सुरक्षित हैचिंग की जाती है.  घड़ियाल के बच्चे बाहर आने के बाद उनके स्वास्थ्य के हिसाब से तापमान मेंटेन किया जाता है. बच्चों के वजन के हिसाब से भोजन और पानी की व्यवस्था भी की जाती है. उन्होंने बताया कि जब घड़ियाल के बच्चे 1.2 मीटर की लंबाई के हो जाते हैं तो उन्हें चंबल नदी में खुला घूमने के लिए छोड़ दिया जाता है.  लंबाई कम होने पर इन्हें देवरी अभ्यारण्य केंद्र में रखा जाता है और लंबाई पूरी होने पर चंबल में छोड़ दिया जाता है.

 30 डिग्री से 35 डिग्री के बीच मेंटेन किया जाता है तापमान

30 डिग्री से 35 डिग्री के बीच मेंटेन किया जाता है तापमान

18 से 50 तक अंडे देती घड़ियाल मादा

देवरी घड़ियाल प्रजनन केंद्र की प्रभारी ज्योति दंडोतिया ने आगे बताया कि हर साल 15 से 19 मई तक चंबल अभ्यारण्य के नेस्टिंग साइट से दो सौ अंडों को देवरी की कैप्टिविटी हैचरी में रखा जाता है. जहां एक चेंबर बनाकर तापमान 30 डिग्री से 35 डिग्री के बीच मेंटेन किया जाता है. उसके बाद आर्टिफिशियल हैचिंग की जाती है. फरवरी माह में घड़ियाल संभोग करते हैं. अप्रैल में अंडे देते हैं और मई और जून माह में अंडों से बच्चे निकलते हैं. मादा घड़ियाल रेत में 30 से 40 सेमी का गड्ढा खोदकर 18 से 50 अंडे देती है. अगर मादा घड़ियाल पहली बार अंडा दे रही है तो वह 18 से 30 अंडे दे सकती है और इसके बाद दूसरी बार अंडों की संख्या बढ़ जाती है. करीब एक माह बाद अंडों से बच्चे निकलते हैं. चंबल नदी के किनारे करीब 30 स्थानों पर नेस्टिंग साइट हैं.

करीब एक माह बाद अंडों से निकलते हैं बच्चे

करीब एक माह बाद अंडों से निकलते हैं बच्चे

घड़ियाल, मगरमच्छ और डॉल्फिन की प्रजाति का बढ़ रहा कुनबा

चंबल नदी सबसे साफ और स्वच्छ होने के कारण जलीय जीवों के लिए सबसे सुरक्षित मानी जाती है. नतीजतन, हर साल जलीय जीवों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. वर्तमान में चंबल नदी में 2,456 घड़ियाल, 928 मगरमच्छ और 111 डॉल्फिन के साथ-साथ अन्य जलीय जीव विचरण कर रहे हैं. पर्यटन की दृष्टि से चंबल नदी देश भर से पर्यटकों को आकर्षित कर रही है. देश के कोने-कोने से जलचर प्रेमी चंबल नदी पर बोट सफारी करके जलीय जीवों का आनंद लेते हैं.

हर साल नदी से 200 अंडों  कृत्रिम वातावरण में जाता है पाला

हर साल नदी से 200 अंडों कृत्रिम वातावरण में जाता है पाला

घड़ियाल शावकों की 3 साल तक होती परिवरिश

मुरैना जिले के देवरी घड़ियाल प्रजनन केंद्र पर घड़ियाल प्रजाति का प्रजनन कृत्रिम वातावरण में किया जाता है. वर्ष 1975 से 1977 तक विश्वभर की नदियों के सर्वेक्षण के दौरान 200 घड़ियाल पाए गए थे. जिनमें से 46 घड़ियाल चंबल नदी के प्राकृतिक वातावरण में घूमते हुए पाए गए थे. भारत सरकार ने वर्ष 1978 में चंबल नदी के 435 किलोमीटर क्षेत्र में राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य की स्थापना की थी. तब से लेकर अब तक हर साल नदी से 200 अंडों को लाकर देवरी घड़ियाल प्रजनन केंद्र में कृत्रिम वातावरण में पाला जाता है. केंद्र पर करीब तीन साल तक शिशु घड़ियालों की देखभाल और पालन-पोषण किया जाता है. शिशु शावकों की लंबाई 1.2 मीटर होने के बाद उन्हें सर्दी के मौसम में चंबल नदी में छोड़ दिया जाता है.

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