
Rajasthan State Tree: जालोर जिले के बागोड़ा उपखंड क्षेत्र में राज्य वृक्ष खेजड़ी की अवैध कटाई एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जबकि प्रशासन और वन विभाग इस ओर से उदासीन बने हुए हैं. यह स्थिति न केवल जालोर बल्कि पूरे राजस्थान के कई जिलों में देखी जा रही है, जहां खेजड़ी के वृक्षों को बचाने के सरकारी दावे धरातल पर खोखले साबित हो रहे हैं.
बागोड़ा क्षेत्र में खेजड़ी कटाई की
देवदा का गोलीया मोरसीम क्षेत्र में खसरा नंबर 1256 के खातेदारी खेत में राज्य वृक्ष खेजड़ी की धड़ल्ले से कटाई की जा रही है. स्थानीय सूत्रों के अनुसार हाल ही में देवदा का गोलियां से वाटेरा जाने वाले रोड पर बिना राजस्व विभाग की अनुमति के 20 वृक्षों की कटाई की गई. यह कटाई इतनी बेखौफ होकर की जा रही है कि दिन-रात हरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाई जा रही है और लकड़ियां बिना किसी रोक-टोक के ले जाई जा रही हैं.
सख्ती के बावजूद कैसे हो रही कटाई
जालोर की यह स्थिति राजस्थान के अन्य जिलों में भी देखी जा सकती है, जिसके विरोध में पर्यावरण प्रेमी आगे आए हैं. बता दें कि खेजड़ी को 1984 में राजस्थान का राज्य वृक्ष घोषित किया गया था, फिर भी इसके संरक्षण के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जा रहें. जिला प्रशासन भी राज्य वृक्षों की कटाई के आदेश जारी नहीं कर सकता है. लेकिन कागजी कार्रवाई में छलावा करके इनकी कटाई की इजाजत दी जा रही है .
चंद पैसों के लालच में अपना उद्योग लगाना और वन माफिया बेखौफ होकर पेड़ों की बलि चढ़ा रहे हैं. रेनवाल क्षेत्र में राजस्थान की सबसे बड़ी हरे पेड़ों की लकड़ी की मंडी लगती है, जहां रात के अंधेरे में इनकी बोली लगाई जाती है.
संरक्षण के प्रयास और नागरिक विरोध
गहरी फाउंडेशन नामक एनजीओ ने खेजड़ी के संरक्षण के लिए एक लाख पौधे बांटने का अभियान चलाया है. जोधपुर के पास मियासनी गांव में तीन बीघा जमीन पर खेजड़ी की नर्सरी स्थापित की गई है. कई स्थानों पर पर्यावरण प्रेमियों ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की है.
रिपोर्ट- भरत पुरोहित
ये भी पढ़ें- Rajasthan: माउंट आबू में लगी भीषण आग बुझाने उतरी भारतीय सेना, ऐसे थमा बड़ा हादसा