Deedwana News: राजस्थान की डीडवाना नगर परिषद के जरिए गलत तरीके से जारी किए गए पट्टों को लेकर डीएलबी की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. जांच कमेटी ने माना है कि नेहरू कॉलोनी में अवैध और गलत पट्टे जारी किए गए हैं. जांच में नगर परिषद सभापति रचना होलानी को भी अपने पद का दुरुपयोग करने और प्रतिकूल आचरण का दोषी पाया गया है. इस संबंध में स्वायत्त शासन विभाग ने सभापति को नोटिस जारी कर सात दिन में जवाब देने के निर्देश दिए हैं.
सभापति पर लगे पद का दुरुपयोग करने के आरोप
आपको बता दें कि हाल ही में डीडवाना नगर परिषद के जरिए नेहरू कॉलोनी में कुछ पट्टे जारी किए गए थे, इन्हें लेकर काफी विवाद हुआ था. इसको लेकर विपक्ष के लोगों ने आरोप लगाया था कि नगर परिषद के सभापति ने माफिया से मिलीभगत कर नेहरू कॉलोनी में नियमों के विरुद्ध पट्टे जारी किए हैं.इसको लेकर उन्होंने स्थानीय निकाय विभाग अजमेर को भी शिकायत की थी, जिसके बाद डीएलबी ने जांच के आदेश दिए थे. जिसमें पाया गया कि नगर परिषद ने नेहरू कॉलोनी में आवंटित भूमि पर जो पट्टे जारी किए गए थे, वे 69 ए के तहत जारी किए गए थे.
आवंटन शुल्क जमा नहीं कराया
सभी जारी किए गए पट्टे बिना किसी स्वामित्व दस्तावेज के जारी किए गए. जिन आवंटियों को पूर्व में भूखंड आवंटित किए गए थे, उनके द्वारा नगर परिषद में आवंटन शुल्क जमा नहीं कराया गया. ऐसे में इन आवंटन पत्रों का कोई वैध अस्तित्व नहीं है. इसके अलावा आवंटित कॉलोनी को मास्टर प्लान में वाटर बॉडी रिजर्व भी घोषित किया गया है. इसके बावजूद चेयरमैन और तत्कालीन अधिशासी अधिकारी ने अवैधानिक तरीके से और मास्टर प्लान के विपरीत नेहरू कॉलोनी में 69ए के पट्टे जारी कर दिए.
श्मशान के लिए रिजर्व जमीन का भी जारी किया पट्टा
इसके अलावा जांच में यह भी सामने आया कि तत्कालीन नागौर कलेक्टर ने 1977 में स्वर्णकार समाज को श्मशान घाट के लिए 1.5 बीघा जमीन आवंटित की थी. 1986 में दिए अपने फैसले में नागौर कलेक्टर ने इस जमीन को श्मशान घाट के लिए आरक्षित माना था. लेकिन इस मामले में भी आवेदक ने मालिकाना हक के वैध दस्तावेज पेश नहीं किए. इसके बावजूद चेयरमैन और तत्कालीन अधिशासी अधिकारी ने बिना किसी वैध मालिकाना हक के दस्तावेज के स्वर्णकार समाज की इस जमीन के लोगों को 69ए के फ्रीहोल्ड पट्टे जारी कर दिए, जो नियमानुसार अवैध पाए गए.
7 दिन में सभापति से मांगा जवाब
इस पूरे मामले की जांच में डीएलबी ने पाया कि नगर परिषद सभापति ने अपने पद का दुरुपयोग किया है और अपने कर्तव्य के विपरीत आचरण भी किया है। इस संबंध में अब स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक एवं विशिष्ट सचिव कुमार पाल गौतम ने सभापति से 7 दिन में जवाब मांगा है। साथ ही चेतावनी दी है कि तय अवधि में जवाब नहीं देने पर सभापति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
पूर्व मंत्री यूनुस खान ने भी घेरा
इस मामले में डीडवाना विधायक और पूर्व मंत्री यूनुस खान ने भी नगर परिषद की आलोचना की है. उन्होंने नगर परिषद को भ्रष्टाचार का अड्डा बताते हुए कहा कि नगर परिषद में फर्जी पट्टे जारी किए जा रहे हैं और टेंडरों में भी घोटाले और अनियमितताएं व्याप्त हैं। नगर परिषद के चेयरमैन और बोर्ड कांग्रेस के हैं, लेकिन भाजपा सरकार उन्हें बचाने में लगी हुई है. उन्होंने सरकार से पूरे मामले की जांच कर पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग की है.
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