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राजस्थान में फिर करवाई गई ड्रोन वर्षा, आसमान में 1KM ऊपर क्लाउड सीडिंग...10 मिनट बाद ही झमाझम बारिश

इस बार दो ड्रोन से बारिश करवाई गई और विशेषज्ञों का कहना है कि इन दो उड़ानों ने साबित किया कि बहुत पतले और उथले बादलों से भी सीडिंग के बाद बारिश करवाई जा सकती है.

राजस्थान में फिर करवाई गई ड्रोन वर्षा, आसमान में 1KM ऊपर क्लाउड सीडिंग...10 मिनट बाद ही झमाझम बारिश
ड्रोन से दो बार बारिश करवाई गई

Artificial rain in Rajasthan: राजस्थान में पिछले कुछ समय से ड्रोन के ज़रिए क्लाउड सीडिंग तकनीक से कृत्रिम रूप से वर्षा करवाने का प्रयोग किया जा रहा है. पिछले महीने दो बार ऐसे प्रयास हुए लेकिन वे नाकाम रहे. लेकिन इस महीने 1 सितंबर को पहली बार सफलता मिली थी जब जयपुर के रामगढ़ बांध इलाके में कृत्रिम वर्षा करवाई गई. इसके चार दिन बाद आज 5 सितंबर को एक बार फिर इसी इलाके में ड्रोन से बारिश करवाई गई. आज सुबह लगातार दो बार ड्रोन उड़ाकर कृत्रिम बारिश कराई गई.

रामगढ़ झील क्षेत्र में उड़े ड्रोन

जयपुर ग्रामी के जमवारामगढ़ क्षेत्र के रामगढ़ झील क्षेत्र में आज सुबह क्लाउड सीडिंग का प्रयोग किया गया. आज सुबह 7:30 से 8:00 बजे तक दो बार ड्रोन उड़ाए गए. पहली उड़ान में ड्रोन से सुबह 7:30 बजे बादलों से लगभग 40 मीटर ऊपर सीडिंग एजेंट छोड़ा गया. इससे बादल घने और स्थिर हो गए और 15 मिनट बाद हल्की बूंदाबांदी हुई.

इसके बाद 8 बजे दूसरी उड़ान में सीडिंग एजेंट को उत्तर-दक्षिण दिशा में फैलाया गया. इस बार प्रतिक्रिया और तेज हुई और 10 मिनट से भी कम समय में बादल घने हो गए. इसके बाद आसपास की पहाड़ियों पर हल्की बारिश हुई.

दो ड्रोन आधे घंटे के अंतराल पर उड़े

दो ड्रोन आधे घंटे के अंतराल पर उड़े
Photo Credit: NDTV

पतले बादलों से करवाई बरसात

विशेषज्ञों का कहना है कि इन दो उड़ानों ने साबित किया कि बहुत पतले और उथले बादलों से भी सीडिंग के बाद बारिश करवाई जा सकती है. उन्होंने बताया किक्षेत्र में निम्न दबाव तंत्र और हल्की अस्थिरता से बादलों के बनने की संभावना बनी. लेकिन आकाश में बने बादल बहुत पतले थे जिनका बेस  लगभग 960 मीटर था. इन्हीं को लक्ष्य बनाकर ड्रोन से सीडिंग की गई जिसके बाद बारिश हुई.

रामगढ़ झील लंबे समय से कम जल स्तर और अनुपयुक्त बादलों के कारण बारिश से वंचित रही थी. लेकिन अब इन प्रयोगों के जरिये एक नई उम्मीद जगी है. क्लाउड सीडिंग तकनीक से हुई हल्की वर्षा ने झील को भरने के साथ ही राजस्थान में जल संकट को दूर करने की आशाएं जगाई हैं.

1 सितंबर को रामगढ़ बांध पर फिर से क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन किया गया. इस ऑपरेशन को एक्सेल-1 कंपनी ने हाइड्रोट्रेस प्लेटफॉर्म और मेक इन इंडिया ड्रोन की मदद से अंजाम दिया. कंपनी ने बताया कि इसमें AI-संचालित तकनीक का उपयोग किया गया जिससे क्लाउड माइक्रो फिजिक्स में सुधार दर्ज हुआ.

Video - देखिए कैसे होती है ड्रोन से बारिश

किस तरह हो रही है कृत्रिम बारिश

रामगढ़ बांध इलाके में ड्रोन से बारिश का ऑपरेशन कंसल्टिंग पार्टनर GenXAI के सहयोग से हो रहा है. अमेरिका और बेंगलुरु की टेक्नोलॉजी कंपनी जेन एक्स एआई पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह प्रयोग कर रही है. क्लाउड सीडिंग में सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या ड्राई आइस जैसे रसायन ड्रोन, हेलिकॉप्टर या प्लेन से बादलों में छोड़े जाते हैं. ये रसायन पानी की सूक्ष्म बूंदों को आकर्षित कर उन्हें भारी बनाते हैं, जिससे वे बारिश के रूप में गिरते हैं. हालांकि, इसके लिए बादलों में पर्याप्त नमी होना जरूरी है. 

पहली बार यह पिछले महीने 12 अगस्त को ड्रोन से बारिश की कोशिश हुई थी लेकिन तब इतनी भीड़ हो गई कि लोगों के मोबाइल फोन की वजह से GPS सिस्टम फेल हो गया, और ड्रोन से कनेक्शन कट जाने की वजह से ट्रायल नहीं हो सका. वहीं 18 अगस्त को जब दूसरी बार कोशिश हुई तो ड्रोन नियंत्रण से बाहर होकर खेतों में जा गिरा.

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