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झालावाड़ में करोड़ों की जमीन पर अवैध कब्जा, नगर परिषद को खुद नहीं पता- उसके पास कितनी संपत्ति?

नगर परिषद द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान तो चलाए जाते हैं, लेकिन उसकी खुद की संपत्ति पर कितने लोग कब्जा करें बैठे हैं इसका झालावाड़ नगर परिषद को जरा भी इल्म नहीं है.

झालावाड़ में करोड़ों की जमीन पर अवैध कब्जा, नगर परिषद को खुद नहीं पता- उसके पास कितनी संपत्ति?

Rajasthan News: राजस्थान के झालावाड़ शहर में चारों तरफ नगर परिषद की संपत्ति बिखरी पड़ी है. लेकिन नगर परिषद को खुद भी यह नहीं मालूम कि उसकी संपत्ति कौन-कौन सी है. इस संबंध में नगर परिषद के अधिकारी से सवाल पूछा जाता है तो चुप्पी साध लेते हैं. नगर परिषद की इसी लापरवाही का फायदा उठाकर अतिक्रमण करने वाले लोग नगर परिषद की संपत्तियों पर कुंडली मारे बैठे हैं. नगर परिषद द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान तो चलाए जाते हैं, लेकिन उसकी खुद की संपत्ति पर कितने लोग कब्जा करें बैठे हैं इसका झालावाड़ नगर परिषद को जरा भी इल्म नहीं है. ना तो झालावाड़ नगर परिषद के पास उसकी संपत्ति कब्जाने वाले लोगों की कोई सूची है ना ही जानकारी. अब जबकि आरटीआई कार्यकर्ता ओम प्रकाश द्वारा पूरे मामले में जानकारी मांगी तो आनन फानन में उस संपत्ति का ब्यौरा इकट्ठा करने का प्रयास किया जा रहा है. जो झालावाड़ नगर परिषद की है.

नगर परिषद की संपत्ति की पट्टे भी बनाए जा चुके हैं

झालावाड़ नगर परिषद के सूत्र और शहर के पुराने लोग बताते हैं कि झालावाड़ शहर की ही यदि बात करें तो पुराने झालावाड़ शहर में नगर परिषद की 200 से अधिक बसें थी जिनमें से अधिकांश मंगलपुरा, बड़ा बाजार, बस स्टैंड, गढ़ परकोटे के बाहर का क्षेत्र सहित शहर के विभिन्न हिस्सों में स्थित है. इनमें से अधिकांश संपत्तियों पर वर्षों से लोग कब्जा किए हुए बैठे हैं और नगर परिषद के हाथ कुछ नहीं आ रहा है. सूत्र बताते हैं कि कई कब्जे धारियों द्वारा पट्टे बनवाने की भी कोशिश की जा चुकी है जिनमें से कुछ कामयाब भी हो चुके हैं.

संचालित है व्यावसायिक और आवासीय गतिविधियां

झालावाड़ शहर में नगर परिषद की संपत्तियों पर जिन लोगों ने कब्जे जमा रखे हैं उनके द्वारा इनमें धड़ले से आवासीय और व्यवसाय गतिविधियां भी संचालित की जा रही हैं. कई जगह लोगों ने दुकान बना ली हैं तो कई परिसरों को व्यावसायिक परिसर के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं कई संपत्तियां ऐसी है जिनमें वर्षों से लोग निवास कर रहे हैं और उन्होंने नियमों के विरुद्ध जाकर संपत्तियों में तोड़फोड़ करके उनको अपने हिसाब से निर्माण भी कर लिया है. लेकिन नगर परिषद के कानों पर आज तक भी जूं नहीं रेंगी, ना ही परिषद ने इस तरफ कोई ध्यान देना मुनासिब समझा. कई जगह तो ऐसे मामले भी देखने को मिलते हैं जहां कब्जाधारियों ने पूरे परिसर में किराएदारों को रखा हुआ है तथा उनसे मोटा किराया भी वसूल रहे हैं, जबकि नगर परिषद को इन संपत्तियों से का कुछ भी हासिल नहीं हो रहा है.

हो सकती है करोड़ों की आय

झालावाड़ नगर परिषद की लोगों द्वारा कब्जाई हुई संपत्तियों पर यदि नजर डालें तो साफ तौर पर जाहिर होता है कि शहर में इन संपत्तियों का निस्तारण यदि नगर परिषद सही तरीके से करें तो नगर परिषद को इससे करोड़ों रुपए की आमदनी हो सकती है. क्योंकि ना तो फिलहाल नगर परिषद को इनसे किराया मिल रहा है ना ही वह इनको बेच पा रही है. ऐसे में यदि इनको कब्जाधारियों से मुक्त करवा कर व्यवस्थित तरीके से नीलामी के माध्यम से या अन्य तरीकों से बेचान करके मामले को निपटाया जाए तो नगर परिषद को काफी बड़ी आय मिल सकती है, लेकिन नगर परिषद के अधिकारी और कर्मचारी चैन की नींद सो रहे हैं उन्हें इस पूरे मामले से कोई सरोकार नजर नहीं आता.

इस पूरे मामले पर नगर परिषद झालावाड़ के कार्यवाहक आयुक्त नरेंद्र कुमार का कहना है कि मैं फिलहाल तबादले पर चल रहा हूं. ऐसी संपत्तियों को लेकर अभी कुछ नहीं हुआ है.

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