![राजस्थान में आज भी शिक्षा से कोसो दूर है ये नट समुदाय, घर चलाने के लिए बेटियां करती हैं ये काम राजस्थान में आज भी शिक्षा से कोसो दूर है ये नट समुदाय, घर चलाने के लिए बेटियां करती हैं ये काम](https://c.ndtvimg.com/2024-02/5n6t9248_nat-cammunity_625x300_04_February_24.jpg?downsize=773:435)
Rajasthan News: आज के समय में सारा जमाना विकास की ओर तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे समय में भी नट जाति के लोग सड़कों पर करतब दिखाकर अपना और परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं. एक हिसाब से देखा जाए तो इस परिवार की बेटियां ही परिवार की मुखिया और कमाने वाली सदस्य होती है. आमतौर पर लोग बेटे के जन्म की खुशी मनाते हैं लेकिन इस समाज में बेटी पैदा होने पर खुशियां मनाई जाती है.
नट जाति में बेटियां चलाती है घर
नट जाति में जब बेटियों को चलना सीखते ही उसे रस्सी पर करतब दिखाना सिखा दिया जाता है. इस करतब के जरिए वह गली मोहल्लों में खेल दिखाकर परिवार का पोषण करती हैं. वजन बढ़ने और किशोरावस्था तक इनका विवाह कर दिया जाता है. कम उम्र में विवाह करने का उद्देश्य यह होता है कि अगली पीढ़ी में पैदा होने वाली बेटियां भी खेल दिखाकर अपना घर चला सकें. इन परिवारों को सरकारी योजनाओं के नाम पर कुछ भी नहीं मिल पाता है, जिस कारण है इन परिवारों का कोई स्थाई निवास नहीं होने से यह अलग-अलग राज्यों में भटकते रहते हैं.
शिक्षा से कोसो दूर है यह जाति
गरीबों की रेखा से नीचे रहकर जीवन यापन करने वाला यह परिवार एक छोटी सी गाड़ी में अपनी जरूरत का सामान लेकर अलग-अलग राज्यों में भटकते रहते हैं और खेल दिखाते हैं. इन परिवारों की बेटियां भी पढ़ना चाहती है लेकिन परंपरा के नाम पर उनकी प्रतिभा को दबा दिया जाता है. युवा बच्चे भी खेल के बाद थाली लेकर चंदा इकट्ठा करते हैं लेकिन यह भी शिक्षा से कोसों दूर है. इन परिवारों का ना तो मतदाता सूची में नाम है और ना जनगणना में इन्हें शामिल किया जाता है. ये लोग छतीसगढ़ और बिहार के रहने वाले है और देशभर मे घुमते रहते हैं.
ये भी पढ़ें- ED की कार्रवाइयों पर गोविंद सिंह डोटासरा का तंज, बोले, -'प्रदेश में ईडी लगा रही है फेरे'