कई गुणों से भरपूर है गोखरू, गठिया और पथरी की समस्या में रामबाण

गोखरू एक आयुर्वेदिक औषधि है जो वात, पित्त और कफ दोषों को संतुलित करने में सहायक है. इसका उपयोग सिरदर्द, पाचन समस्याओं, मूत्र विकार, त्वचा रोग, गठिया, पथरी और यौन समस्याओं के इलाज में किया जाता है.

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गोखरू की तस्वीर.

Health News: गोखरू आयुर्वेद में उपयोग होने वाली एक प्रभावी औषधि है. यह वात, पित्त और कफ दोषों को संतुलित करने में मदद करता है. इसका उपयोग सिरदर्द, पाचन समस्याओं, पेशाब की कठिनाई, त्वचा रोग, गठिया, पथरी और यौन समस्याओं के इलाज में होता है.

सिरदर्द और दमा में राहत

गोखरू का काढ़ा सुबह-शाम लेने से सिरदर्द से छुटकारा मिलता है. दमा के मरीजों के लिए भी यह बेहद लाभकारी है. शोध के अनुसार 2 ग्राम गोखरू चूर्ण को सूखे अंजीर के साथ लेने से दमा में राहत मिलती है.

पाचन क्रिया को सुधारने में मददगार

पाचन क्रिया को मजबूत करने में गोखरू का अहम योगदान है. गोखरू का काढ़ा पीपल चूर्ण के साथ लेने से हाजमे की समस्याएं खत्म होती हैं. वहीं काढ़े में मधु मिलाकर पीने से मूत्र संबंधी परेशानियों में आराम मिलता है.

जोड़ों के दर्द और गठिया में असरदार

जोड़ों के दर्द में गोखरू का फल बेहद कारगर है. इसके काढ़े का सेवन गठिया जैसे पुराने रोगों से राहत दिलाने में मदद करता है. यह आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है.

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पथरी और त्वचा रोग में प्रभावशाली

गोखरू चूर्ण का शहद के साथ नियमित सेवन पथरी की समस्या से छुटकारा दिला सकता है. खुजली और दाद जैसी त्वचा समस्याओं में गोखरू को पानी में पीसकर लगाना लाभकारी है.

बुखार और यौन स्वास्थ्य में मददगार

बार-बार होने वाले बुखार में गोखरू के पंचांग से बना काढ़ा फायदेमंद है. इसके अलावा दूध में गोखरू को उबालकर पीने से स्पर्म काउंट और गुणवत्ता में सुधार होता है.गोखरू आयुर्वेद में छिपा एक खजाना है. इसके सही उपयोग से कई शारीरिक समस्याओं से निजात पाई जा सकती है. हालांकि, इसका सेवन आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह से ही करना चाहिए.

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