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Dacoit Jagan Gurjar: चंबल का वो डकैत जिसने वसुंधरा राजे के महल को बम से उड़ाने की दी थी धमकी, फिर पायलट के सामने किया था सरेंडर

Dacoit Jagan Gurjar: चंबल की खूबसूरत वादियों में दशकों तक डकैतों का आतंक रहा. इनमें एक डकैत जगन गुर्जर भी था जिसे पुलिस कभी पकड़ ही नहीं पाई थी. हर बार उसने खुद ही पुलिस के सामने सरेंडर किया.

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Dacoit Jagan Gurjar: चंबल का वो डकैत जिसने वसुंधरा राजे के महल को बम से उड़ाने की दी थी धमकी, फिर पायलट के सामने किया था सरेंडर
फाइल फोटो.

Jagan Gurjar Ki Kahani: चंबल के बीहड़ वैसे तो अपनी खूबसूरती के लिए जाने जाते हैं, लेकिन चंबल के बीहड़ों में खौफ, भय एवं आतंक की चीखें भी छुपी हुई हैं. सदियों से चंबल की घाटी बागी, बंदूक, बदमाश एवं डकैतों के नाम से कुख्यात और विख्यात रही है. लगभग 50 साल से यहां डकैतों का दबदबा रहा है. डकैत मलखान सिंह, डकैत फूलन देवी, डकैत निर्भय गुर्जर, डकैत पान सिंह तोमर, डकैत जंगा, डकैत जगजीवन परिहार, डकैत कुसमा नाइन, डकैत नीलम पांडे समेत जगन गुर्जर उसका भाई पप्पू गुर्जर एवं केशव गुर्जर का खौफ और आतंक आज भी छुपा हुआ है. 

समय बदला, हालात बदले और परिस्थितियों भी बदलीं, लेकिन इनके साथ अपराध का तरीका भी बदला. चंबल की घाटी में कुछ डकैत मजबूरी में भी बागी बने. इन डकैतों में अधिकांश ऐसे ही नाम शामिल हैं. डकैत मलखान सिंह, फूलन देवी, पान सिंह तोमर समेत जगन गुर्जर मुफलिसी का शिकार हुए हैं. शासन और सिस्टम से मदद नहीं मिलने पर इन डकैतों ने मजबूरी में बंदूक उठाई. बंदूक भी ऐसी उठाई के पीछे मुड़कर नहीं देखा. लंबे समय तक चंबल के बीहड़ों में इनकी तूती बोलती रही. पुलिस द्वारा सर्च ऑपरेशन भी चलाए. कुछ डकैतों के एनकाउंटर हुए, कुछ को पकड़ा गया तो कुछ ने सरेंडर कर दिया. 

डकैत जगन गुर्जर के नाम से भी कांपते थे लोग

विगत 20 साल के इतिहास की बात की जाए तो डकैत जगन गुर्जर (Dacoit Jagan Gurjar) का दबदबा चंबल के बीहड़ों में कायम रहा है. मुफलिसी और लाचारी में ऐसी बंदूक उठाई कि अपराध के दलदल में फंसता चला गया. राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बड़ी-बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया. हत्या, हत्या के प्रयास, रंगदारी जैसे अपराधों में सबसे ज्यादा उसी का नाम सामने आया. डकैत जगन गुर्जर को तीन राज्यों की पुलिस मिलकर भी कभी भी पकड़ नहीं सकी. हर बार जगन गुर्जर ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया. ये वो समय था जब जगन गुर्जर का नाम सुनने मात्र से लोग कांप उठते थे.

वसुंधरा राजे के महल को बम से उड़ाने की धमकी

डकैत जगन गुर्जर ने अपनी गैंग के साथ करीब 20 साल तक राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में जमकर आतंक मचाया था. हत्या, अपहरण और लूट को लेकर तीनों राज्यों में जगन गुर्जर का खौफ कायम हो गया था. डकैत जगन ने वर्ष 2001 में तत्कालीन एसपी बीजू जॉर्ज जोसफ के सामने पहली बार आत्मसमर्पण किया था. इसके बाद जगन गुर्जर जमानत पर जेल से बाहर आ गया था और दोबारा अपना आतंक फैलाना शुरू कर दिया. 28 मई 2008 में गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान जगन गुर्जर ने राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) के महल को बम से उड़ाने की धमकी दी थी. इसके बाद डकैत जगन पर ग्यारह लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया था.

सचिन पायलट के समक्ष किया था आत्मसमर्पण

पूर्व सीएम राजे के महल को बम से उड़ाने की धमकी के बाद जगन को पकड़ने के लिए पुलिस ने दबाव बढ़ा दिया. पुलिस से घबरा कर जगन गुर्जर ने 31 जनवरी 2009 को कैमरी गांव में राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. वर्ष 2022 में बाड़ी विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेसी विधायक गिर्राज मलिंगा को धमकी देने के बाद जगन गुर्जर फिर से सुर्खियों में आ गया है और पुलिस ने जगन पर पचास हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया. पुलिस के दबाव को देखते हुए जगन गुर्जर ने 7 फरवरी 2022 की देर शाम को करौली पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. करीब 20 वर्ष से धौलपुर जिले के डांग और चंबल के बीहड़ों में अपराध की दुनिया में सक्रिय रहे डकैत जगन गुर्जर के खिलाफ 123 संगीन धाराओं में अभियोग पंजीबद्ध हैं. 

