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राजस्थान में चित्तौड़गढ़ में सबसे ज्यादा उम्मीदवार मैदान में, प्रत्येक बथ पर लगाना होगा 2 EVM

चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र में 8 अप्रैल को नाम वापसी के अंतिम दिन एक निर्दलीय ने नाम वापस लेने से अब 18 उम्मीदवार चुनावी मैदान में है.

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राजस्थान में चित्तौड़गढ़ में सबसे ज्यादा उम्मीदवार मैदान में, प्रत्येक बथ पर लगाना होगा 2 EVM
उदयलाल अंजना और सीपी जोशी

Rajasthan News: चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट पर नामंकन वापसी के तय समय तक नाम वापसी के बाद चुनावी मैदान में रहने वाले उम्मीदवारों की स्थिति साफ हो गई हैं. चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र में 8 अप्रैल को नाम वापसी के अंतिम दिन एक निर्दलीय ने नाम वापस लेने से अब 18 उम्मीदवार चुनावी मैदान में है. चुनावी मैदान में उम्मीदवारों का यह आंकड़ा राजस्थान की 25 सीटों में से सबसे अधिक हैं. चुनाव में उम्मीदवारों की नामांकन की संख्या को देखते हुए निर्वाचन विभाग के लिए भी चुनौती बड़ी हो गई है. क्योंकि एक ईवीएम मशीन में नोटा समेत 16 उम्मीदवार ही शामिल हो सकते है और 18 प्रत्याशी होने की स्थिति में निर्वाचन विभाग को प्रत्येक बूथ पर दो ईवीएम मशीनें लगानी होगी और इसके लिए चुनाव आयोग को अतिरिक्त मशक्कत करनी होगी. हालांकि साल 2019 में लोकसभा चुनाव में जयपुर सीट पर सबसे अधिक 24 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे.

चित्तौड़गढ़ में कौन-कौन प्रत्याशी मैदान में

लोकसभा आम चुनाव-2024 के अंतर्गत नाम वापसी के अंतिम दिन सोमवार को एक प्रत्याशी निर्दलीय गुलाबचंद ने अपना नामांकन वापस लिया. इसके साथ ही चित्तौडगढ संसदीय क्षेत्र से कुल 18 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है. जिला निर्वाचन अधिकारी आलोक रंजन ने बताया कि इंडियन नेशनल कांग्रेस से अंजना उदयलाल, भारतीय जनता पार्टी से चंद्र प्रकाश जोशी, बहुजन समाज पार्टी से मेघवाल राधेश्याम, अखिल भारतीय कांग्रेस दल (अंबेडकर) से आजाद प्रकाष चन्द्र मेघवाल, एकम सनातन भारत दल से प्रकाश धाकड़, राइट टू रिकॉल पार्टी से महावीर प्रसाद कुमावत, भारत आदिवासी पार्टी से भील आदिवासी मांगीलाल ननामा, पहचान पीपुल्स पार्टी से मोहम्मद वाहिद खान एवं  विश्व शक्ति पार्टी  से सीताराम अहीर के साथ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कमल, कल्याण सिंह भाटी, गजेंद्र, जोगेंद्र सिंह होड़ा, प्रताप सिंह, बापू लाल अंजना, कुमावत रमेश चन्द्र, रामेश्वर लाल बैरवा एवं श्यामलाल मेघवाल चुनाव मैदान में है. 

