![भाजपा के लिए कितने जरूरी है महेंद्रजीत मालवीय? मिशन 25 के अहम हैं मालवीय भाजपा के लिए कितने जरूरी है महेंद्रजीत मालवीय? मिशन 25 के अहम हैं मालवीय](https://c.ndtvimg.com/2024-02/3or1jk9g_mahendrajeet-singh-malviya_625x300_16_February_24.jpg?im=FitAndFill,algorithm=dnn,width=773,height=435)
Mahendrajeet Singh Malviya: राजस्थान में लोकसभा चुनाव से पहले ऑपरेशन लोटस की काफी चर्चा हो रही है. दक्षिणी राजस्थान के एक बड़े आदिवासी नेता समेत कुछ और नेता भाजपा के संपर्क में बताए जा रहे हैं. यह सभी नेता कांग्रेस के हैं और अपने - अपने इलाके में मजबूत पैठ रखते हैं. इन सभी नेताओं में बागीदौरा विधायक महेंद्रजीत मालवीय सबसे बड़ा नाम है. महेंद्रजीत मालवीय दक्षिणी राजस्थान से आते हैं. बांसवाड़ा जिले की बागीदौरा विधानसभा सीट से विधायक हैं. कांग्रेस के केंद्रीय कार्य समिति के सदस्य हैं. वे पिछला चुनाव 40 हजार से ज्यादा मतों से जीते. जबकि भाजपा में शामिल होते हैं तो उन्हें विधानसभा सीट से इस्तीफा देना होगा. आपको बता दें, महेंद्रजीत मालवीय मिशन 25 के लिए काफी अहम हो गए थे.
अब सवाल है कि कांग्रेस में दशकों बीताने वाले और इतने ऊंचे पद पर होने के बावजूद भी महेंद्रजीत मालवीय पार्टी और विधानसभा सीट क्यों छोड़ना चाहते हैं? अगर वे विधानसभा से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो रहे हैं तो क्या भाजपा उन्हें कुछ बड़ा ऑफर देगी? क्या भाजपा में उनकी एंट्री की राह इतनी आसान होने वाली है?
भाजपा को डूंगरपुर-बांसवाड़ा में जमीन खिसकने का डर!
भाजपा की नजर लोकसभा में एक बार फिर से क्लीन स्वीप करने पर है. लेकिन विधानसभा चुनाव के परिणाम के आंकड़े ने डूंगरपुर - बांसवाड़ा सीट को लेकर पार्टी की बेचैनी बढ़ा दी थी. विधानसभा चुनाव में भाजपा ने भले ही प्रदेश में सरकार बनाई हो लेकिन डूंगरपुर और बांसवाडा में पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. भाजपा को दोनो जिलों की 9 सीटों में केवल दो सीटें मिली है. पिछली बार के मुकाबले पार्टी ने न सिर्फ सीटों का नुकसान सहा है बल्कि पार्टी का वोट भी घटा है.
डूंगरपुर-बांसवाड़ा लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों में 2018 के चुनाव में भाजपा को 5 लाख 74 हजार 867 वोट मिले थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को 7 लाख 11 हजार 709 वोट मिले थे. लेकिन 2023 के चुनाव में भाजपा का वोट घटकर 5 लाख 30 हजार 123 पहुंच गया है.
जाहिर है भाजपा इन आंकड़ों को बेहतर करना चाहती है. इसलिए महेंद्रजीत मालवीय जैसे मजबूत नेता के आने से पार्टी को काफी उम्मीदें हैं. क्योंकि कांग्रेस पार्टी से इतर महेंद्रजीत मालवीय का अपना भी वोट बैंक है.
आदिवासी पार्टी को मजबूत उपस्थिति और कांग्रेस से गठबंधन की चर्चा
चर्चा है कि महेंद्रजीत मालवीय अपनी पत्नी के लिए लोकसभा का टिकट चाहते थे. इस बीच पार्टी का एक धड़ा भारत आदिवासी पार्टी से गठबंधन की बात भी कर रहा है. ऐसे में महेंद्रजीत मालवीय को यह सीट मिलने की उम्मीद कम थी. आदिवासी पार्टी ने बीते कुछ सालों में इस इलाके में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की है. पिछले विधानसभा चुनाव में बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा के अंतर्गत आने वाली 8 सीटों में 2 लाख 05 हजार 770 वोट प्राप्त किए थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में ट्राइबल पार्टी के उम्मीदवार कांतिलाल रोत को 2 लाख 50 हजार 761 मत आए थे. वहीं इस बार के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 4 लाख 81 हजार 591 वोट आए थे. विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने 3 सीटें जीती थी और 5 सीटों पर पार्टी दूसरे नंबर पर रही. दक्षिणी राजस्थान में अलग - अलग हिस्सों में पार्टी लगातार दोनों प्रमुख दलों के लिए मुश्किलें बढ़ा रही है. राज्य की 25 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इनमें भाजपा और कांग्रेस के पास 11-11 सीटें और आदिवासी पार्टी के पास 3 सीटें हैं. मध्यप्रदेश में भी पार्टी ने एक सीट जीती है. साथ ही गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की आदिवासी बहुल सीटों पर भी पार्टी ने काम करना शुरू किया है. सियासी हलकों में चर्चा है कि अगर दोनो पार्टियों का गठबंधन होता है तो दक्षिणी राजस्थान में सियासी समीकरण बदल सकते हैं.
पार्टी से नाराजगी भी एक वजह
कांग्रेस की तरफ से नेता प्रतिपक्ष की रेस में महेंद्रजीत मालवीय का नाम भी शामिल था. स्वयं महेंद्रजीत मालवीय इसको लेकर इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने यह तक कह दिया था कि मुझे नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया है. लेकिन जब नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा हुई तो टीकाराम जूली को पार्टी ने नेता प्रतिपक्ष बनाया. यह मालवीय के नाराजगी की तात्कालिक वजह बनी.