ERCP in Rajasthan Election: राजस्थान में होने वाले चुनाव को लेकर आज कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक का आयोजन किया गया. राजस्थान प्रभारी सुखजिंद्र सिंह रंधावा की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट,सीडब्लूसी सदस्य हरीश चौधरी, कैबिनेट मंत्री गोविंद मेघवाल शामिल हुए. विधानसभा चुनावों से ऐन पहले जयपुर में आयोजित हुई इस बैठक में जातिगत जनगणना से लेकर ERCP पर पार्टी के स्टैंड की चर्चा हुई .
बैठक के बाद कांग्रेस ने तय किया है कि वो ईआरपीसी को लेकर 13 जिलों में यात्रा यात्रा की शुरुआत करेगी। ERCP इस वक़्त पूर्वी राजस्थान का सबसे बड़ा मुद्दा है. ऐसे में कांग्रेस इसे आने वाले विधानसभा चुनावों में भुनाना चाहती हैं. ईआरसीपी में पूर्वी राजस्थान के 13 जिले हैं शामिल. फैसले के मुताबिक़ कांग्रेस आने वाले रविवार को इस पर सभी 13 जिला मुख्यालयों पर वार्ता करेगी. उसके बाद यात्रा की तारीखों का एलान किया जाएगा.
इन 13 जिलों के लिए अहम है ईआरसीपी
उल्लेखनीय हो कि इस परियोजना से लाभान्वित होने वाले 13 जिलों में झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर और धौलपुर है.
परियोजना का 86 विधानसभा सीटों पर सीधा असर
इस परियोजना का 86 विधानसभा सीटों पर सीधा असर है. फिलहाल इनमें से ज्यादा सीटें कांग्रेस के पास है. कांग्रेस इन सीटों पर अपनी मजबूत स्थिति को और मजबूत करना चाहती है. इसीलिए सरकार ने बजट में भी इस प्रोजेक्ट के लिए राशि की घोषणा की थी. कांग्रेस के नेता इस मुद्दे पर लगातार हमलावर रहे हैं.
ERCP से 40% से अधिक आबादी को लाभ
राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है. यह देश के क्षेत्रफल के 10% हिस्से में फैला हुआ है, लेकिन यहां भूजल सिर्फ 1.72% है. कैनाल परियोजना से राजस्थान की 40% से अधिक जनसंख्या को लाभ मिलेगा. 40,000 करोड़ की इस परियोजना की घोषणा 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने की थी. बीते कुछ समय से इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने कि मांग की जा रही है. ऐसा होने से 90% राशि केंद्र और 10% राशि राज्य को खर्च करनी होगी.
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