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This Article is From Oct 27, 2023

गहलोत की बढ़ेगी मुश्किल, ERCP डूब क्षेत्र के 36 गांवों के किसानों ने मुआवजा और पुनर्वास को लेकर आंदोलन की दी चेतावनी

राजस्थान विधानसभा चुनावों के बीच ‘पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना' (ईआरसीपी) और इससे जुड़े मुख्य ईसरदा बांध के डूब क्षेत्र के 36 गांवों के ग्रामीणों ने अधिग्रहित भूमि का उचित मुआवजा नहीं दिए जाने व पुनर्वास और रोजगार को लेकर कोई ठोस योजना नहीं होने का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव में वे अपनी इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए मतदान करेंगे.

गहलोत की बढ़ेगी मुश्किल, ERCP डूब क्षेत्र के 36 गांवों के किसानों ने मुआवजा और पुनर्वास को लेकर आंदोलन की दी चेतावनी
अशोक गहलोत ( फाइल फोटो)
जयपुर:

राजस्थान विधानसभा चुनावों के बीच ‘पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना' (ईआरसीपी) और इससे जुड़े मुख्य ईसरदा बांध के डूब क्षेत्र के 36 गांवों के ग्रामीणों ने अधिग्रहित भूमि का उचित मुआवजा नहीं दिए जाने व पुनर्वास और रोजगार को लेकर कोई ठोस योजना नहीं होने का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव में वे अपनी इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए मतदान करेंगे.

गौरतलब है सीएम अशोक गहलोत लगातार ईआरसीपी मुद्दे पर केंद्र सत्तासीन भाजपा और प्रधानमंत्री पीएम मोदी पर लगातार हमलावर रहते है, लेकिन अब यह मुद्दा खुद उनके लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है. कांग्रेस ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने के मुद्दे पर लगातार अभियान चला रही है, लेकिन अब परियोजना से जुड़े मुख्य ईसरदा बांध के डूब क्षेत्र के 36 गांवों के ग्रामीणों की चेतावनी राज्य सरकार की मुश्किल बढ़ा दी है. 

बांध के डूब क्षेत्र में आने वाले गांव ‘मंडावर' के ग्रामीण महावीर जांगीर ने बताया कि इस परियोजना से हमारे मकान डूब जाएंगे और उन्हें काफी कम मुआवजा मिल रहा है. ग्रामीण ने कहा कि उन्हें बांध से कोई फायदा नहीं है और निचले इलाके के लोगों को ही इसका लाभ मिलेगा.

उन्होंने बताया कि प्रति बीघा छह लाख रुपए मुआवजा दिया जा रहा है और वह भी एकमुश्त नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि जिन राजनीतिक दलों को उनकी चिंता नहीं है, वे उन्हें चुनाव में वोट नहीं देंगे. ERCP परियोजना की परिकल्पना के दो दशक बाद भी यह जमीनी हकीकत नहीं बन पाई है. ERCP परियोजना के तहत प्रदेश के 13 जिले आते हैं, जिनमें झालावाड़, कोटा, बूंदी, बारां, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, अलवर, दौसा, करौली, भरतपुर व धौलपुर शामिल है. 

ग्रामीणों का कहना है कि ईसरदा बांध के डूब क्षेत्र के तीन दर्जन गांवों के लोग विस्थापन और रोजी रोटी की समस्या का सामना कर रहे हैं. उनकी खेतीबाड़ी समाप्त होने के कगार पर है, बच्चों का भविष्य अंधकार में चला गया है और उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

ईसरदा बांध डूब क्षेत्र छह विधानसभा क्षेत्रों में फैला हुआ है और इन 36 गांवों में करीब 60 हजार मतदाता हैं. प्रदेश विधानसभा की सभी 200 सीटों के लिए मतदान 23 नवंबर को होगा व 3 दिसंबर को मतगणना होगी.

किराउ गांव के किसान छोटू लाल केवट का कहना है कि बांध बन रहा है, हमारी जमीन ली जा रही है, लेकिन इसके बाद हम कहां जाएंगे? क्या करेंगे? इसकी चिंता किसी को नहीं है. उन्होंने कहा, हमारी जमीन के बदले जो दूसरी जगह जमीन दिलायेगा, उसे ही हम वोट देंगे.

मंडावर के ग्रामीण राम सिंह गुर्जर ने कहा कि गांव के लोग बांध के खिलाफ नहीं हैं लेकिन डूब क्षेत्र के हजारों परिवारों की मांग है कि उन्हें एकमुश्त मुआवजा दिया जाए.

उन्होंने आगे कहा, प्रति बीघा अधिग्रहित जमीन के लिए 20 लाख रुपया दिया जाए जो अभी छह लाख प्रति बीघा तय किया गया है. इसके अलावा प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए और प्रति परिवार 10 लाख रुपए का अनुदान दिया जाए. यह हमारी मांग है.

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस महासचिव एवं प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो बार जनसभा में पूर्वी राजस्थान बांध परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने का वादा किया, लेकिन इसे अब तक पूरा नहीं किया गया। इस वादाखिलाफी को लेकर प्रदेश की जनता में रोष है।

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि इस परियोजना से राज्य के 14 जिले की 41 फीसदी आबादी को पेयजल मिलना था और 2 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई सुविधा भी सृजित होती. इसे पूरा नहीं करके राज्य की जनता को धोखा दिया गया है और यह चुनाव में बड़ा मुद्दा है.

दूसरी ओर, कांग्रेस एवं राजस्थान की गहलोत सरकार के दावे को खारिज करते हुए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा, राज्य सरकार परियोजना को पूरा करने के बजाय केवल राजनीति करना चाहती थी. गहलोत जी इस परियोजना को लेकर कभी गंभीर नहीं थे.

दक्षिणी राजस्थान में बहने वाली प्रमुख नदी, चंबल नदी के अतिरिक्त पानी को पूर्वी राजस्थान के अभावग्रस्त जिलों में ले जाने के लिए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना बनाई गई थी. इसी परियोजना से ईसरदा बांध परियोजना जुड़ी हुई है. कांग्रेस ईआरसीपी के मुद्दे पर पदयात्रा और चुनावी अभियान शुरू कर चुकी है. वहीं, भाजपा की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे ने हाल ही में गहलोत सरकार पर ईआरसीपी को ठंडे बस्ते में डालने का आरोप लगाया था.

टोंक स्थित ईसरदा बांध के अधीक्षण अभियंता (सुपरीटेंडिंग इंजीनियर) जितेंद्र लुहाड़िया ने को बताया कि बनास नदी पर निर्माणाधीन ईसरदा बांध परियोजना से दौसा जिले के 1078 गांव और सवाई माधोपुर जिले के 177 गांव को लाभ मिलेगा. कुल मिलाकर करीब 1200 गांव को फायदा होगा.

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