शिल्पग्राम उत्सव उदयपुर: राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य की 'झीलों की नगरी' नाम से मशहूर उदयपुर में लोक संस्कृति के अनूठे पर्व ‘शिल्पग्राम उत्सव' का शुभारंभ किया. यह उत्सव 21 से 30 दिसंबर 2023 तक जारी रहेगा. केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर की ओर से आयोजित किए जा रहे इस दस दिवसीय 'शिल्पग्राम उत्सव' में कला प्रेमियों को राज्यपाल कलराज मिश्र ने संबोधित किया.
उन्होंने कहा कि 'शिल्पग्राम उत्सव' साधारण उत्सव नहीं, बल्कि देशभर की लोक संस्कृति के अनूठे संगम का प्रतीक है. यहां देश की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. इस पर्व में विभिन्न राज्यों के विभिन्न भाषाओं, खान-पान वाले लोगों को एक-दूसरे से मिलने और समझने का अवसर मिलता है.
जब सबका एक ही लक्ष्य, एक ही भावना का समावेश होता है, तभी ऐसे उत्सव की संकल्पना साकार रूप लेती है. राज्यपाल ने शिल्पग्राम उत्सव के दौरान लगने वाले कला शिविर, प्रतियोगिता, कार्यशाला और प्रदर्शनी की सराहना की. इससे पहले राज्यपाल मिश्र ने शिल्पग्राम के संगम सभागार में 'म्यूरल कला प्रदर्शनी' का उद्घाटन और अवलोकन किया.
इससे पूर्व स्वागत संबोधन में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर की निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने स्वागत भाषण में कहा कि कला संस्कृति हमारी पहचान ही नहीं, देश की शक्ति भी है. हम सभी का यह कर्तव्य है कि लोक संस्कृति से जन-जन को जोड़ें, साथ ही नए लोगों में भी इससे जुड़ाव पैदा करें. उन्होंने बताया कि पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर ने केंद्र सरकार की पॉलिसी के अनुसार हर घर तिरंगा, वंदे मातरम, राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव जैसे सफल आयोजन किए हैं.
इसके अलावा कला को प्रोत्साहन देने के उदृेश्य से कई कार्यशालाएं और शिविर भी लगाए हैं. अध्यक्षीय संबोधन में उदयपुर के मेयर गोविंद सिंह टांक ने उदयपुरवासियों का आह्वान किया कि यहां लगे शिल्पकारों के स्टाल्स से खरीदारी जरूर करें.
उदयपुर के महापौर जीएस टांक और पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने दीप प्रज्वलन के बाद ढोल वादन कर उत्सव का विधिवत आगाज किया.
राज्यपाल ने इस अवसर पर 25 साल से अपने उत्कृष्ट लेखन से लोक कलाओं के संरक्षण, संवर्धन और प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले डॉ. राजेश कुमार व्यास और लोक नृत्य प्रस्तुतीकरण एवं नृत्य निर्देशन में चार दशकों से योगदान देने वाले जयेंद्र सिंह जाडेजा को पद्म भूषण डॉ. कोमल कोठारी स्मृति लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान से नवाजा है.
प्रत्येक को 2.51 लाख रुपए और प्रशस्ति पत्र प्रदान करने के साथ ही शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया. डॉ. व्यास ने 25 पुस्तकों का लेखन किया है. जिनमें सांस्कृतिक राजस्थान, कलावाकार, रंग नाद, आदि हैंं.
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