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This Article is From Jan 24, 2024

Jat Reservation: राजस्थान में किसी भी वक्त हो सकता है चक्का जाम! सरकार की 'ना' के बाद जाटों ने किया ऐलान

Jat Reservation Agitation: आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने कहा है कि आंदोलन कोई भी हो समाधान वार्ता से ही होता है. संघर्ष समिति ने वार्ता के लिए द्वार खोल रखे हैं.

Jat Reservation: राजस्थान में किसी भी वक्त हो सकता है चक्का जाम! सरकार की 'ना' के बाद जाटों ने किया ऐलान
उच्चैन उपखंड के गांव जयचोली में जाटों का महापड़ाव.

Rajasthan News: केंद्र की सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग लेकर सत्यागृह पर बैठे भरतपुर-धौलपुर के जाटों की सरकार से बातचीत फेल हो गई है. जयपुर में सीएम भजन लाल शर्मा (Bhajan Lal Sharma) से वार्ता में दो बिंदुओं पर सहमति बनने के बाद ये लगने लगा था कि जाटों का महापड़ाव अब खत्म हो जाएगा. लेकिन आरक्षण के मुद्दे पर 11 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल को कोई आश्वासन नहीं दिया गया. ऐसे में एक बार फिर राजस्थान में बड़ा आंदोलन होने की चर्चाएं शुरू हो गई हैं.

गुरुवार को हो सकता है चक्का जाम

जाट नेताओं ने पहले ही मांगे पूरी ना होने पर दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक को जाम करने की चेतावनी दी थी, जिसे गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने पूरे रेलवे ट्रैक पर निगरानी के लिए 150 पुलिसकर्मी को तैनात किया था. अब जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने चेतावनी देते हुए कहा है कि बुधवार को आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी और गुरुवार को कभी भी चक्का जाम किया जा सकता है. उन्होंने कहा है कि जब तक केंद्र में आरक्षण का नोटिफिकेशन जारी नहीं हो जाता, तब तक यह महापड़ाव स्थगित नहीं होगा. फौजदार के इस ऐलान के बाद से ही महापड़ाव स्थल पर जाट समाज के लोग एकत्रित होने लगे हैं.

पहली वार्ता के वक्त नदारद थे 2 सदस्य

नेम सिंह फौजदार ने आगे बताया, 'सरकार की ओर से आए डीग कुम्हेर के विधायक डॉक्टर शैलेश सिंह ने जाट आरक्षण संघर्ष समिति को वार्ता का निमंत्रण दिया था. इसे मंजूर करते हुए जाट समाज ने 11 लोगों के प्रतिनिधिमंडल को बातचीत के लिए जयपुर भेजा था. वार्ता के लिए सरकार ने 4 लोगों की एक समिति बनाई थी, जिसमें कन्हैयालाल चौधरी, अविनाश गहलोत, विधायक डॉक्टर शैलेश सिंह और जगत सिंह सहित चार सदस्य थे. लेकिन पहले दौर की वार्ता के दौरान सिर्फ कन्हैयालाल चौधरी और डॉक्टर शैलेश सिंह ही उपस्थित रहे.'

'जाट आरक्षण के लिए ये आखिरी आंदोलन'

फौजदार ने आगे बताया, 'वार्ता के दौरान हमनें सरकार के सामने अपनी प्रमुख तीन मांगे (केंद्र की सरकारी नौकरियों में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण, केंद्र की नौकरी में चयनित 56 अभ्यर्थियों की नियुक्ति और 2017 में आंदोलन के दौरान लगे केसों को वापसी) रखीं. इनमें से दो मांगे पर सहमति बन गई. लेकिन जब मुख्यमंत्री से मिलने का समय हुआ तो हमें बताया गया कि प्रधानमंत्री 25 जनवरी को आ रहे हैं, उनकी अगवानी करने के लिए सीएम व्यस्त हैं. ऐसे में बातचीत नहीं हो सकी. जाट संघर्ष समिति बिल्कुल नहीं चाहती कि कोई आंदोलन उग्र हो, पर सरकार इसका उल्टा चाहती है. जाट आरक्षण के लिए यह आखिरी आंदोलन है और यह आर पार का आंदोलन है. हमारी प्रमुख मांग आरक्षण की हैं और हमें यह चाहिए, जिसके लिए हमें जो कदम उठाना पड़ेगा वह उठाएंगे.'

'अपने-अपने गांव में अलर्ट रहें'

जाट समाज के लोगों से अपील की गई है कि गुरुवार से अपने-अपने गांव में अलर्ट रहें. कभी भी चक्का जाम का संदेश दिया जा सकता है.  संघर्ष समिति जो बुधवार को बैठकर निर्णय लेगी और रणनीति बनाएगी, आगे करना क्या है, आंदोलन का रुक क्या होगा. यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक आरक्षण का केंद्र में नोटिफिकेशन जारी नहीं होगा. हमसे कहा गया कि आपकी सीएम से वार्ता कर देते हैं तो आप महापड़ाव को हटा लोगे. यह महापड़ाव तब हटेगा, जब यह आरक्षण मिल जाएगा. चाहे यह आंदोलन कितना भी लंबा चले.

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