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राजस्थान में 17 जनवरी से शुरू हो रहा बड़ा आंदोलन, चुनाव में राज्य और केंद्र सरकार के लिए बनेगी मुसीबत

राजस्थान में फिर जाट आरक्षण को लेकर बड़े आंदलोन की तैयारी की जा रही है. रेल से लेकर सड़क तक चक्का जाम करने की चेतावनी दी गई है.

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राजस्थान में 17 जनवरी से शुरू हो रहा बड़ा आंदोलन, चुनाव में राज्य और केंद्र सरकार के लिए बनेगी मुसीबत
राजस्थान में जाट आरक्षण आंदोलन की तैयारी.

Rajasthan Jat Reservation: राजस्थान में एक बार फिर आरक्षण के मुद्दे पर बड़े आंदोलन की तैयारी की जा रही है. राजस्थान के भरतपुर और धौलपुर जिले के जाट समाज का ओबीसी आरक्षण (Jat OBC Reservation) को 10 साल पहले केंद्र में आयी बीजेपी सरकार ने समाप्त कर दिया था. हालांकि, साल 2017 में जब राजस्थान में वसुंधरा राजे सरकार ने जाटों को ओबीसी आरक्षण दिया था तो लगा था कि केंद्र भी अब इसके सहाने आरक्षण को लागू कर दिया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ऐसे में एक बार फिर भरतपुर और धौलपुर जिले के जाट ओबीसी आरक्षण को वापस पाने के लिए आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. अब इसके लिए चक्का जाम की तैयारी भी की जा रही है. 

7 जनवरी को जाट महापंचायत में सरकार को 10 दिनों का अल्टीमेटम दिया गया था कि अगर शांतिपूर्ण तरीके से सरकार इस पर फैसला नहीं लेती है तो पूरा जाट समाज आंदोलन करेगा. इसके लिए जयचोली गांव में महापड़ाव शुरू किया जाएगा. जिसके बाद यहां से रेल और सड़क पर चक्का जाम शुरू होगा. बता दें, भरतपुर-धौलपुर जाटों के आरक्षण पर अब तक न ही राज्य की भजन लाल सरकार ने कुछ कहा है और न ही केंद्र की ओर से जवाब आया है.

राज्य और केंद्र सरकार दोनों के लिए बनेगी ये मुसीबत

जाट आंदोलन देश में कई बार हो चुका है. आरक्षण की मांग को लेकस सबसे पहले 1998 में आंदोलन सुरू हुआ था. जो काफी लंबे समय तक चला. आखिर में केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार (UPA-2) थी तो उस वक्त भारतपुर और धौलपुर के जाटों सहित अन्य 9 राज्यों के जाटों को केंद्र में ओबीसी आरक्षण दिया गया था. लेकिन 2014 में मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेते हुए 10 अगस्त 2015 को भरतपुर और धौलपुर की जाटों का केंद्र और राज्य दोनों ही जगह ओबीसी आरक्षण समाप्त कर दिया गया. लेकिन साल 2017 में राज्य में आरक्षण मिला लेकिन केंद्र में अब तक इसे नहीं अपनाया गया.

अब एक बार फिर जाट आंदोलन की तैयारी में हैं. चूकि यह समय 2024 के लोकसभा चुनाव का समय है. ऐसे में इसे बड़ा मुद्दा बनाया जा सकता है. वहीं चुनाव को देखते हुए जाट भी आर-पार की लड़ाई में उतर जाएंगे. अगल ये किसान आंदोलन की तरह ही आगे बढ़ा तो रेल से लेकर सड़क तक सारी चीजें रूक जाएंगी. साल 2017 में भी जाट आरक्षण आंदोलन काफी बड़े तरीके से किया गया था. इस वजह से आखिर में राजस्थान की वसुंधरा सरकार को झुकना पड़ा था. बताया जा रहा है कि 17 जनवरी को उच्चैन के गांव जयचौली स्थित भरतपुर-मुंबई रेल लाइन को बंद कर दिया जाएगा और धरना दिया जाएगा.

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17 जनवरी से महापड़ाव के लिए भोजन और पानी की पूरी व्यवस्था

भरतपुर-धौलपुर जाटों ने ओबीसी आरक्षण की मांग के लिए जयचौली गांव में 17 जनवरी से महापड़ाव शुरू करने की तैयारी पूरी कर ली है. जाट नेता नेम सिंह फौजदार के नेतृत्व में सदस्य महापड़ाव स्थल का जायजा लेने पहुंचे. यहां गांव-गांव तैयारियां की जा रही है. साथ ही महापड़ाव स्थल पर भोजन और पानी की व्यवस्था की तैयारियां भी की जा रही है. भरतपुर धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने संबोधित करते हुए कहा 17 जनवरी को जयचौली गांव में महापड़ाव शुरू किया जाएगा. महापड़ाव पहले गांधीवादी तरीके से होगा. 2017 की तरह पूरे जिले में जगह-जगह धरना शुरू किए जाएंगे उसके बावजूद भी अगर सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया तो रेल की पटरी और सड़क पर जाना जाट समाज की मजबूरी होगी.

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