मुख्य मुकाबला कांग्रेस-भाजपा के बीच

इस चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है, लेकिन चुनाव के बीच ताल ठोककर खड़ी भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) भी कुछ समीकरण बिगाड़ सकती है. बहरहाल मुख्य मुकाबला कांग्रेस के उदयलाल आंजना और भाजपा की प्रदेशाध्यक्ष और लगातार दो बार के सांसद सीपी जोशी के बीच माना जा रहा हैं. पिछले दो चुनाव में मोदी लहर पर सवार सीपी जोशी ने 2014 में कांग्रेस को नेता गिरिजा व्यास और 2019 में गोपाल सिंह ईडवा को हराया था लेकिन इस बार 1998 में सांसद रहे कांग्रेस के कद्दावर नेता उदयलाल आंजना से मुकाबला होने से यह चुनाव रोचक बन पड़ा है. जहां एक ओर भाजपा अपनों के अन्तर्कलह से जूझ रही है वहीं कांग्रेस इस चुनाव में एकजुट दिखाई दे रही है. ऐसे में चुनावी समीकरण हर दिन बदलते दिखाई दे रहे है. 

गत चुनाव में आठों विस में भाजपा-कांग्रेस के बीच महज 59 हजार का अंतर

चित्तौड़गढ़ लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों पर गत साल हुए विधानसभा चुनाव से अनुमान लगाया जाये तो भाजपा और कांग्रेस के मतों में महज 59 हजार 574 मतों का ही अंतर रहा है. भाजपा को पिछले विधानसभा चुनाव में 7 लाख 8 हजार 985 मत मिले तो वहीं कांग्रेस को 6 लाख 49 हजार 411 वोट प्राप्त हुए थे. वहीं विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों ने 2 लाख से अधिक मत हासिल किये थे. वहीं बाप पार्टी ने के उम्मीदवारों ने संसदीय क्षेत्र में 62 हजार 23 वोट मिले थे. अब इन मतों के हिसाब से लोकसभा चुनाव का आकंलन किया जाये तो कोई निर्दलीय उम्मीदवार प्रभावी दिखाई ने दे रहा है. महज भारत आदिवासी पार्टी (बाप) के उम्मीदवार ही चुनाव परिणाम को प्रभावित करने में सक्षम है. बीएपी का प्रभाव प्रतापगढ़ और बड़ीसादड़ी विधानसभा क्षेत्र में देखा जा सकता है. ऐसे में किसी भी प्रकार का पूर्वानुमान लगाना कठिन है.

राजपूत और ओबीसी फैक्टर प्रभावी

लोकसभा चुनाव में खड़े प्रत्याशी सीपी जोशी और उदयलाल आंजना के बीच यदि जातिगत समीकरण देेखे जाये तो आंजना किसान समुदाय का प्रतिनिधित्व करते है और ओबीसी वर्ग से आते है जबकि सीपी जोशी ब्राह्मण समुदाय से है. पिछले कुछ समय से राजपूत वर्ग की भाजपा से देखी जा रही नाराजगी का भी इस लोकसभा चुनाव में असर देखने काे मिल सकता है. वहीं एक अनुमान के मुताबिक चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र में करीब 55 से 60 प्रतिशत मतदाता ओबीसी वर्ग से है जिसमें जाट, गुर्जर, धाकड़, गायरी, डांगी, कुमावत, माली जैसी जातियां आती है जो किसान वर्ग से है. इसका सीधा लाभ भी आंजना को मिल सकता है. हालांकि दो बार के सांसद सीपी जोशी एक बड़े अंतर से चुनाव जीत चुके है लेकिन देखना होगा कि अब इस चुनाव में वे कितना कमाल कर पाते है. 

आकोला में सीपी जोशी को झेलना पड़ा विरोध

लोकसभा चुनाव में जहां दोनों ही प्रत्याशी चुनाव प्रचार में व्यस्त है. वहीं दो दिन पूर्व भाजपा प्रत्याशी सीपी जोशी को आकोला क्षेत्र में ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा. आकोला क्षेत्र के खेड़िया ग्रामवासियों ने सीपी जोशी के काफिले को रोककर रोड़ नहीं तो वोट नहीं के नारे लगाते हुए विरोध-प्रदर्शन किया. इस दौरान ग्रामीणों ने क्षेत्रीय विधायक अर्जुन लाल जीनगर और सांसद सीपी जोशी को जमकर खरी खोटी सुनाई.

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