Vishvendra Singh: विश्वेन्द्र सिंह गहलोत सरकार में मंत्री रहे. उन्होंने पत्नी दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ मारपीट और भरपेट खाना नहीं देने का आरोप लगाया है. इनकी पत्नी दिव्या सिंह सांसद भी थीं. उन्होंने उपखंड अधिकारी के ट्रिब्युनल में प्रार्थना पत्र देकर भरण पोषण खर्च की मांग की है. उन्होंने कहा कि पत्नी और बेटा भरपेट खाना नहीं देते हैं, जिससे परेशान होकर घर छोड़ दिया.
5 लाख रुपए हर महीने भरण-पोषण खर्च दिलाने की मांग की
उन्होंने प्रार्थना पत्र में पत्नी और बेटे से 5 लाख रुपए हर महीने भरण-पोषण खर्च दिलाने की मांग की है. मोती महल और कोठी दरबार निवास को खाली कराने की गुहार लगाई है. बेटे अनिरुद्ध सिंह ने सभी आरोपों को झूठा बताया. उन्होंने कहा कि उनके पास फाइनेंशियल फ्रॉड और संपत्ति को गलत तरीके से बेचने के साक्ष्य हैं. अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि जरूरत पड़ने पर एसडीएम कोर्ट में पेश किया जाएगा.
विश्वेंद्र ने संपत्तियों पर एकमात्र अपना हक बताया
पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने परिवार में लिखा है कि प्रार्थी वरिष्ठ नागरिक हैं. ह्रदय रोग के मरीज हैं. 2 स्टंट डले होने के कारण टेंशन सहन नहीं कर सकता. उन्होंने बताया कि उन्हें 2021-22 में दो बार कोरोना पॉजिटिव हुए. पत्नी और बेटे ने कोई सहायता नहीं की. फोन पर बात तक नहीं की. उन्होंने अपने पिता से वसीयत के जरिए प्राप्त संपत्तियों पर एकमात्र अपना स्वामित्व बताया.
"पत्नी-बेटे घर से सामान बाहर फेंक दिया"
विश्वेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि पत्नी और बेटे उनके कपड़े फाड़कर कुएं में फेंक दिए. कपड़ों का जला दिया. कागजात के रिकॉर्ड आदि फाड़ दिए. गाली-गलौज कर कमरों से सामान बाहर फेंक दिया. चाय-पानी बंद करा दिया. खाना भी अधूरा ही छोड़ दिया.
"बिना अनुमति के बाहर आना-जाना भी बंद कर दिया"
विश्वेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि निर्वाचन क्षेत्र से आने वाले लोगों को उनसे मिलने तक नहीं दिया जाता. बिना अनुमति क बाहर आना-जाना भी बंद कर दिया. ड्राइवर भी हटा दिया गया. उन्होंने जान का खतरा बताया. उन्होंने पत्नी-बेटे पर संपत्ति हड़पने के प्रयास का आरोप लगाया. विश्वेंद्र सिंह ने परिवाद में कहा कि उनके साथ मारपीट हुई और एक कमरे तक में सीमित कर दिया गया था. गार्ड से भी दुर्व्यवहार किया गया. इसकी वजह से उन्हें घर छोड़कर जाना पड़ा.
विश्वेंद्र सिंह सरकारी आवास और होटल में रहने को मजबूर
उन्होंने बताया कि वो कभी सरकारी आवास पर रहते हैं तो कभी होटल में रहते हैं. उनका आरोप है कि जब भी वे भरतपुर आते हैं तो अपने निवास में घुसने तक नहीं दिया जाता. उन्होंने घर के स्टोर में करोड़ों रुपए की वस्तुएं तक छोड़ दिया. 912 लाख के सोने-चांदी के जवाहरात, ज्वेलरी और उनकी ओर से दिए गए 25 लाख के गहने पत्नी दिव्या सिंह के पास हैं.
विश्वेन्द्र सिंह की मांग
- पत्नी और बेटे से 5 लाख रुपए हर महीने भरण-पोषण के रूप में दिलाया जाए
- मोती महल, कोठी दरबार निवास, सूरज महल, गोलबाग परिसर स्थित सभी भवन, मंदिर और देवालय का कब्जा दिलाया जाए
- सभी पैलेसियल आइटम फर्नीचर, भवनों में स्थित साज सज्जा का सामान, यूटेन्सियल्स, कालीन, ट्रॉफी सहित अन्य सामान दिलाया जाए.
- कोठी इजलास खास के संबंध में 27 अक्टूबर 2020 को दिया गया दान पत्र व उसके द्वारा किया गया अंतरण अवैधानिक शून्य व अप्रभावी घोषित किया जाए.
- दो बंदूक भी पत्नी व बेटे के कब्जे से दिलाई जाएं.
यह मांगी अंतरिम राहत
प्रार्थना पत्र में अंतरिम तौर पर इजलास खास व किसी चल, अचल संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति को अंतरित नहीं करने की मांग की गई है. साथ ही, पत्नी और बेटे को सोशल मीडिया और मोबाइल पर मैसेज कर उनके सम्मान को क्षति नहीं पहुंचाने के लिए पाबंद करने का आग्रह भी किया है.
चार साल से चल रहा विवाद
भरतपुर के पूर्व राजपरिवार के बीच करीब चार साल से विवाद चल रहा है. इसके कारण पूर्व राजपरिवार के सदस्य एवं पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह मोती महल के बजाय अन्य निजी आवास पर रह रहे हैं. बीच में विश्वेंद्र सिंह के पुत्र के ट्वीट भी विवाद में रहे.