विज्ञापन
This Article is From Mar 26, 2025

Rajasthan: जैसलमेर कलेक्टर को HC से मिली बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट की अवमानना ​​का पाया गया था दोषी

Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने जैसलमेर कलेक्टर प्रताप सिंह को बड़ी राहत दी है. डीएम को एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की अवमानना ​​का दोषी पाया गया था.

Rajasthan: जैसलमेर कलेक्टर को HC से मिली बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट की अवमानना ​​का पाया गया था दोषी
कलेक्टर प्रताप सिंह, जैसलमेर
NDTV

Jaisalmer News: राजस्थान में जैसलमेर के कलेक्टर प्रताप सिंह को राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च 2025 को एक आदेश दिया था, जिसके बाद हाईकोर्ट ने कलेक्टर के खिलाफ चल रही अवमानना की कार्यवाही को बंद कर दिया. पहले हाईकोर्ट ने कलेक्टर को आदेश की अवमानना का दोषी पाया था और 25 मार्च को उनकी सजा तय करने के लिए सुनवाई रखी थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें माफी मिल गई.

क्या था मामला?

यह मामला जैसलमेर के सूर्यगढ़ पैलेस के पास और राजमार्ग के करीब स्थित एक जमीन से जुड़ा है. यह जमीन पर्यटन के लिए बहुत अच्छी थी, लेकिन कानूनी लड़ाई के चलते यह भूमिहीन किसानों को खेती के लिए दे दी गई. राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, क्योंकि हाईकोर्ट ने उनकी अपील को देरी के कारण खारिज कर दिया था. 24 मार्च 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से मना कर दिया, लेकिन कलेक्टर के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही बंद करने का अनुरोध किया.

हाईकोर्ट का फैसला

25 मार्च को सुनवाई में, राजस्थान के महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने कलेक्टर की ओर से माफी मांगी. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर की माफी स्वीकार कर ली और उन्हें माफ कर दिया.

सरकार की कार्रवाई

राजस्थान सरकार ने उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है, जिनकी वजह से कानूनी प्रक्रिया में देरी हुई और जैसलमेर की महत्वपूर्ण जमीन का नुकसान हुआ. हाईकोर्ट में अपील में 620 दिनों की देरी हुई थी, जिस वजह से इसे 29 जनवरी 2025 को खारिज कर दिया गया. इस देरी के कारण, वह जमीन जो पर्यटन के लिए विकसित की जा सकती थी, अब खेती के लिए दे दी गई।

अगली सुनवाई अप्रैल में होगी

कलेक्टर के खिलाफ अवमानना का मामला खत्म हो गया है, लेकिन जमीन आवंटन का मामला अभी भी कानूनी प्रक्रिया में है. हाईकोर्ट 20 मार्च 2025 को सरकार के आदेश की जांच करेगा. अगली सुनवाई 28 अप्रैल 2025 को होगी.

मामले की पूरी कहानी

यह विवाद जैसलमेर के खड़ेरो की ढाणी गांव की 53.11 बीघा जमीन से जुड़ा है. यह जमीन 26 मई 1982 को भूमिहीन किसानों को खेती के लिए दी गई थी. लेकिन, 2006 में सरकार ने यह आवंटन रद्द कर दिया. इसके लिए किसानों ने हाईकोर्ट में अपील की.  11 अगस्त 2006 को हाईकोर्ट ने सरकार को किसानों को दूसरी जमीन देने का आदेश दिया. सरकार ने 6 फरवरी 2008 को दूसरी जमीन दी, लेकिन किसानों ने उसे लेने से मना कर दिया.

सरकार को दूसरी जमीन देने का दिया आदेश

कई सालों तक मुकदमेबाजी चली, और 25 मई 2012 को हाईकोर्ट ने फिर से सरकार को दूसरी जमीन देने का आदेश दिया. सरकार ने इसके खिलाफ अपील की, लेकिन 23 सितंबर 2013 को हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. किसानों ने 2014 में फिर से अपील की, और 2 दिसंबर 2022 को हाईकोर्ट ने खड़ेरो की ढाणी में ही जमीन देने का आदेश दिया.
सरकार की अपील में देरी हुई, जिस वजह से 29 जनवरी 2025 को इसे खारिज कर दिया गया. इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसने 24 मार्च 2025 को हाईकोर्ट से कलेक्टर के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही बंद करने का अनुरोध किया.

यह भी पढ़ें: Khatu Shyam Mandir Marg: अंधेरे में डूबी खाटूश्यामजी की नगरी, सड़कों पर सन्नाटा; आमने-सामने हुए दो सरकारी विभाग

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close