
Cough Syrup Case: राजस्थान में कफ सिरप मामले में हुए बच्चों की मौत पर जहां दवा कंपनी पर सवाल उठाए जा रहे हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग द्वारा बैन दवाओं के वितरण पर बड़ा सवाल उठ रहा है. हालांकि सरकार इस मामले में जांच की बात कह रही है. लेकिन इस बीच दवा की जांच रिपोर्ट सामने आई है. जिसमें कहा गया है कि दवा में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं है. दवाई के सभी सॉल्ट की मात्रा स्टेंडर्ड पाए गए हैं. बीते दिन स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में कहा गया था कि कफ सिरप डॉक्टर द्वारा प्रिसक्राइब नहीं की गई थी. हालांकि सीकर में एक मामले में डॉक्टर द्वारा प्रिसक्राइब का मामला सामने आया है जिसमें फार्मासिस्ट और डॉक्टर पर कार्रवाई की बात कही गई है. जांच रिपोर्ट पर स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने भी बड़ा बयान दिया है.
बता दें भरतपुर और सीकर में डेक्सट्रोमेथारपन कफ सिरप पीने के मामले में दो बच्चों की मौत हुई थी. हालांकि केवल सीकर के हाथीदेह पीएचसी में एक बच्चे को यह प्रतिबंधित दवा लिखे जाने का प्रकरण सामने आया.
स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र खींवसर ने क्या कहा
कफ सिरप सेवन से बच्चों के मौत के मामले में स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि जिस दवा के कारण यह घटना बताई जा रही है. वह किसी सरकारी अस्पताल के डॉक्टर द्वारा लिखी या परामर्शित नहीं की गई थी. यह दवा बच्चों को उनके परिजनों के स्तर पर दी गई है. बच्चों के परिजनों ने इसे कही से भी खरीद कर दे दी. खींवसर ने कहा कि इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की कोई भूमिका नहीं है. उन्होंने दवा की गुणवत्ता को लेकर भी कहा कि दवा की जांच हो चुकी है और दवा में किसी तरह की दिक्कत नहीं है.
जांच रिपोर्ट में क्या कहा गया
रिपोर्ट के मुताबिक लैब के अधिकारी है रामबाबू के दस्तखत से जांच रिपोर्ट जारी की गई है. सेठी कॉलोनी की औषधि परीक्षण प्रयोगशाला की तरफ से यह रिपोर्ट दी गई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 29 सितंबर 2025 को उनके पास सैंपल आए और आरएमएससीएल यानि राजस्थान मेडिकल सर्विसेज लिमिटेड के क्वालिटी कन्ट्रोल एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर की तरफ से यह सैंपल भेजे गए. इनमें केयसंस फार्मा का जो सैंपल था, उसका बैच नम्बर केएल-25/147 और दूसरे बैच के सैम्पल जांच के लिए मिले थे.
बैच नम्बर 147 की मैन्युफैक्चरिंग तारीख जून 2025 है, जबकि इसकी एक्सपायरी डेट में मई 2027 की तारीख लिखी गई है. केयसंस फार्मा की इस दवाई में प्रत्येक 5ML डोज़ में डेक्स्ट्रोमेथोर्फिन हाई ब्रोमाइड की 13.5 Mg की मात्रा होने का दावा था. इसके फ्लेवर और रंग का जिक्र भी इसमें किया गया है. जांच के बाद जो रिपोर्ट आई है उसमें साफ लिखा गया है कि दवा में जो मात्रा 13.5 Mg होने का दावा किया था. वह 13.95 Mg मिली है. यानी दावा की गई मात्रा से 3.36 फीसदी ज्यादा मात्रा मिली है. इस रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि इसकी अनुमत सीमा 95 से 105 फ़ीसदी के बीच हो सकती है. इसी तरह जो बैच नंबर 148 का सैंपल है, उसमें 13.5 Mg के दावे के मुकाबले 13.45 एमजी दवा मिली है. यह कंपनी के दावे के मुकाबले 99.65 फीसदी है. बैच नंबर 250 में दवा की मात्रा 13.22 Mg मिली है. यानि दावे के मुकाबले इसमें 97.92 फ़ीसदी दवाई है. यह तीनों बैच जयपुर की कम्पनी कैसन्स फार्मा के प्रोडक्शन हैं.
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