
Jhalawar School Accident: राजस्थान के झालावाड़ में शुक्रवार सुबह स्कूल की दीवार और छत के गिरने से कोहराम मच गया. ऐसा नहीं है कि इस हादसे की दस्तक की स्कूल प्रशासन से लेकर शिक्षा विभाग को जानकारी नहीं थी. लेकिन शायद इस हादसे का इंतजार किया जा रहा था. इस घटना के असल जिम्मेदार कौन है यह बाद में तय किया जाएगा. लेकिन स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक और प्रिंसिपल भी बेसुध थे, जिसका खामियाजा आज 7 छात्रों ने जान गंवा कर भुगता है. हादसे में अब भी 27 बच्चे घायल हैं. वहीं शिक्षा विभाग जो घटना से पहले स्कूल को लेकर संज्ञान ले सकता था लेकिन ऐसा करने में वह भी पीछे रही. लेकिन घटना के बाद स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षकों पर एक्शन ले लिया है.

हादसे से पहले लापरवाही ही लापरवाही
स्कूल की हालत देखकर यह साफ है कि इस हादसे को लेकर लापरवाही ही लापरवाही बरती गई है. गांव के लोगों का कहना है कि पहले भी कई बार इस स्कूल में पत्थर गिरे थे जिसके बाद स्कूल, सरपंच तथा अन्य अधिकारियों से शिकायत की गई थी लेकिन इन पर कभी कार्रवाई नहीं हुई. ये भी जानकारी सामने आई है कि इस स्कूल ने दो साल पहले, वर्ष 2023 में, डांग क्षेत्र विकास योजना के तहत मरम्मत के नाम पर 1 लाख 80 हजार रुपये की राशि उठाई थी, लेकिन ऐसा लगता है कि उस राशि का कोई उपयोग नहीं हुआ अन्यथा ये हादसा नहीं होता.
आखिरी वक्त भी लापरवाही
स्कूल के ही छात्र का कहना है कि हादसे से ठीक पहले स्कूल में बच्चे थे. जो शिक्षक को बताने गए थे कि छत से कंकड़-पत्थर गिर रहे हैं. लेकिन शिक्षक भी इतने लापरवाह की नाश्ता छोड़ यह देखने की जहमत नहीं की, और छात्र को डांट कर अंदर भेज दिया. इसके ठीक दो-तीन मिनट बाद ही छत गिरी और कोहराम मच गया.
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