Animal Fodder Crisis:राजस्थान में मानसून में देरी होने के कारण बरसात नहीं होने से किसानों के साथ-साथ पशुपालकों की भी चिंता बढ़ गई है. चिंता का कारण पशुओं के लिए हरे चारे की किल्लत है. इसी के साथ सूखे चारे के भाव भी आसमान छू रहे हैं. पशुपालक चारे का काळ भी बहुत भयंकर मानते हैं, क्योंकि उनकी रोजी-रोटी पशुपालन पर निर्भर है. मानसून की देरी से जिले में सुखाड़ यानी सूखे चारे का असर दिखने लगा है. बारिश की कमी से जहां किसान परेशान है, वहीं मवेशियों को चारे की कमी होने से पशुपालक भी चिंतित है. मानसून की बेरूखी को देखते हुए ऐसा लगता है कि त्रिकाल जैसे हालात होने वाले हैं.
पशुओं के स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर
किसान पशुपालक परसाराम बुगालिया ने यह भी बताया कि इस बार बारिश नहीं होने से अधिकतर किसानों, पशुपालकों ने हरे चारे की बुआई नहीं की. वहीं कई किसानों ने निजी कुएं व ट्यूबवेल से हरे चारे की बुआई की थी. लेकिन बिजली नहीं मिलने के कारण पर्याप्त मात्रा में हरा चारा नहीं मिल रहा है. चारा संकट से दुग्ध उत्पादन में कमी आ रही है. साथ ही पशुओं को हरा चारा नहीं मिलने से उनके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है. पशुपालक सूखा चारा खरीद रहे हैं, वह भी बहुत महंगा है.
पशुपालकों ने लगाई सरकार से गुहार
पशुओं के लिए चारा जरूरी है. लेकिन चारे के दाम आसमान छू रहे हैं. अब पशुपालकों को अपने पशु बेचने की नौबत भी आ गई है. आने वाले दिनों में बरसात नहीं हुई तो किसानों और पशुपालकों के सामने और भी गहरा संकट पैदा हो जाएगा. उनका कहना है कि चारे की कमी के चलते पशु बेचने तक पड़ सकते हैं. परसाराम ने सरकार से मांग की है कि सरकार द्वारा पशुपालकों को सस्ते दामों में चारा उपलब्ध करवाना चाहिए, ताकि चारे की किल्लत कम हो सके.
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