
Ranthambore National park: प्रदेश के सबसे बड़े रणथंभौर टाइगर रिजर्व इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है. पिछले कुछ दिनों से अप्रिय घटनाओं और त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग और रणथंभौर किले में बाघों की आवाजाही के कारण सुर्खियों में रहने वाले रणथंभौर टाइगर रिजर्व के लिए आज एक सुखद और अच्छी खबर आई है. जिससे रणथंभौर वन प्रशासन सहित वन्यजीव प्रेमियों में खुशी की लहर है.
बाघिन टी-111 दो छोटे शावकों के साथ घूमती देखी गई
बाघिन टी-111 शक्ति आज रणथंभौर के जोन नंबर 4 के जामुन देह वन क्षेत्र में अपने दो छोटे शावकों के साथ घूमती हुई दिखाई दी. पार्क घूमने आए पर्यटकों और गाइडों ने इस खूबसूरत नज़ारे को अपने मोबाइल कैमरों में कैद कर करने के साथ वन विभाग को भी इसकी सूचना दी.
वन विभाग अलर्ट, बढ़ाई गई निगरानी
पर्यटकों से सूचना मिलते ही वन विभाग हरकत में आ गया है. उसने बाघिन और उसके नन्हे शावकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इलाके में निगरानी बढ़ा दी. साथ ही वन विभाग की एक टीम लगातार बाघिन और शावकों पर नजर रख रही है.
बाघिन टी-19 'कृष्णा' की बेटी है 'शक्ति'
बाघिन टी-111 शक्ति रणथंभौर की मशहूर बाघिन टी-19 'कृष्णा' की बेटी है. वहीं, इन नन्हे शावकों का पिता रणथंभौर का बाघ टी-121 बताया जा रहा है. बाघिन शक्ति का यह दूसरा प्रसव है. इससे पहले भी उसने तीन शावकों को जन्म दिया था और अब दूसरी बार दो शावकों के साथ दिखने से रणथंभौर में बाघों की संख्या में और इजाफा हुआ है.
2024-25 में 15 नए शावक
बाघिन टी-111 शक्ति के नन्हे शावकों के आने के बाद यहां बाघों और बाघिन का कुनबा बढ़ गया है. रणथंभौर वन प्रशासन के अनुसार, साल 2024 में दो बाघिनों - टी-125 'सिद्धि' और टी-103 - ने कुल चार शावकों को जन्म दिया था. वहीं, 2025 में अब तक चार बाघिनों ने 11 शावकों को जन्म दिया है. इनमें टी-122 के चार, टी-2313 के दो, टी-107 'सुल्ताना' के तीन और अब टी-111 'शक्ति' के दो शावक शामिल हैं.
बढ़ती बाघों की संख्या चिंता का विषय
हालांकि रणथंभौर में बाघों की बढ़ती संख्या वन्यजीव प्रेमियों के लिए खुशी की बात है, लेकिन यह वन विभाग के लिए एक चुनौती भी है. डब्ल्यूआईआई के अनुसार, रणथंभौर में लगभग 950 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र बाघों के लिए उपलब्ध है, जिसमें अधिकतम 40 से 50 बाघ ही रह सकते हैं. वर्तमान में यहां बाघ-बाघिन और शावकों को मिलाकर इनकी संख्या करीब 80 तक पहुंच गई है.
जानकारों का कहना है कि एक बाघ को रहने के लिए 40 से 50 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की आवश्यकता होती है, जबकि रणथंभौर में प्रत्येक बाघ के लिए औसतन केवल 25 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र ही उपलब्ध है, जो पर्याप्त नहीं है.
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