Rajasthan News: डॉक्टर्स कई लोगों की जान बचाते है, इसलिए उन्हें को ईश्वर का रूप कहा जाता है. इसका बड़ा उदाहरण एक डाक्टर की मौत के बाद देखने को मिला. झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक डॉक्टर जे एल लोढ़ा का आज लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया. डॉक्टर लोढ़ा झालावाड़ के श्री राजेंद्र सार्वजनिक चिकित्सालय के आईसीयू में भर्ती थे, जिन्होंने अपने परिजनों की मौजूदगी में आज अंतिम सांस ली. डॉक्टर लोढ़ा और उनके परिजनों की इच्छा थी कि उनके निधन के बाद उनके शरीर को झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग को दे दिया जाए, ताकि उनका शरीर मेडिकल विद्यार्थियों के अध्ययन के काम आ सके.
शमशान न जाकर मेडिकल पहुंची पार्थिव शरीर
डाक्टर के देहदान की इच्छा का सम्मान करते हुए डॉक्टर लोढ़ा की पत्नी मालती जैन उनके पुत्र एवं अन्य परिजनों ने डॉक्टर लोढ़ा के निधन के पश्चात उनके पार्थिव शरीर को विधि विधान के साथ घर से बैंड बाजों के साथ रवाना किया जैसे कि किसी व्यक्ति के अंतिम संस्कार के समय किया जाता है. लेकिन डॉक्टर लोढ़ा की यह अंतिम यात्रा शमशान घाट ना जाकर झालावाड़ के मेडिकल कॉलेज पहुंची.
मेडिकल कॉलेज के छात्र करेंगे अध्ययन
परिजनों ने झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर मनोज शर्मा से वार्ता कर देहदान के दस्तावेज तैयार करवाए और मृतक डॉक्टर और लोढ़ा की पार्थिव देह को एनाटॉमी विभाग के हवाले कर दिया गया, जिसको अब केडेवर के रूप में काम में लिया जाएगा और झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में अध्ययन कर रहे हैं मेडिकल विद्यार्थियों को अध्ययन में सुविधा हो पाएगी.
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