Jaipur Bomb Blast Case: सुप्रीम कोर्ट ने जयपुर में 2008 में हुए बम ब्लास्ट के नाबालिग आरोपी को रिहा करने का आदेश दिया. आरोपी संप्रेषण किशोर गृह में बंद था. सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिलने के आधार पर नाबालिग आरोपी शनिवार को संप्रेषण किशोर गृह से रिहा हो गया. उसे एक लाख रुपए के मुचलके और 50-50 हजार रुपए की दो जमानत लेकर रिहा किया गया. उसका पासपोर्ट जमा करवाकर रोज एटीएस ऑफिस में हाजिरी देनी होगी.
14 साल से जेल में बंद था आरोपी
आरोपी के अधिवक्ता मिनहाजुल हक के अनुसार नाबालिग आरोपी जयपुर बम ब्लास्ट से जुड़े केसों में 14 साल से बंद था. सुप्रीम कोर्ट ने जिंदा बम मामले में सशर्त जमानत दिया. किशोर न्याय बोर्ड को ट्रायल 3 महीने में पूरी करने का आदेश दिया.
घटना के समय 16 साल का था आरोपी
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि उसे जयपुर बम ब्लास्ट केस से जुड़े मुख्य केस में दोषमुक्त कर दिया. वह घटना के समय 16 साल 3 महीने का था और जिंदा बम मामले में 2019 से बंद है, जबकि कानूनन किसी नाबालिग को तीन साल से ज्यादा की सजा नहीं हो सकती. कोर्ट ने विदेश यात्रा न करने की शर्त लगाई है.
13 मई 2008 का जयपुर में हुआ था बम धमाका
13 मई, 2008 की शाम को जयपुर के परकोटा में एक के बाद एक 8 धमाके हुए. घरों में बैठे लोग भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे थे. इस बम धमाके में 71 लोगों की जान चली गई थी. बम धमाकों के दोषियों को 20 दिसंबर 2019 को फांसी की सजा दी गई, लेकिन आज भी उनका गला फंदे से दूर है.
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