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करौली: शव को चारपाई पर रख 2 किमी पैदल ले गए परिजन, समय पर इलाज न मिलने से महिला की हुई थी मौत

2 दिन पहले पेट में दर्द होने पर ग्रामीण जानकी देवी को चारपाई पर लिटाकर इलाज करवाने ले गए, लेकिन समय पर इलाज न मिलने से उनकी मौत की हो गई. इसके बाद परिजन शव को चारपाई पर लादकर लाए.

करौली: शव को चारपाई पर रख 2 किमी पैदल ले गए परिजन, समय पर इलाज न मिलने से महिला की हुई थी मौत
शव को चारपाई पर रख 2 किमी ले गए परिजन

Rajasthan News: देश में कई ऐसे इलाके हैं, जो आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. कई गांव में आज तक पक्की सड़क नहीं पहुंच पाई. राजस्थान के करौली जिले से एक ऐसा वीडियो सामने आया है, जो सरकार के तमाम दावों की पोल खोल रहा है. करौली के मेदपुरा गांव में समय पर इलाज न मिल पाने के कारण एक महिला की मौत हो गई. इसके बाद परिजन महिला के शव को चारपाई पर लादकर 2 किमी पैदल चलकर गांव लेकर पहुंचे. 

गांव तक नहीं पहुंची पक्की सड़क

दरअसल, करौली जिले के सपोटरा उपखण्ड स्थित सिमीर ग्राम पंचायत का मेदपुरा गांव आज भी पक्की सड़क को मोहताज है. गांव के लोग पगडंडीनुमा रास्ते से होकर ही गुजरते हैं. सड़क के अभाव में गांव के लोगों को समय पर इलाज भी नहीं मिल पाता है. ग्रामीण बीमार व्यक्ति को चारपाई पर रखकर 2 किलोमीटर का सफर पैदल तय करते हैं और उसके बाद ही पक्की सड़क पर पहुंचकर वाहन के माध्यम से मरीज को अस्पताल ले जाया जाता है.

इलाज न मिलने से हुई थी मौत

2 दिन पहले पेट में दर्द की शिकायत पर ग्रामीण जानकी देवी को चारपाई पर लिटाकर इलाज करवाने ले गए, लेकिन समय पर इलाज न मिलने से सोमवार को जानकी देवी की मौत की हो गई. इसके बाद जानकी देवी का शव भी परिजन चारपाई पर लादकर लाए. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से कई बार सड़क बनाने की गुहार लगाई, लेकिन हर बार ग्रामीणों को आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला.

जनप्रतिनिधि ने पक्की सड़क बनाने का किया था वादा 

बता दें कि 10 अक्टूबर 2022 को मिट्टी में दबने से 6 महिलाओं की मौत हो गई थी. तब तत्कालीन विधायक रमेश मीणा, सांसद मनोज राजौरिया और जिला प्रशासन के अधिकारी मेदपुरा गांव पहुंचे और ग्रामीणों को पक्की सड़क बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज भी मेदपुरा गांव में पक्की सड़क नहीं होने का खामियाजा ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है. हर साल गांव के कई लोगों की समय पर इलाज नहीं मिल पाने के कारण मौत हो जाती है. ग्रामीण कहते हैं कि गांव में पक्की सड़क होती तो शायद जानकी देवी की जान बच जाती. 

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