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Ground Report: बूंदी में पिछले 15 दिन से किसानों को नहीं मिल रही यूरिया खाद, लगाए कालाबजारी के आरोप 

किसानों ने कहा कि फसलों में सिंचाई का समय निकला जा रहा है. आज दस दिन से ऊपर हमें सिंचाई किये हो गए और खाद नहीं मिल रही. ऐसे में उत्पादन प्रभावित होगा जिसका नुकसान भी हमें ही झेलना पड़ेगा.

Ground Report: बूंदी में पिछले 15 दिन से किसानों को नहीं मिल रही यूरिया खाद, लगाए कालाबजारी के आरोप 

Bundi News: बूंदी जिले में खाद की किल्लत किसानों के लिए जी का जंजाल बन चुकी है. पिछले 15 दिनों से किसानों को जिले में कहीं पर भी खाद नहीं मिल रहा है, जिससे उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. किसान सुबह से लेकर शाम तक अपने टोकन सहकारी केंद्रों पर लेकर पहुंचे रहे हैं. लेकिन अधिकारीयों द्वारा खाद नहीं आने का हवाला देकर कहा जा रहा है कि ट्रेन की रेक जब आएगी तभी मिल पाएगा.

एनडीटीवी ने किसानों को खाद को लेकर हो रही परेशानियों को लेकर ग्राउंड रिपोर्ट की. जहां पर किसान खाद केंद्रों के चक्कर लगाते हुए नजर आए. किसानों ने कहा कि सरकारी केंद्र पर डीएपी खाद नहीं मिल पा रही है. लेकिन कुछ निजी जगहों पर 1 हजार से लेकर 2 हजार ऊपर लेकर कालाबाजारी खाद के कट्टों की जा रही है. वहीं अधिकारियों ने कहा कि जिले में अभी तक एक खाद की रैक ट्रेन में आई थी जिसे वितरित कर दिया गया है. पिछले 15 दिनों से अभी तक एक भी रैक नहीं आई है जिले में 1000 टन खाद डीएपी आ भी जाएगा तब भी किसानों की मांग पूरी नहीं हो सकती. 

निकला जा रहा फसलों में सिंचाई का समय 

किसानों ने कहा कि फसलों में सिंचाई का समय निकला जा रहा है. आज दस दिन से ऊपर हमें सिंचाई किये हो गए और खाद नहीं मिल रही. ऐसे में उत्पादन प्रभावित होगा जिसका नुकसान भी हमें ही झेलना पड़ेगा. जिले के केशोरायपाटन, गेण्डोली, देई, नैनवा, हिण्डोली, नमाना सहित कई कस्बो में खाद मिलने की सूचना पर किसानों का जमवाड़ा लगा रहा लेकिन सभी जगह खाद केंद्र बंद पाए और आगे आने वाले दिनों में मिलने की बात कही गयी.

 किसानों का कहना है कि पिछले कई दिनों से हम खाद लेने आ रहे हैं. खाद के कट्टों की जरुरत ज्यादा है, हम रोज दफ्तर आ रहे हैं लेकिन खाद नहीं मिल रही है. 

कृषि विभाग ने यूरिया का 75 हजार मेट्रिक टन लक्ष्य रखा

कृषि विभाग ने यूरिया का 75 हजार मेट्रिक टन लक्ष्य रखा, जिसमें अब तक 10 हजार मेट्रिक टन यूरिया बंट चुका है. अभी 50 हजार मेट्रिक टन यूरिया की रैक आनी बाकी है. नैनवां-उनियारा में मांग ज्यादा है. नैनवां में सहकारी समिति नहीं है. किसान निजी दुकानों पर निर्भर हैं. नैनवां में देई मार्केटिंग खाद के विक्रेता हैं, जहां से ज्यादा यूरिया बिक्री होती है.
 

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