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This Article is From Mar 17, 2024

Holi 2024: शुरु हुआ होलाष्टक, परंपरा के तहत माता रानी से मांगी बीकानेर में होली की अनुमति

माता रानी नागणेची के प्रांगण में शाकद्वीपीय समाज ने भजनों के साथ माता के चरणों में धोक लगाई और भजनों की प्रस्तुति देकर माता को रिझाया. इसके साथ ही इत्र और गुलाल अर्पित कर माता से बीकानेर शहर में होली की अनुमति देने की अरदास की.

Holi 2024: शुरु हुआ होलाष्टक, परंपरा के तहत माता रानी से मांगी बीकानेर में होली की अनुमति
प्रतीकात्मक फोटो

Holi Special: होली के कार्यक्रमों का आज से विधिवत आगाज हो चुका है. इसी के तहत रियासत कालीन परंपरा के अनुसार बीकानेर शाकद्वीपीय मग ब्राह्मण समाज ने नागणेची मंदिर प्रांगण में भजनों की प्रस्तुति देते हुए माता रानी के चरणों में इत्र और गुलाल अर्पित किया और गुलाल उछालते हुए होली की अनुमति मांगी गई. उसके बाद गेर निकाल कर शहर में होली का आगाज किया.

माता रानी नागणेची के प्रांगण में शाकद्वीपीय समाज ने भजनों के साथ माता के चरणों में धोक लगाई और भजनों की प्रस्तुति देकर माता को रिझाया. इसके साथ ही इत्र और गुलाल अर्पित कर माता से बीकानेर शहर में होली की अनुमति देने की अरदास की.

उसके बाद मंदिर प्रांगण में सभी भक्तों को गुलाल का टीका लगाकर और गुलाल उछालकर बीकानेर शहर में होली की शुरूआत की गई. देर रात को गोगागेट से शाकद्वीपीय समाज द्वारा गेर भी निकाली गई, जो बागडियो के मोहल्ले से होते हुए रामदेव मंदिर चाय पट्टी से बड़ा बाजार बैदो का चौक, मरुनायक चौक, होते हुए सेवगो के चौक में सम्पन्न हुई. 

होलाष्टक और इसका धार्मिक महत्व

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलाष्टक होलिका दहन से 8 दिन पहले से लग जाता है. इस बार होलाष्टक 17 मार्च से 24 मार्च तक लगेगा. ऐसा माना जाता है कि इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है. होलाष्टक के दिन से होली की तैयारी शुरू हो जाती है. ऐसे में होलाष्टक के दौरान लोग शुभ काम नहीं करते और करने से बचते हैं.

क्यों लगते है होलाष्टक?

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलाष्टक को लेकर एक कथा प्रचलित है कि राजा हिरण्य कश्यप बेटे प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने इन 8 दिन प्रहलाद को कठिन यातनाएं दीं. इसके बाद 8वें दिन बहन होलिका (जिसे आग में न जलने का वरदान था) की गोद में प्रहलाद को बैठा दिया, लेकिन फिर भी प्रहलाद बच गए.

होलाष्टक के दौरान सोलह संस्कार सहित सभी शुभ कार्यों को रोक दिया जाता है. इन दिनों गृह प्रवेश या किसी अन्य भवन में प्रवेश करने की भी मनाही होती है. इतना ही नहीं, नई शादी हुई लड़कियों को ससुराल की पहली होली देखने की भी मनाही होती है.

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