बदले की आग में कौमेश गुर्जर भी बनी डकैत

चंबल के बीहड़ सदियों से बागी, बजरी, बंदूक और बदमाशों के नाम से विख्यात एवं कुख्यात रहे हैं. चम्बल के बीहड़ो पर डकैतों के लिए यह भी कहा जाता हैं कि "एक मरे दो जावे, जाको वंश डूब ना पावे" वाली कहावत चरितार्थ होती हैं. सदियों से चंबल के बीहड़ को डकैतों की शरण स्थली माना जाता रहा है. चंबल के बीहड़ो में डकैतों की बंदूक कभी भी खामोश नहीं रही. जिले की एक खूबसूरत महिला भी डकैत जगन की गैंग में शामिल हुई थी. यह महिला थी कोमेश गुर्जर, जो बदले की आग में डकैत बन गई. जिले के नगर गांव के रहने वाले सरपंच छीतरिया गुर्जर के यहां 1986 में कोमेश पैदा हुई थी और अपने की पिता की हत्या का बदला लेने के लिए 14 वर्ष की उम्र में ही बंदूक थाम ली. कोमेश अपने पिता की हत्या का बदला लेना चाहती थी और बदले की आग में कोमेश गुर्जर चम्बल के बीहड़ों में कूद गई. 

ऊंट पर बैठकर अकेले पहुंची थी अस्पताल

बीहड़ो में कोमेश की मुलाकात डकैत जगन गुर्जर से हो जाती है. कोमेश जगन गुर्जर को बचपन से जानती थी, क्योंकि जगन कोमेश के घर पर आता-जाता रहता था और कोमेश जगन से प्यार करती थी. बीहड़ में जाने के बाद खूबसूरत महिला दस्यु सुंदरी बन गई. डकैत जगन ने कोमेश को उसके पिता छीतरिया की हत्या का बदला लेने में मदद की थी और इसके बाद कोमेश ने पलट कर नहीं देखा. वर्ष 2000 के आस-पास की बात है, जब कोमेश गर्भवती हुई और प्रसव के दौरान उसकी तबीयत बिगड़ने लगी तो कोमेश को अस्पताल ले जाने की नौबत आ गई. लेकिन डकैत जगन और उसके गिरोह के साथी अपनी जान खतरे में नहीं डाल सकते थे. इसके बाद कोमेश अकेले ही ऊंटों पर जंगलों से निकल कर हिंडौन सिटी पहुंच गई. कोमेश को रास्ते भर जंगलों में जगन के लोगों और उसके रिश्तेदारों से मदद मिलती रही. कोमेश ने हिंडौन के नर्सिंग होम में पहले बच्चे को जन्म दिया. नर्सिंग होम से कुछ दिन बाद दस्यु सुंदरी कोमेश को डकैत जगन और उसके साथियों के सहयोग से ऊंटों पर बैठ बच्चे के साथ दोबारा बीहड़ों में पहुंच गई.

गर्भावस्था के दौरान लगी पुलिस की गोली

साल 2008 में कोमेश बीहड़ो में दोबारा गर्भवती हुई और पुलिस ने गैंग को घेर लिया. पुलिस की मुठभेड़ में एक गोली कोमेश को लग गई और घायल होने पर कोमेश को पुलिस ने पकड़ लिया. कोमेश के गोली लगने के बाद इलाज के दौरान पेट में पल रहे बच्चे की मौत हो गई. जेल से छूटने के बाद कोमेश ने एक बेटी को भी जन्म दिया. वर्ष 2014 की बात है कि कोमेश पुराने मामलों में डकैत जगन के साथ भरतपुर की जेल में बंद थी. तब कोमेश के छोटे भाई रामू की हत्या कर दी थी. कोमेश को अपने भाई की हत्या का काफी दुख हुआ. जेल से बाहर आने के बाद कोमेश ने अपने भाई रामू की हत्या का बदला लेने के लिए अपने रिश्तेदार जंडेल गुर्जर के साथ मिलकर 21 अप्रैल 2020 को संजीत कोली की बाड़ी उप खंड के तिलुआ का अड्‌डा गांव में उसके घर में घुसकर उसके सिर में गोली मारकर हत्या कर दी. कोमेश पर दो हत्या समेत डेढ़ दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं. पूर्व दस्यु सुंदरी कोमेश को पुलिस जब जब धौलपुर कोर्ट में पेशी पर लाती थी तो उसे देखने के लिए कोर्ट में लोगों की भीड़ लग जाती थी. 

बच्चों के साथ गांव में रह रही कोमेश

कोमेश वर्तमान में अपने बच्चो के साथ गांव में जीवन व्यतीत कर रही है. जगन गुर्जर की तीन पत्नियां हैं. जून 2010 में बेटी की शादी में जेल में बंद डकैत जगन को पुलिस प्रोटेक्शन में गांव लाया गया था. बेटी की शादी में डकैत जगन गुर्जर ने अपराध से दूर रहने की कसम खाई थी. करीब 8 साल जेल में रहने के बाद 6 मार्च 2017 को जगन गुर्जर जेल से बाहर आ गया. साल 2017 विधानसभा चुनाव में धौलपुर से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पत्नी ममता को चुनाव में उतारा. चुनाव में पत्नी हार गई. जगन के उत्पात को देखकर उसे अजमेर जेल शिफ्ट कर दिया गया था और अब जमानत पर बाहर है.

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