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पहली बार भारतीय NGO को रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड, ‘एजुकेट गर्ल्स’ ने राजस्थान से की थी लड़कियों को स्कूल से जोड़ने की शुरुआत

Rajasthan News: इस संस्था ने ड्रॉप आउट गर्ल्स को स्कूल से जोड़ने पर काम किया. साथ ही उच्च शिक्षा और रोजगार के लिए योग्यता हासिल करने में सक्षम बनाया.

पहली बार भारतीय NGO को रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड, ‘एजुकेट गर्ल्स’ ने राजस्थान से की थी लड़कियों को स्कूल से जोड़ने की शुरुआत
‘एजुकेट गर्ल्स’ की स्थापना साल 2007 में सफीना हुसैन ने की थी.

Educate Girls awarded Ramon Magsaysay Award: लड़कियों की शिक्षा के लिए काम करने वाली गैर-लाभकारी संस्था ‘एजुकेट गर्ल्स' को रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. ऐसा पहली बार है, जब किसी भारतीय एनजीओ को यह अवार्ड मिला है. रविवार (31 अगस्त) को अवॉर्ड की घोषणा की गई. रेमन मैग्सेसे पुरस्कार फाउंडेशन (आरएमएएफ) की ओर से बयान जारी किया गया. बयान के मुताबिक, ‘एजुकेट गर्ल्स' ने रेमन मैग्सेसे पुरस्कार हासिल करने वाला पहला भारतीय संगठन बनकर इतिहास रच दिया है. खास बात यह है कि एजुकेट गर्ल्स ने राजस्थान से शुरूआत की थी और लड़कियों की शिक्षा के मामले में सबसे जरूरतमंद समुदायों की पहचान की.

ड्रॉप आउट गर्ल्स को स्कूल तक पहुंचाया

संस्था ने स्कूल न जाने वाली लड़कियों (ड्रॉप आउट गर्ल्स) को कक्षा में पहुंचाया और उन्हें उच्च शिक्षा और लाभकारी रोजगार के लिए योग्यता हासिल करने में सक्षम बनाया. एशिया का नोबेल माना जाने वाला रेमन मैग्ससे पुरस्कार, एशिया के लोगों की नि:स्वार्थ सेवा में दिखाई गई महान भावना को मान्यता देता है. अन्य दो विजेताओं में मालदीव की शाहिना अली को उनके पर्यावरण संबंधी कार्यों के लिए और फिलीपींस के फ्लेवियानो एंटोनियो एल विलानुएवा को उनके योगदान के लिए चुना गया है.

मनीला में 7 नंवबर को होगा समारोह

फिलीपींस की राजधानी मनीला के मेट्रोपोलिटन थिएटर में 67वां रेमन मैग्सायसाय पुरस्कार समारोह 7 नवंबर को होगा. आरएमएएफ के बयान में कहा गया कि लड़कियों और युवा महिलाओं की शिक्षा के माध्यम से सांस्कृतिक रूढ़िवादिता को दूर करने, उन्हें निरक्षरता के बंधन से मुक्त करने और ज़ज्बा बढ़ाने की प्रतिबद्धता के लिए एजुकेट गर्ल्स' को यह पुरस्कार दिया जा रहा है. ‘एजुकेट गर्ल्स' की स्थापना 2007 में सफीना हुसैन ने की थी. उन्होंने महिला निरक्षरता की चुनौती का सामना करने के लिए भारत लौटने का निर्णय लिया.

30 हजार गांवों तक पहुंची संस्था

साल 2015 में, इसने शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया का पहला ‘डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड' (डीआईबी) शुरू किया, जिसका उद्देश्य वित्तीय सहायता को परिणामों से जोड़ना था. संस्था की शुरुआत 50 ग्रामीण स्कूलों से हुई. यह संस्था भारत के सबसे वंचित क्षेत्रों के 30,000 से ज़्यादा गांवों तक पहुंची, जिनमें 20 लाख से ज़्यादा लड़कियां शामिल हुईं और जिनकी पढ़ाई जारी रखने की दर 90 प्रतिशत से ज़्यादा रही.

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