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राजस्थान की अनाज मंडी में किसानों को मिलता है 5 रुपये में भरपेट खाना, सर्दियों में गुड और गर्मियों में दी जाती है छाछ

किसान कलेवा योजना राजस्थान की मंडियों में किसानों, पल्लेदारों और हम्मालों के लिए बेहद लाभकारी योजना है. इसकी शुरुआत 2009 में "आपणी रसोई" के नाम से हुई और 2014 में इसका नाम बदलकर किसान कलेवा योजना रखा गया.

राजस्थान की अनाज मंडी में किसानों को मिलता है 5 रुपये में भरपेट खाना, सर्दियों में गुड और गर्मियों में दी जाती है छाछ
किसान कलेवा योजना.

Rajasthan News: राजस्थान की सभी 'A' श्रेणी की मंडियों में संचालित'किसान कलेवा योजना' मंडी में फसल बेचने आने वाले किसानों, काम करने वाले पल्लेदारों और हम्मालों के लिए वरदान साबित हो रही है. 2009 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा "आपणी रसोई" के नाम से इस किसानों को मंडी में ही अच्छा और पर्याप्त भोजन उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से इस योजना को लागू किया गया था.

मात्र 5 रुपये का मिलता है टोकन

वहीं 2014 में वसुंधरा राजे की सरकार ने इस योजना का नाम बदलकर किसान कलेवा योजना कर दिया गया और इसमें जरूरी सुविधाएं जोड़ी गई. आज प्रदेश भर की A और B श्रेणी की फल और अनाज मंडियों में यह योजना किसानों और मजदूरों के लिए वरदान साबित हो रही है.

इस योजना में किसान को भोजन के लिए मात्र 5 रुपए का टोकन कटवाना होता है. भोजन में 8 चपाती, दाल और सर्दियों में गुड़, वहीं गर्मियों में 200 एमएल छाछ भी दी जाती है. सरकार इस योजना के अंतर्गत रसोई संचालन करने वाले को ₹35 सरकारी सहायता भी उपलब्ध करवाती है. 

रोज 300 से 350 किसान करते हैं भोजन

गंगापुर सिटी नई अनाज मंडी में संचालित किसान कलेवा योजना में प्रतिदिन लगभग 300 से 350 किसान और पल्लेदार प्रतिदिन भोजन करते हैं. संचालक मीठालाल गुर्जर ने बताया कि दोपहर 12:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक लोगों को सरकार के नियमों के अनुसार भोजन करवाया जाता है.

किसान मंडी में फसल बेचने आता है तो सुबह जल्दी घर से निकलता है और दिन भर भूखा ना रहे. इस उद्देश्य से ही इस रसोई का संचालन किया जा रहा है.

प्रतिदिन मिलती है अलग-अलग सब्जियां

भोजन करने वाले किसानों ने बताया कि माल लेकर सुबह जल्दी मंडी आना पड़ता है. ऐसे में अब भोजन की चिंता नहीं रहती. किसान कलेवा योजना में बहुत स्वादिष्ट और पर्याप्त भोजन खाने को मिलता है. किसान कलेवा योजना में सरकार के नियमों के मुताबिक अनिवार्य रूप से सवा सौ ग्राम दाल और प्रतिदिन अलग-अलग सब्जी उपलब्ध करवाई जाती है. इसके अलावा सर्दियों में 50 ग्राम गुड़ भी दिया जाता है.

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