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This Article is From Sep 24, 2023

जोधपुर में Science Park की बदहाल स्थिति से घटे पर्यटक, विज्ञान को रूबरू करवाने वाले मॉडल हुए पुराने

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले में स्थित उप क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र पिछले 5 वर्ष से अधिक समय से अपनी बदहाली का रोना रो रहा है. विज्ञान केंद्र में बनी वाटर गैलरी के लगभग सभी मॉडल्स खराब पड़े हैं.

जोधपुर में Science Park की बदहाल स्थिति से घटे पर्यटक, विज्ञान को रूबरू करवाने वाले मॉडल हुए पुराने
साइंस पार्क जोधपुर
Jodhpur News:

विज्ञान के इस दौर में भारत के प्रौद्योगिकी का लोहा विश्व मान रहा है. चाहे इसरो के द्वारा चंद्रयान-3 की सफलता हो या कोरोनाकाल में स्वदेशी वैक्सीनेशन का निर्माण हो. हर क्षेत्र में भारत की वैज्ञानिक तकनीक का डंका विश्व में बज रहा है. यह संभव है कि लोगों में विज्ञान के प्रति उत्सुकता को लेकर जगह-जगह संग्रहालय और सांइस पार्क का निर्माण किया गया है, लेकिन राजस्थान के जोधपुर के सांइस पार्क की स्थिति इतनी बदहाल है कि उसका सुध लेने वाला कोई नहीं है.

बदहाल पड़ा सांइस पार्क

बदहाल पड़ा सांइस पार्क

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले में स्थित उप क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र (Science Park) पिछले 5 वर्ष से अधिक समय से अपनी बदहाली का रोना रो रहा है. वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सीएम रहते उनके दूसरे कार्यकाल में तत्कालीन केंद्रीय संस्कृति मंत्री व जोधपुर की स्थानीय सांसद रही चंद्रेश कुमारी की अध्यक्षता में इसका लोकार्पण किया गया था.

जहां वर्ष 2019 से 20 के बीच में 33 हजार से अधिक पर्यटक यहां आए थे, तो वहीं वर्ष 2021 में इसकी संख्या घट कर मात्र 2319 के करीब पहुंच गई. वर्ष 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार यहां आने वाली पर्यटकों की संख्या मात्र 10255 के करीब ही रही.उप क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र के सालाना आय की बात करें तो केंद्र के लोकार्पण से लेकर वर्तमान तक इसकी कुल आय 31 लाख 71 हजार के करीब ही रही.

स्थायी कर्मचारियों की नहीं हो सकी नियुक्ति

दो वर्ष तक सुचारू रूप से चलने के बाद इसके देखरेख में अभाव के चलते इसकी स्थिति बदहाली हो गई है. आज यहां ना तो पर्यटक आना पसंद करते हैं और ना ही स्कूल बच्चे. इस विज्ञान केंद्र में बनीं वाटर गैलरी के लगभग सभी मॉडल्स खराब पड़े हैं, तो वहीं भारत की पौराणिक संस्कृति और धरोहर को नई पीढ़ी से रूबरू कराने वाली हेरिटेज गैलरी भी बदतर हालत में है.

सांइस पार्क जोधपुर

सांइस पार्क जोधपुर

जोधपुर के एकमात्र विज्ञान पार्क में बच्चों की जिज्ञासा के अनुरूप बनाए गए मॉडल भी टूटे पड़े हैं. विज्ञान केंद्र का दुर्भाग्य ऐसा है कि वर्ष 2013 में इसके लोकार्पण के बाद से 10 वर्ष होने को है, जहां अभी भी विज्ञान केंद्र में कोई स्थाई संग्रहालय अध्यक्ष की नियुक्ति भी नहीं हुई है. वहीं, स्वीकृत दो टेक्नीशियन के पद भी 2016 से खाली पड़े हैं. 

खराब पड़े मॉडल्स, घटी पर्यटकों की संख्या 

पिछले 4 वर्षों से लिफ्ट बंद होने से यहां आने वाले उम्रदराज पर्यटक प्रथम तल पर जाने में भी असमर्थ रहते हैं. उन्हें ग्राउंड फ्लोर में ही लगे मॉडल को देखकर मजबूरन वापस जाना पड़ता है. एनडीटीवी की टीम ने जोधपुर के विज्ञान केंद्र का दौरा कर वहां आने वाले पर्यटकों के साथ ही केंद्र के स्थाई जिम्मेदारों से बात की. उन्होंने यह स्वीकार किया कि लंबे समय से विज्ञान केंद्र में खराब पड़े मॉडल्स के कारण पर्यटकों की संख्या भी घटी है. 

2020-21 में तीन गुना घट गए पर्यटक 

जहां वर्ष 2019 से 20 के बीच में 33 हजार से अधिक पर्यटक यहां आए थे, तो वहीं वर्ष 2021 में इसकी संख्या घट कर मात्र 2319 के करीब पहुंच गई. वर्ष 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार यहां आने वाली पर्यटकों की संख्या मात्र 10255 के करीब ही रही.उप क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र के सालाना आय की बात करें तो केंद्र के लोकार्पण से लेकर वर्तमान तक इसकी कुल आय 31 लाख 71 हजार के करीब ही रही.

विभागों में तालमेल से नहीं बन रही बात

विज्ञान केंद्र में खराब पड़े मॉडल्स को सही करवाने के लिए पिछले 4 वर्षों से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग व भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन NCMS के बीच पत्राचार चल रहा है. केंद्र के खराब पड़े मॉडल्स को सही करवाने के लिए करीब 33 लाख से अधिक के व्यय का एस्टीमेट बताया गया. दोनों विभागों के बीच आपसी तालमेल नहीं होने और जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के चलते यहां आने वाले पर्यटक भी विज्ञान केंद्र में आना पसंद नहीं कर रहे.

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