
Jaipur Mandi Waterlogging: राजधानी जयपुर की मुहाना मंडी एक बार फिर बारिश के बाद जलभराव की समस्या से जूझ रही है. एशिया की सबसे बड़ी मंडियों में शुमार इस मंडी में ड्रेनेज सिस्टम की बदहाली से हालात इतने बिगड़ गए हैं. बारिश थमने के कई घंटे बाद तक व्यापारिक प्रतिष्ठानों के आसपास पानी जमा रहता है. यही नहीं यह पानी दुकानों के तहखानों तक पहुंच जाता है, जिससे लाखों रुपये के माल को नुकसान होता है.
मंडी में जल निकाली की कोई व्यवस्था नहीं
व्यापारियों का कहना है कि मानसून का आना जहां किसानों और आमजन के लिए खुशखबरी लेकर आता है, वहीं मुहाना मंडी में यह बारिश मुसीबत बन जाती है. मंडी में जल निकासी की उचित व्यवस्था न होने के कारण पानी गलियों में भरा रहता है. इससे किसानों की सब्जियों और फलों से भरी गाड़ियां अक्सर कीचड़ और नालों में फंस जाती हैं. यहां तक कि ग्राहक और व्यापारी भी जलभराव में गिर जाते हैं.

व्यापारियों के शिकायत पर भी नहीं हुआ समाधान
व्यापारी कई सालों से मंडी प्रशासन और सरकार को ज्ञापन, पत्र और मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए इस समस्या से अवगत करा चुके हैं. इसके बावजूद अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है. हर साल मानसून से पहले बरसाती नालों की सफाई नहीं होने से यह समस्या और गंभीर हो जाती है.
स्थानीय व्यापारियों ने बताया कि हर मानसून में उनके प्रतिष्ठानों के बेसमेंट में दो से तीन फीट तक पानी भर जाता है. इससे व्यापार पूरी तरह ठप हो जाता है और आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है.
व्यापारियों की मांग है कि मंडी प्रशासन इस समस्या को सिर्फ मानसून बीतने तक टालने के बजाय स्थायी समाधान की दिशा में तत्काल कदम उठाए. जल निकासी का समुचित इंतजाम न सिर्फ मंडी की कार्यप्रणाली को सुचारू बनाएगा, बल्कि राज्य के कृषि व्यापार को भी राहत देगा.
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