Rajasthan Politics: राजस्थान में जब से बीजेपी की सरकार बनी है, तब से गैर बीजेपी विधायक इस बात की नाराजगी जता चुके हैं कि बीजेपी सरकार में चुने हुए गैर बीजेपी विधायकों को साइड लाइन किया जा रहा है. जबकि जो बीजेपी उम्मीदवार विधायक का चुनाव हार चुके हैं. उन्हें किसी भी काम में विधायक के बराबर तवज्जो दी जा रही है. यानी हारे हुए उम्मीदवार को ही लोग विधायक मान रहे हैं और अपनी शिकायतें विधायक के पास न जा कर हारे हुए बीजेपी उम्मीदवार के जाते हैं. कुछ ऐसा ही हाल डीडवाना जिले में देखा जा रहा है, जहां 5 विधायकों में से 4 विधायक गैर बीजेपी विधायक हैं और चारों विधायक इसकी शिकायत लगातार कर रहे हैं. आश्चर्य की बात यह है कि जिले के अधिकारी भी उन्हें विधायक नहीं मानते.
अब यह विधायक अपना दर्द बयां करने के लिए जिलाधिकारी की जन सुनवाई में पहुंचे. जिलाधिकारी को विधायकों ने बताया कि कैसे उनके क्षेत्र में ही उनकी उपेक्षा की जा रही है और उनका कोई कद्र नहीं करता है.
अधिकारी भी नहीं दे रहे तवज्जो
डीडवाना जिला मुख्यालय पर जिला स्तरीय जनसुनवाई का आयोजन हुआ जिसमें लाडनूं के कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर, मकराना विधायक जाकिर हुसैन गैसावत और परबतसर विधायक रामनिवास गावड़िया के साथ ही डीडवाना के निर्दलीय विधायक यूनुस खान भी शामिल हुए. यह चारों विधायक गैर भाजपाई हैं, जिन्होंने वर्तमान भाजपा सरकार में उन्हें तवज्जो नहीं दिए जाने पर नाराजगी जताई. जिला कलक्टर पुखराज सैन के सामने विधायकों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि भाजपा सरकार के शासन में चुने हुए विधायकों की कोई कदर नहीं है.
विधायकों ने कहा, कोई भी अधिकारी ना तो उन्हें तवज्जो दे रहे हैं ना ही उनके निर्देशों पर अमल कर रहे हैं. उनकी अनुशंसा या विकास कार्य पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. उनके किसी पत्र या फोन कॉल का कोई जवाब भी नहीं दे रहे हैं. इसके विपरीत सरकार के इशारे पर सभी अधिकारी, हारे हुए भाजपा प्रत्याशियों को ही विधायक मान बैठे हैं और उनके निर्देशों की पालना में जुटे हैं. जो जनप्रतिनिधित्व कानून का न केवल उल्लंघन है, बल्कि चुने हुए विधायकों के अधिकारों का हनन है और जनता के जनादेश व लोकतंत्र का भी अपमान है.
हारे हुए बीजेपी उम्मीदवार को मिलता है आमंत्रण
विधायको ने कहा कि प्रत्येक अधिकारी हारे हुए भाजपा नेताओं की "जी हुजूरी" में लगे हैं और उन्हें ही अपना विधायक मान चुके हैं. जबकि जनता ने उन्हें नकार दिया है. हालत यह है कि चुने हुए गैर भाजपाई विधायकों को सरकारी कार्यक्रमो की ना तो सूचना दी जाती है, ना ही उन्हें कार्यक्रम में बुलाया जाता है. यहां तक की किसी सरकारी उद्घाटन या शिलान्यास कार्यक्रम में भी गैर भाजपाई विधायकों को आमंत्रण नहीं दिया जाता. प्रभारी मंत्री या मंत्रियों के दौरे या मीटिंगों की भी विधायकों को सूचना नहीं दी जा रही. यह सब सरकार के इशारे पर खुलेआम किया जा रहा है.
पार्टी विशेष को मिल रही है तवज्जो
डीडवाना विधायक यूनुस खान ने कहा कि अधिकारी इस कद्र पक्षपाती हो गए हैं कि जनता के मुद्दों में भी केवल पार्टी विशेष को तवज्जो दी जा रही है और गैर भाजपाई लोगों को नजर अंदाज किया जा रहा है. यह लोकतंत्र के हित में नहीं है. वहीं लाडनूं विधायक मुकेश भाकर ने कहा कि अगर अधिकारियों का यही पक्षपाती रवैया है, तो फिर ऐसी जनसुनवाई और ऐसी बैठकों में हम विधायकों के आने का क्या औचित्य है. मकराना विधायक जाकिर हुसैन गैसावत और परबतसर विधायक रामनिवास गावड़िया ने भी कहा कि इस प्रकार प्रवृत्ति पर तुरंत लगाम लगाई जानी चाहिए और अधिकारियों को पाबंद किया जाना चाहिए.